Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Colonel Jim Corbett

₹250

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author K.R. Pandey
Features
  • ISBN : 9789380186818
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 2012
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • K.R. Pandey
  • 9789380186818
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2012
  • 2018
  • 128
  • Hard Cover
  • 200 Grams

Description

जिम’ कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई, 1875 को नैनीताल में हुआ था। उन्हें ब्रिटेन में शिकारी, प्रकृतिविद्, लेखक और जीव-संरक्षणवादी के रूप में जाना जाता है; लेकिन भारत में वह इन सभी से ज्यादा नरभक्षी बाघों और तेंदुओं के शिकारी के रूप में जाने जाते हैं।18 साल के होते-होते जिम ने पढ़ाई छोड़ दी। उन्हें बिहार के मोकामा घाट, बंगाल और नॉर्थ-वेस्टर्न रेलवे में फ्यूल इंस्पेक्टर की नौकरी मिल गई।ब्रिटिश इंडियन आर्मी में कॉर्बेट को कर्नल का पद दिया गया था। उस दौरान कुमाऊँ और गढ़वाल क्षेत्रों के गाँवों में नरभक्षी बाघों और तेंदुओं का आतंक था। जिम कॉर्बेट ने इन इलाकों में 33 बाघों और तेंदुओं का सफाया करके लोगों को इनके आतंक से मुक्‍ति दिलाई थी।जिम को बाघों और उनके निवास से बेहद लगाव रहा। उन्होंने अपनी पुस्तकों में बाघों और तेंदुओं के परिवार, उनके आचरण, उनकी दिनचर्या और उनके निवास आदि से संबंधित ढेरों जानकारियाँ दी हैं।कर्नल जिम कॉर्बेट की जीवनी के माध्यम से जंगल की अनजान दुनिया व अनजानी बातें बताती और एक सहज-स्वाभाविक जिज्ञासा जगाती अत्यंत पठनीय पुस्तक।

The Author

K.R. Pandey

के.आर. पांडे का जन्म 15 मार्च, 1943 को उत्तराखंड के एक छोटे से गाँव ढुंगाधारा, जिला पिथौरागढ़ में हुआ। मैट्रिक करने के बाद नौकरी की चाह में सन् 1961 में दिल्ली आ गए। अपने सेवाकाल में इन्होंने सर्वश्री प्रकाशवीर शास्‍‍त्री, अटल बिहारी वाजपेयी एवं पी.वी. नरसिंह राव के साथ कार्य किया तथा उनके साथ लगभग चालीस से अधिक देशों की यात्राएँ कीं। सैंतीस साल की सरकारी नौकरी के पश्‍चात् 31 मार्च, 2003 को लोकसभा सचिवालय से सेवानिवृत्त हुए। इन्होंने सेवानिवृत्ति के उपरांत अपने मित्रों एवं सहयोगियों के आग्रह पर लिखना प्रारंभ किया। इससे पहले संस्मरणात्मक पुस्तक ‘अतीत के कुछ पन्ने’ प्रकाशित हो चुकी है। एक दर्जन से अधिक कहानियाँ एवं लेख विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW