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Mahavrati : Karmayogi Pracharak Sohan Singh   

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Author Gopal Sharma
Features
  • ISBN : 9789386231642
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
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More Information

  • Gopal Sharma
  • 9789386231642
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2016
  • 288
  • Hard Cover

Description

परम पूजनीय सरसंघचालक माननीय मोहनराव भागवतजी का उनके बारे में कथन ही उनके जीवन का निचोड़ है। विश्व-कल्याण, राष्ट्रधर्म, कार्यकर्ता और मनुष्यत्व के लिए समर्पित सोहन सिंहजी महाव्रती के रूप में उभरकर आते हैं। वीरव्रती और कर्मयोगी सोहन सिंहजी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उन नींव के प्रस्तर—अभेद्य दीवार बने वरिष्ठ प्रचारकों में शामिल हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय मूल्यों की स्थापना के लिए अपना सारा जीवन तपस्वी की भाँति गला दिया। जब संपूर्ण विश्व में आतंकवाद अट्टहास कर रहा है, भारत में राष्ट्रीयता पर प्रश्नचिह्न खड़ा किया जा रहा है, वैयक्तिक स्वार्थ समाज-जीवन पर हावी होते जा रहे हैं और इन सबके मुकाबले ईश्वरीय और सकारात्मक शक्ति के रूप में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का संवाहक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही दिखाई देता है। ऐसे में सोहन सिंहजी का स्मरण और उनके द्वारा रखे गए आदर्श का अनुसरण अति सामयिक है, राष्ट्र-निर्माण के संकल्प के लिए प्रेरणा है।

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अनुक्रम

डॉ. हेडगेवार कुलोत्पन्न सोहन सिंहजी — Pgs. 7

त्वदीयाय कार्याय — Pgs. 13

1. स्वयंसेवकत्व और अनुभूति  — सोहन सिंह — Pgs. 33

2. कर्म-कठोर प्रचारक  — अशोक सिंघल — Pgs. 51

3. संगठन समर्पित जीवन  — डॉ. मनमोहन वैद्य — Pgs. 54

4. राष्ट्रीय दृष्टि, सूक्ष्म सोच, व्यापक प्रभाव  — सुरेश कुमार — Pgs. 56

5. राष्ट्र-संघनिष्ठ जीवन  — इंद्रेश कुमार — Pgs. 61

6. मितभाषी, गंभीर और स्पष्ट चिंतन  — ओमप्रकाश कोहली — Pgs. 62

7. स्नेह के सागर  — डॉ. बजरंगलाल गुप्ता — Pgs. 65

8. पतत् त्वेष कायो नमस्ते-नमस्ते  — प्रेम कुमार — Pgs. 67

9. राष्ट्र मंदिर के पुजारी  — आलोक कुमार — Pgs. 74

10. आध्यात्मिक व्यक्तित्व  — राजनाथ सिंह — Pgs. 77

11. भारत माता के सच्चे सपूत  — डॉ. हर्षवर्धन — Pgs. 79

12. एक सप्ताह तक भूखे रहे  — प्रेमचंद गोयल — Pgs. 81

13. अनिकेत कर्मयोगी  — रामेश्वर — Pgs. 83

14. ‘मेजर’ सोहन सिंहजी!  — दुर्गादास — Pgs. 84

15. संतों के संत थे वे  — ईश्वरदास महाजन — Pgs. 86

16. मेरे द्वितीय गुरु  — राजकुमार भाटिया — Pgs. 88

17. आकर्षण-अपनत्व-आदर्श के संगम  — डॉ. महेश चंद्र शर्मा — Pgs. 91

18. ध्येय मंदिर के उपासक  — दिनेश चंद्र — Pgs. 96

19. समय का महत्त्व  — डॉ. प्रीतम सिंह — Pgs. 98

20. स्मृति शेष कर्मवीर  — मोहनलाल रुस्तगी — Pgs. 100

21. गंगा जल-सा निर्मल जीवन  — शंकर लाल — Pgs. 102

22. दूरदृष्टि संपन्न  — प्रकाश चंद्र — Pgs. 105

23. विलक्षण व्यक्तित्व के धनी  — ओमप्रकाश आर्य — Pgs. 108

24. सीमा के सजग प्रहरी  — भागीरथ चौधरी — Pgs. 110

25. श्रेष्ठतम योजनाकार  — राजेंद्र प्रसाद — Pgs. 113

26. कार्यकर्ता-निर्माण के श्रेष्ठ शिल्पी  — गुलाबचंद कटारिया — Pgs. 116

27. प्रेरणास्रोत एवं मार्गदर्शक  — रमेश प्रकाश — Pgs. 118

28. भूल नहीं पाते वे घटनाएँ  — रवि बंसल — Pgs. 121

29. आधुनिक युग के राष्ट्र ऋषि  — ओमप्रकाश सिंघल — Pgs. 124

30. व्यवस्था के पर्याय  — विमल प्रसाद अग्रवाल — Pgs. 126

31. संत प्रवृत्ति और दृढता का समन्वय  — रामदास अग्रवाल — Pgs. 130

32. आदर्श एवं प्रेरक व्यक्तित्व  — डॉ. पुरुषोत्तम चतुर्वेदी — Pgs. 133

33. उद्दाम साहस के धनी  — बैकुंठलाल शर्मा ‘प्रेम’ — Pgs. 136

34. जीवंत करुणामय व्यवहार  — डॉ. दीपक शुक्ला — Pgs. 138

35. न भूतो न भविष्यति  — जयभगवान् चौहान — Pgs. 140

36. शाखा से लेकर घर तक  — डॉ. हेमेंद्र कुमार राजपूत — Pgs. 147

37. कार्यालय साफ हो गया  — कैलाश चंद — Pgs. 151

38. प्रसिद्धि-पराङ्॒मुखता के आदर्श  — कन्हैयालाल चतुर्वेदी — Pgs. 153

39. ध्येय व समर्पण का ज्योति-स्तंभ  — हितेश शंकर — Pgs. 155

40. वात्सल्य की पावन धारा  — नरेश गौड़ — Pgs. 157

41. संगठन रचना के महाज्ञाता  — ईश कुमार — Pgs. 160

42. हमारे आदर्श प्रचारक  — रघुवीर सैनी — Pgs. 165

43. अविचल साधक : माननीय सोहन सिंहजी — Pgs. 169

44. राष्ट्रीय दृष्टिकोण और दूरदृष्टि  — गोपाल शर्मा — Pgs. 212

45. कार्यकर्ता की पारिवारिक सार-सँभाल — Pgs. 226

The Author

Gopal Sharma

गोपाल शर्मा
हिंदी और अंग्रेजी दोनों में डॉक्टरेट और चार विषयों में एम.ए. के साथ ही एम.फिल. (दो स्वर्ण पदक), एम.एड., पी.जी.डी.टी.ई. (सी.आई.एफ.एल.) आदि शैक्षणिक उपाधिधारक। देश के पाँच नगरों और विश्वविद्यालयों (हरिद्वार, बेंगलुरु, हैदराबाद, जयपुर, भोपाल) और अफ्रीका (गैरयूनिस, बेनगाजी, वोलेगा-निक्मत, अरबा मींच) के 4 विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी भाषा शिक्षण (ई.एल.टी.) और अंग्रेजी साहित्य के विशेषज्ञ प्रोफेसर के रूप में लगभग चार दशकों से कार्यरत। अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंसों में सक्रिय भागेदारी। 56 अंग्रेजी शोध-पत्रों का प्रकाशन। हिंदी और अंग्रेजी में समान गति से पुस्तकाकार लेखन भी। 2020 तक 40 पुस्तकों का लेखन। अकादमिक पुस्तकों के अतिरिक्त नेल्सन मंडेला, नादिया मुराद, जाक देरिदा, मुंशी प्रेमचंद, गौरी दत्त, नरेंद्र मोदी, राम नाथ कोविंद, और रमेश पोखरियाल निशंक आदि पर एकाधिक अंग्रेजी पुस्तकें देश-विदेश के प्रतिष्ठित प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित। दक्षिण की हिंदी साहित्यिक पत्रकारिता और रचनाकारों में जान-पहचान और यथायोग्य प्रतिष्ठा।
इ-मेल : prof.gopalsharma@gmail.com

 

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