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Priyatama   

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Author Phani Mohanty
Features
  • ISBN : 9789392554834
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Phani Mohanty
  • 9789392554834
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2021
  • 96
  • Hard Cover
  • 150 Grams

Description

चारों दिशाएँ, चौदह भुवन खाली-खाली लगते हैं,
एक अध-जला दीया की रस्सी की तरह
नाम के वास्ते हाथ-पैर पसारकर,
गिरा हुआ हूँ मैं।

यह कैसा जीवन है प्रियतमा?
हर पल मैं कितने शब्द जोड़ता हूँ और तोड़ता हूँ,
जुड़े-तुड़े इन्हीं शब्दों से मैं
एक वाक्य की माला भी बना नहीं सका,
इस जीवन में।

करोड़ों तारों और चाँद और सूरज के मेले में,
तुम ही तो मेरे साक्षी हो,
तुम ही मेरे साक्षी हो भाव में रहकर भी
कवि मर सकता है, अभाव के नरक में।

इस जीवन को अकेले में जाने दो, प्रियतमा,
चाहे तुम जितने न पहुँचनेवाले दुनिया में,
तुम ही मेरी प्रथम और आखिरी वर्णमाला
तुम ही मेरा प्रथम और आखिरी वादा।
—इसी पुस्तक स

The Author

Phani Mohanty

फनी महांति
लगभग पचास साल से ओडि़या कवि फनी महांति जीवन और जिज्ञासा के बीच एक मधुर समता बनाए हुए काव्य-साधना में मग्न हैं। महांति का विश्वास है कि प्रेम के पूर्ण समर्पण से कविता का जन्म होता है। शब्द चुनते हुए नवीनता, अनुभव की व्याप्ति और गहराई को मान्यता देते हुए वे कविता रचते हैं। अन्नमय कोष से आनंदमय कोष तक उनकी कविता की महायात्रा प्रसारित है। उनके प्रख्यात कविता-संग्रह हैं—‘विषाद-योग’, ‘अहल्या’, ‘मृगया’, ‘चित्रनारी’, ‘माया-दर्पण’, ‘अर्धनारीश्वर’, ‘द्वितीय ईश्वर’ और ‘ऋतंभरा’। ‘प्रियतमा’ उनका एक अनोखा कविता-संग्रह है। डॉ. महांति को ‘ओडि़या साहित्य पुरस्कार’, ‘केंद्र साहित्य पुरस्कार’, ‘साहित्य संस्कृति सम्मान’, ‘फकीर मोहन साहित्य श्रीसम्मान’, ‘कवि जयदेव सम्मान’, ‘वाग्देवी सम्मान’, ‘सचि राउतराय सम्मान’ और अंतर्जातिक हिंदी परिषद्, पटना से ‘साहित्य शिखर सम्मान’ से विभूषित किया गया है।

‘प्रियतमा’ के हिंदी अनुवादक डॉ. महेंद्र कुमार मिश्रा भारत के जाने-माने लोक-संस्कृतिविद् हैं। वे आदिवासी वाचिक परंपरा के एक तृणमूल स्तर के अध्येता हैं। उनका अनुसृजन मूल कविता की व्यंजना को छूते हुए शब्दों में भाव को व्यक्त करता है

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