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Author Shail Chaturvedi
Features
  • ISBN : 9789351862901
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Shail Chaturvedi
  • 9789351862901
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2020
  • 184
  • Hard Cover

Description

हमने कहा, ‘‘भगवान् जाने

देश की जनता का क्या होगा?’’

वे बोले, ‘‘जनता दर्द का खजाना है

आँसुओं का समंदर है,

जो भी उसे लूट ले

वही मुकद्दर का सिकंदर है।’’

हमने पूछा, ‘‘देश का क्या होगा?’’ 

वे बोले, ‘‘देश बरसों से चल रहा है

मगर जहाँ का तहाँ है

कल आपको ढूँढ़ना पड़ेगा

कि देश कहाँ है

कोई कहेगा—ढूँढ़ते रहिए

देश तो हमारी जेब में पड़ा है

देश क्या हमारी जेब से बड़ा है?’’

 —इसी पुस्तक से

हास्य-व्यंग्य मंच के सिरमौर कवि शैल चतुर्वेदी ने अपनी रचनाओं से देश की सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों पर मारक प्रहार किया और समाज को जागरूक करने का महती कार्य किया। यहाँ प्रस्तुत हैं उनकी सर्वश्रेष्ठ रचनाएँ, जो उनके विराट् कवि-रूप का दिग्दर्शन कराएँगी और आपको हँसा-गुदगुदाकर लोटपोट कर देंगे

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अनुक्रम

शैल चतुर्वेदी का रचना-संसार — Pgs. 7

1. कार/सरकार — Pgs. 13

2. मैदान — Pgs. 14

3. महिला वर्ष — Pgs. 15

4. लेन-देन — Pgs. 17

5. भविष्य का भय — Pgs. 19

6. माँ पर गया है — Pgs. 20

7. बाप पर गया है — Pgs. 21

8. वाकई गधे हो — Pgs. 22

9. बीस बच्चोंवाला बाप — Pgs. 24

10. पेट का सवाल है — Pgs. 26

11. हे वोटर महाराज — Pgs. 28

12. मूल अधिकार — Pgs. 29

13. दतरीय कविताएँ — Pgs. 31

14. देश के लिए नेता — Pgs. 33

15. चल गई — Pgs. 35

16. पुराना पेटीकोट — Pgs. 42

17. औरत पालने को कलेजा चाहिए — Pgs. 45

18. उल्लू बनाती हो? — Pgs. 51

19. तू-तू, मैं-मैं — Pgs. 57

20. एक से एक बढ़ के — Pgs. 60

21. कब मर रहे हैं? — Pgs. 63

22. अप्रैल फूल — Pgs. 68

23. यहाँ कौन सुखी है — Pgs. 76

24. गांधी की गीता — Pgs. 81

25. मजनू का बाप — Pgs. 84

26. शायरी का इनकलाब — Pgs. 89

27. दागो, भागो — Pgs. 94

28. कवि सम्मेलन, टुकड़े-टुकड़े हूटिंग — Pgs. 102

29. फिल्मी निर्माताओं से — Pgs. 112

30. देवानंद से प्रेमनाथ — Pgs. 116

31. पर्सनैलिटी का सवाल है — Pgs. 122

32. भ्रष्टाचार — Pgs. 127

33. बाप का बीस लाख फूँककर... 131

34. कवि फरोश — Pgs. 135

35. व्यंग्यकार से — Pgs. 139

36. मूल मंत्र — Pgs. 141

37. तलाश नए विषय की — Pgs. 146

38. हमारे ऐसे भाग्य कहाँ — Pgs. 152

39. देश जेब में — Pgs. 156

40. शादी भी हुई तो कवि से — Pgs. 159

41. बाजार का ये हाल है — Pgs. 163

42. हिंदी का ढोल — Pgs. 169

43. शेर/गज़ल — Pgs. 174

The Author

Shail Chaturvedi

जन्म : 29 जून, 1936 को अमरावती (महा.) में।

शिक्षा : बी.ए. (सागर वि.वि.)।

हिंदी हास्य कवि-मंच के मूर्धन्य हस्ताक्षर, जिनकी उपस्थिति मात्र से ही श्रोता रोमांचित हो जाते थे और उनकी रचनाओं को सुनकर ‘वंस मोर, वंस मोर’ का शोर मचाते थे। संपूर्ण देश में काव्य-मंचों से काव्यपाठ। बहुमुखी प्रतिभा के धनी, अभिनय, नृत्य, बाँसुरी तथा हारमोनियम बजाने में दक्ष। बचपन से ही नाट्य कला एवं फिल्मों के प्रति अद्भुत आसक्ति।

रचना-संसार : ‘चल-गई’, ‘बाजार का ये हाल है’, ‘हँसी आती है’ काव्य-संग्रह प्रकाशित। देश की सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन। इसके अलावा दूरदर्शन एवं आकाशवाणी पर रचना पाठ; कविता-भजन आदि के अनेक   ऑडियो कैसेट प्रसारित। बीस से अधिक फिल्मों तथा इतने ही धारावाहिकों में जोरदार अभिनय, जिसे दर्शकों ने पसंद किया और खूब सराहा।

स्मृतिशेष : 29 अक्तूबर, 2007।

शिवाशीष शर्मा प्रसिद्ध हास्य कवि पं. प्रेमकिशोर ‘पटाखा’ के सुपुत्र हैं। शिवाशीष ने अपनी पहली पेंटिंग 10 साल की उम्र में बनाई थी। इसके बाद तो पेंटिंग उनकी नित्यप्रति की शक्ल बन गई। इनकी 18 पुस्तकें कार्टूंस पर तथा 3 पुस्तकें पेंसिल आरेखन पर पहले ही छप चुकी हैं। इनको चित्रकला संगम नई दिल्ली द्वारा ‘वर्ष का सर्वोत्तम कार्टूनिस्ट’ का पुरस्कार सन् 2007 में मिल चुका है। शिवाशीष ड्राइंग के विभिन्न माध्यमों का प्रयोग करते हैं जैसे—पेंसिल शेडिंग, तेल-चित्र, जल रंग चित्र, एक्रीलिक पेंटिंग, पोस्टर रंग ड्राइंग इत्यादि।

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