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Ek Sainik Ka Atmachintan (PB)   

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Author A.K. Vidyarthi
Features
  • ISBN : 9789353224639
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : Ist
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More Information

  • A.K. Vidyarthi
  • 9789353224639
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • Ist
  • 2019
  • 128
  • Soft Cover

Description

आत्मचिंतन शब्द आत्मा से जुड़ा हुआ है, चिंतन वही करता है, जिसकी चेतना और संवेदना जीवित है या जिसकी आत्मा के सरोकार समाज से जुड़े हैं। एक विद्यार्थी, जो स्वयं एक भूतपूर्व सैनिक है, उसने बेबाक तरीके से अपने अनुभव साझा किए हैं। इस युग में एक सैनिक ही है, जो अपने प्राण देना जानता है और जो प्राण देना जानता है, उसी में सच्ची आत्मा निवास करती है। अतः पुस्तक में भोगे हुए यथार्थ का आत्मचिंतन है, यहाँ कपोल कल्पना नहीं, ठोस धरातल पर जमीनी हकीकत का वर्णन है।
पुस्तक में मानवीय मूल्यों के ताजा गुलाब की सी खुशबू आती है। यदि आप चेतना-संपन्न हैं तो निश्चित ही यह किताब आपको अपनी ओर खींचेगी, आपकी सोच को पैनी धार देगी ही, अपने कर्तव्यबोध का आभास कराते हुए ईमानदार नागरिक की जिम्मेदार भूमिका के लिए तैयार करेगी।
एक फौजी का जीवन-संघर्ष ठीक उस किसान की तरह है, जो पसीना बहाकर, धरती का सीना चीरकर बीज बोता है और आसमान को देखकर बरसात की प्रतीक्षा करता है। ऐसे ही फौजी भाई अपने रक्त की बूँदों से सरहदों को सींचते हैं, ताकि देश की फुलवारी भरी-भरी रहे।
हर युवा, चेतना-संपन्न नागरिक तथा जिज्ञासु विद्यार्थी को ए.के. विद्यार्थीजी की यह अनमोल कृति एक बार अवश्य पढ़नी चाहिए

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अनुक्रम

भूमिका —Pgs. 7

लेखकीय —Pgs. 9

आभार —Pgs. 11

1. फौजी का जीवन —Pgs. 15

2. परोपकारी बनें —Pgs. 19

3. कौन अपना, कौन पराया —Pgs. 22

4. ईमानदार बनो —Pgs. 25

5. साँच को आँच क्या —Pgs. 28

6. राष्ट्र बनाम सत्ता —Pgs. 31

7. अर्धांगिनी या औरत —Pgs. 35

8. सेवाभाव का आनंद —Pgs. 37

9. भलाई से भला बुराई छोड़ना —Pgs. 39

10. विकास या विनाश —Pgs. 41

11. अनुशासित रहें, खुश रहें —Pgs. 43

12. कर्म महान् बनाता है —Pgs. 45

13. सफल व्यक्ति —Pgs. 47

14. समर्पण भाव से जियो —Pgs. 50

15. ओहदे की चाह —Pgs. 52

16. तनाव —Pgs. 55

17. स्वत: सबल —Pgs. 57

18. शिष्ट या शिष्टाचार —Pgs. 59

19. धन के लिए अधर्म नहीं —Pgs. 61

20. समय का मूल्य पहचानो —Pgs. 63

21. संगत का असर —Pgs. 65

22. चोर नहीं चितचोर बनें —Pgs. 67

23. संकुचित न बनें —Pgs. 69

24. इनसान की सोच —Pgs. 71

25. अपने लक्ष्य पर केंद्रित हों —Pgs. 73

26. अपनत्व को अपनाएँ —Pgs. 75

27. भविष्य की चिंता छोड़ें —Pgs. 77

28. एक मौका —Pgs. 79

29. सब काम परमेश्वर का —Pgs. 81

30. व्यवसायी नहीं, व्यावहारिक बनें —Pgs. 83

31. जिंदगी को बोझ न समझें —Pgs. 85

32. झूठ या भ्रम —Pgs. 87

33. शिक्षा का व्यवसायीकरण —Pgs. 89

34. कष्ट का कारण —Pgs. 91

35. मनुष्य प्रवृत्ति —Pgs. 93

36. अथक प्रयास निरर्थक —Pgs. 95

37. शुभकामना —Pgs. 98

38. उम्मीद ही कष्ट का कारण —Pgs. 101

39. पितृ प्रसन्न, सारे काम संपन्न —Pgs. 104

40. अमानत —Pgs. 106

41. आदमी —Pgs. 109

42. धन लोलुपता —Pgs. 112

43. पशुधन —Pgs. 114

44. नारी और रसोई —Pgs. 116

45. आहार-व्यवहार —Pgs. 119

46. मनुष्य : हरि की सर्वोत्तम कृति —Pgs. 122

47. प्रकृति की व्यवस्था —Pgs. 126

 

The Author

A.K. Vidyarthi

अजय कुमार विद्यार्थी
जन्म : 01 जुलाई, 1971, ग्राम-सावना, सिवान (बिहार)।
शिक्षा : स्नातकोत्तर विज्ञान पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में स्नातक, जे.बी.टी.।
कर्मक्षेत्र : भारतीय सेना की सेना शिक्षा कोर के शिक्षा अनुदेशक (सेवानिवृत्त)।

 

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