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Kaljayi Yoddha Chhatrasal Bundela   

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Author Om Parkash Pahuja
Features
  • ISBN : 9788177213010
  • Language : HINDI
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : Ist
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More Information

  • Om Parkash Pahuja
  • 9788177213010
  • HINDI
  • Prabhat Prakashan
  • Ist
  • 2020
  • 232
  • Hard Cover

Description

हृदय में ईश्वर के प्रति अटूट आस्था लिये, कोमल-हृदय, कवि-कलाप्रेमी, विश्वस्त सखा, मानव ही नहीं, पशुओं का भी परम मित्र, महामानव, जितेंद्रिय, राजनीतिज्ञ, रणनीतिकार, दुर्धर्ष योद्धा, व्यर्थ की उदार-सद्गुण-विकृति विहीन, वीरों, महापुरुषों व महासंतों के प्रति श्रद्धावान—ऐसा बहुआयामी प्रतिभा-संपन्न, स्वधर्म प्रेमी, देशभक्त, अपने ही बल पर एक सुदृढ राष्ट्र-शक्ति का निर्माण करने में सफल हुआ— चंपतसुत छत्रसाल बुंदेला। ‘कुत्ते की समाधि’ तथा ‘बऊवाजी की हवेली’ उनके पशुप्रेम तथा जितेंद्रिय चरित्र के साक्षी हैं। औरंगजेब जैसे आततायी के विरुद्ध लड़े गए 252 युद्ध उनके प्रभावी योद्धा होने का
प्रमाण हैं। मुगलों के क्रूर व अत्याचारी प्रशासन से मुक्ति दिलाकर, एक स्वतंत्र तथा आत्मसम्मान से परिपूर्ण हिंदू राज्य की स्थापना, हिंदुओं के धर्म-परिवर्तन प्रक्रिया की समाप्ति, गौ, ब्राह्मण व वेद के सम्मान की स्थापना—ये सब कार्य उन्हें युगपुरुष सिद्ध करते हैं।
तेरह वर्ष के अनाथ बालक ने, जिसे मुगलों के भय के कारण सगी बहन व अन्य रिश्तेदारों तथा परम हितैषी समझे जानेवाले पुरोहित भान ने भी आश्रय देने से मना कर दिया, जिस धैर्य व सूझबूझ से मताई-बाप की मुगल सत्ता-उन्मूलन रूपी अंतिम इच्छा की पूर्ति के लिए विपरीत परिस्थितियों में 70 वर्षों तक संघर्ष किया, अत्याचारी व विधर्मी मुगल सत्ता को उखाड़ फेंकने का उद्यम प्रारंभ किया, वह छत्रसाल बुंदेला आज के जागरूक भारतीय युवा ही नहीं, संपूर्ण विश्व के उदीयमान युवकों के लिए अनुकरणीय है।
कालजयी योद्धा छत्रसाल बुंदेला के जीवन पर आधारित रोमांचित कर देनेवाला पठनीय उपन्यास।

 

The Author

Om Parkash Pahuja

डॉ. ओम प्रकाश पाहूजा ने भारत के प्रसिद्ध शिक्षा केंद्रों से विभिन्न उपाधियाँ प्राप्त कीं—हिंदू महाविद्यालय, सोनीपत से स्नातक; होल्कर विज्ञान महाविद्यालय, इंदौर से स्नातकोत्तर तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के भौतिकी तथा खगोल-भौतिकी विभाग से विद्या-वाचस्पति की उपाधि।

सन् 1972 से 2007 तक राजधानी महाविद्यालय (दिल्ली विश्वविद्यालय) के भौतिकी तथा इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग में अध्यापन कार्य करते रहे। इससे पूर्व हिंदू महाविद्यालय, सोनीपत में छह वर्षों तक भौतिकी के प्राध्यापक रहे।

अध्यापन तथा सामाजिक कार्य इनके जीवन का उद्देश्य है। इनका सामाजिक जीवन स्वामी दयानंद, स्वामी विवेकानंद तथा महर्षि अरविंद जैसे दिव्य पुरुषों तथा दार्शनिकों से प्रेरित है। अध्यापन काल में नाभिकीय-भौतिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा कंप्यूटर के मौलिक सिद्धांत आदि उनके रुचिकर विषय रहे हैं। ‘Solid State Physics’; ‘India : A Nuclear Weapon State’; ‘India’s Nuclear Might’;  ‘नाभिकीय अस्त्र-संपन्न भारत’; ‘वयम् हिंदवः’ उनकी पूर्व लिखित पुस्तकें हैं।

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