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Lokpriya Aadivasi Kahaniyan   

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Author Vandana Tete
Features
  • ISBN : 9789351868767
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Vandana Tete
  • 9789351868767
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2017
  • 248
  • Hard Cover

Description

आदिवासियों का ‘कहना’ बिखरा हुआ है, बेचारगी और क्रांति, ये दो ही स्थितियाँ हैं, जिसकी परिधि में लोग आदिवासियों के ‘कहन’ को देखते हैं। चूँकि गैर-आदिवासी समाज में उनका बड़ा तबका, जो भूमिहीन और अन्य संसाधनों से स्वामित्व विहीन है, ‘बेचारा’ है, इसलिए वे सोच भी नहीं पाते कि इससे इतर आदिवासी समाज, जिसके पास संपत्ति की कोई निजी अवधारणा नहीं है, वह बेचारा नहीं है। वे समझ ही नहीं पाते कि उसका नकार ‘क्रांति (सत्ता) के लिए किया जानेवाला प्रतिकार’ नहीं बल्कि समष्टि के बचाव और सहअस्तित्व के लिए है। जो सृष्टि ने उसे इस विश्वास के साथ दिया है कि वह उसका संरक्षक है, स्वामी नहीं।
इस संग्रह की कहानियाँ आदिवासी दर्शन के इस मूल सरोकार को पूरी सहजता के साथ रखती हैं। क्रांति का बिना कोई शोर किए, बगैर उन प्रचलित मुहावरों के जो स्थापित हिंदी साहित्य व विश्व साहित्य के ‘अलंकार’ और प्राण तत्त्व’ हैं।


एलिस एक्का, राम दयाल मुंडा, वाल्टर भेंगरा ‘तरुण’, मंगल सिंह मुंडा, प्यारा केरकेट्टा, कृष्ण चंद्र टुडू, नारायण, येसे दरजे थोंगशी, लक्ष्मण गायकवाड़, रोज केरकेट्टा, पीटर पौल एक्का, फांसिस्का कुजूर, ज्योति लकड़ा, सिकरा दास तिर्की, रूपलाल बेदिया, कृष्ण मोहन सिंह मुंडा, राजेंद्र मुंडा, जनार्दन गोंड, सुंदर मनोज हेम्ब्रम, तेमसुला आओ, गंगा सहाय मीणा और शिशिर टुडू की कहानियाँ।

The Author

Vandana Tete

वंदना टेटे
जन्म : 13 सितंबर, 1969 को  सिमडेगा में।
शिक्षा : समाज कार्य (महिला एवं बाल विकास) में राजस्थान विद्यापीठ (राजस्थान) से स्नातकोत्तर।
कृतित्व : हिंदी एवं खडि़या में लेखन, आदिवासी दर्शन और साहित्य की प्रखर अगुआ। सामाजिक विमर्श की पत्रिका ‘समकालीन ताना-बाना’, बाल पत्रिका ‘पतंग’ (उदयपुर) का संपादन एवं झारखंड आंदोलन की पत्रिका ‘झारखंड खबर’ (राँची) की उप-संपादिका। त्रैमासिक ‘झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा’, खडि़या मासिक पत्रिका ‘सोरिनानिङ’ तथा नागपुरी मासिक ‘जोहार सहिया’ का संपादन और प्रकाशन। आदिवासी और देशज साहित्यिक-सांस्कृतिक संगठन ‘झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा’ (2004) की संस्थापक महासचिव।
प्रकाशन : ‘पुरखा लड़ाके’, किसका राज है’, ‘झारखंड एक अंतहीन समरगाथा’, ‘पुरखा झारखंडी साहित्यकार और नए साक्षात्कार’, ‘असुर सिरिंग’, ‘आदिवासी साहित्यः परंपरा और प्रयोजन’, ‘आदिम राग’, ‘कोनजोगा’, ‘एलिस एक्का की कहानियाँ’, ‘आदिवासी दर्शन और साहित्य’, ‘वाचिकता : आदिवासी सौंदर्यशास्त्र’, ‘लोकप्रिय आदिवासी कहानियाँ’ और ‘लोकप्रिय आदिवासी कविताएँ’।
संप्रति : झा.भा.सा.सं. अखड़ा और प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन, राँची के साथ सृजनरत।
संपर्क : द्वारा रोज केरकेट्टा, चेशायर होम रोड, बरियातु, राँची-834009

 

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