Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Kural Kavya   

₹350

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Amit Sagar , S. Pragya Shramana Muni
Features
  • ISBN : 9788173158506
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Amit Sagar , S. Pragya Shramana Muni
  • 9788173158506
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2015
  • 217
  • Hard Cover

Description

विश्वविख्यात संत तिरूवल्लुवर ने ग्रन्थ-रत्न ‘तिरूक्कुरल’ के माध्यम से विश्व-मैत्री और भाईचारे का अलौकिक संदेश दिया है। उनके द्वारा रचित कुरल काव्य दुनिया की अनेक भाषाओं में अनुवादित हुआ है। विदुरनीति, चाणक्यनीति, भर्तृनीति, अरस्तु-सुकरात, कबीर, रहीम, साईं, सतभैया, तुलसी, नानक, तुकाराम, एकनाथ, लोकनाथ, विवेकानन्द, रवीन्द्रनाथ, महात्मा गांधी आदि लोकविश्रुत अनेक उदार-उदात्त विचारोंवाले व्यक्तियों की समग्र सद्विचार-वाणी इस एक ही ग्रन्थ ‘कुरल काव्य’ में संकलित हैं। बालक से लेकर वृद्ध तक, गृहस्थ से संन्यासी तक, विद्यार्थी से शिक्षक तक, किसान से सैनिक तक, साधु-सज्जन से लेकर दुष्ट-दुर्जन तक, तस्कर से ईमानदार तक, कंजूस से दानी तक, चौकीदार से राजा-राष्ट्रपति तक, हर उम्र, जाति-वर्ण-वर्ग के पड़ावों तक का एक अनूठा-अद्भुत, लौकिक-अलौकिक अनुभवपूर्ण ‘नैतिक वैचारिक क्रान्ति’ का खजाना है यह ग्रन्थ ‘कुरल काव्य’।
प्रस्तुत ग्रन्थ हर धर्म, मजहब, संस्कृति-सम्प्रदाय के व्यक्ति के लिए पढ़ने योग्य है। इसे सम्मान, पुरस्कार, उत्सव, व्रत, त्योहार, जन्मदिवस, पुण्यस्मृति, उपहार, प्रतियोगिता आदि के उपलक्ष्य में अपने इष्ट मित्रों को भेंट दे सकते हैं।

The Author

Amit Sagar

जन्म : 26 जून, 1963, दुगाहा कलाँ, सागर (म.प्र.) में श्री सेठ गुलाबचन्द जैन के घर श्रीमती सुमित्राबाई जैन (वर्तमान में आर्यिका प्रवेशमतीजी) की मंगल कुक्षी से जन्म। दीक्षा पूर्वनाम अजित कुमार।
श्री पार्श्वनाथ दि. जैन गुरुकुल खुरई, सागर (म.प्र.) से हाईस्कूल (कृषि विज्ञान, बीसवीं शताब्दी के प्रथम दिगम्बर जैनाचार्य चारित्र चक्रवर्ती श्री शान्ति सागरजी के तृतीय पट्टाधीश आचार्य शिरोमणि धर्मसागरजी से अजमेर (राज.) में 4.10.84 को मुनि दीक्षा, शिक्षा गुरु आचार्यकल्प श्रुतसागरजी।
प्रकाशित कृतियाँ : मन्दिर (हिन्दी, मराठी, कन्नड़, गुजराती, अंग्रेजी में प्रकाशित) ‘नैतिकता के आदर्श’, ‘बाल विज्ञान’ पाँच भागों में, ‘जैन चित्र कथाएँ’, ‘आँखिन देखी आत्मा’, ‘अनुत्तर यात्रा’, ‘अन्तरंग के रंग’ (प्रवचन संकलन), बोलती माटी (महाकाव्य), धर्म विज्ञान में सम्मेद शिखर, कामदेव जिन बाहुबली पूजन; अजेयदिगम्बरत्व जय गोम्मटेश आदि।
सम्पादन : तत्त्वार्थसार, प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली
सम्प्रति : स्वाध्याय एवं आत्मसाधना में संलग्न।

S. Pragya Shramana Muni

जन्म : 26 जून, 1963, दुगाहा कलाँ, सागर (म.प्र.) में श्री सेठ गुलाबचन्द जैन के घर श्रीमती सुमित्राबाई जैन (वर्तमान में आर्यिका प्रवेशमतीजी) की मंगल कुक्षी से जन्म। दीक्षा पूर्वनाम अजित कुमार।
श्री पार्श्वनाथ दि. जैन गुरुकुल खुरई, सागर (म.प्र.) से हाईस्कूल (कृषि विज्ञान, बीसवीं शताब्दी के प्रथम दिगम्बर जैनाचार्य चारित्र चक्रवर्ती श्री शान्ति सागरजी के तृतीय पट्टाधीश आचार्य शिरोमणि धर्मसागरजी से अजमेर (राज.) में 4.10.84 को मुनि दीक्षा, शिक्षा गुरु आचार्यकल्प श्रुतसागरजी। 
प्रकाशित कृतियाँ : मन्दिर (हिन्दी, मराठी, कन्नड़, गुजराती, अंग्रेजी में प्रकाशित) ‘नैतिकता के आदर्श’, ‘बाल विज्ञान’ पाँच भागों में, ‘जैन चित्र कथाएँ’, ‘आँखिन देखी आत्मा’, ‘अनुत्तर यात्रा’, ‘अन्तरंग के रंग’ (प्रवचन संकलन), बोलती माटी (महाकाव्य), धर्म विज्ञान में सम्मेद शिखर, कामदेव जिन बाहुबली पूजन; अजेयदिगम्बरत्व जय गोम्मटेश आदि। 
सम्पादन : तत्त्वार्थसार, प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली 
सम्प्रति : स्वाध्याय एवं आत्मसाधना में संलग्न।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW