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Jane Kitne Nir Banaye   

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Author Brajgopal Ray Chanchal
Features
  • ISBN : 8188266760
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Brajgopal Ray Chanchal
  • 8188266760
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2016
  • 200
  • Hard Cover

Description

दूसरों का ' सहज अभिभावक ' बन जाना उनका दुर्लभ गुण है । हमारा संस्थान एक परिवार की तरह है । पूज्य स्वामी रामदेवजी महाराज तो हमारे सर्वस्व हैं, किंतु श्री एस.के. गर्ग मेरे निजी अभिभावक की तरह हैं । मेरा- उनकायह रिश्ता बड़ा रोचक है । मैं श्री गर्ग को अपना ' अभिभावक' कहता हूँ जबकि आयु में मुझसे बडे़ होने के बावजूद वह मेरे चरण स्पर्श करते हैं और मुझे अपना ' मार्ग दर्शक ' कहते हैं । मेरी विदेश यात्राओं का व्यय वह अत्यंत स्नेहपूर्वक लगभग जबरदस्ती, स्वयं दे देते हैं । कई बार मुझे आश्‍चर्य होता है कि इतना निश्‍‍च्छल, संवेदनशील और भावुक व्यक्‍त‌ि व्यवसाय जगत् में सफल कैसे हुआ होगा? दरअसल अपने इन्हीं गुणों के बल पर ही वह अपने परिवार, अपने व्यापारिक संस्थान, कर्मचारी और ग्राहकों के हृदय पर राज्य करते हैं । निःसंदेह वह सफल व्यवसायी हैं, किंतु अत्यंत संवेदनशील सामाजिक व्यक्‍त‌ि हैं ।
जैसा मैंने देखा श्री एस.के. गर्ग के अंदर बहुमुखी प्रतिभा परिलक्षित होती है । ' जाने कितने नीड़ बनाए ' एस.के. गर्ग पर लिखी अनुपम कृति है, इसकी सफलता के लिए मेरी शुभकामना है ।

—आचार्य बालकृष्ण

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अनुक्रम

अथ भूमिका — Pgs. 5

मेरा अनुभव — Pgs. 9

अपनी बात — Pgs. 15

प्राक्कथन — Pgs. 21

खंड-1

एक  — Pgs. 33

दो  — Pgs. 40

तीन  — Pgs. 48

चार  — Pgs. 56

पाँच  — Pgs. 64

छह  — Pgs. 78

सात  — Pgs. 86

आठ  — Pgs. 99

नौ  — Pgs. 104

खंड-2

श्री एस.के. गर्ग से सौ सवाल : सौ जवाब — Pgs. 109

श्री पंकज बजाज से पच्चीस सवाल : पच्चीस जवाब — Pgs. 155

डॉ. के.एल. गर्ग मैमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट — Pgs. 168

सफलता क्या है? — Pgs. 175

आत्मविश्वास : सफलता के खजाने का सही रास्ता — Pgs. 184

इति — Pgs. 196

The Author

Brajgopal Ray Chanchal

जिसने भारत के हजारों-लाखों लोगों के लिए नीड़ों का न केवल ।निर्माण्‍ा किया हो, बल्कि उसकी आँखों में नए भारत की इस नई तसवीर का सपना भी हो । जो सिर्फ भवन निर्माता ही न हो, इस नए भारत का सृजक भी हो । भवन-निर्माण जिसका सिर्फ व्यवसाय न हो, ब‌ल्क‌ि मानवता की सेवा का एक माध्यम भी हो । जो बिल्डर न होकर मनुष्‍य, भी हो । जिसने 1975 के बाद इस के 'भ्रैवन-निर्माण 'खै ' राष्ट्र -निमल्ली' की भी नींव हट्ट-रखी हो । कभी भी 'कूमाफिया' शब्द' से कलक्ति न हुआ हो । जिसने ' सोशलाइजेशन (भक्न निर्माण द्वारा समाज सेवा)

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