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Sharan Pandey

Sharan Pandey

7 नवंबर, 1938 को उन्नाव जिले के एक छोटे से गाँव में जनमे लेखक का परिचय हर वो भारतीय है, जो आज भी इस मूल्यरिक्‍त, स्वराष्‍ट्राभिमानरिक्‍त ‘इंडिया’ में रहकर ‘भारत’ को स्वयं में जीवित रखता है, जो आज भी आदर्शों से प्रेम करता है, जो आज भी सिद्धांतों की बात करता है, जिसे आज भी टूटना स्वीकार्य है, पर सिद्धांतों से समझौता नहीं।लेखक का पूरा जीवन कर्तव्यों को समर्पित रहा। हर बहस में अनेकों कर्तव्यों में भारत से प्रेम का कर्तव्य अडिग चला है। भारतप्रेम संस्कारों में उनके प्राथमिक पाठशाला के अध्यापक ने बो दिया था, ‘राष्‍ट्रीय स्वंयसेवक संघ’ के प्रणेता दयानंदजी के लोक दर्शन और उस समय की मीमांसाओं ने बढ़ती बहस के साथ उसे राष्‍ट्रप्रेम का वह वटवृक्ष बना दिया है, जहाँ अध्यात्म और भारतप्रेम एकरूप हो चुके हैं, जहाँ लेखक भारतीय आध्यात्मिकता के मूलभूत सिद्धांतों को भारत की हर समस्या के समाधान के लिए समुचित मानता है।

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