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Subhash Chandra Bose Ki Adhoori Atmkatha   

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Author Sugata Bose , Sisir Kumar Bose
Features
  • ISBN : 9789353224356
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Sugata Bose , Sisir Kumar Bose
  • 9789353224356
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2019
  • 288
  • Hard Cover

Description

सुभाषचंद्र बोस की ‘भारत की खोज’, जवाहरलाल नेहरू की तुलना में उनके जीवन में काफी पहले ही हो गई, यानी उन दिनों वे अपनी किशोरावस्था में ही थे। वर्ष 1912 में पंद्रह वर्षीय सुभाष ने अपनी माँ से पूछा था, ‘स्वार्थ के इस युग में भारत माता के कितने निस्स्वार्थ सपूत हैं, जो अपने निजी स्वार्थ को त्याग कर इस आंदोलन में हिस्सा ले सकते हैं? माँ, क्या तुम्हारा यह बेटा अभी तैयार है?’’ 1921 में भारतीय सिविल सेवा से त्यागपत्र देकर वह आजादी की लड़ाई में कूदने ही वाले थे कि उन्होंने अपने बड़े भाई शरत को पत्र लिखा, ‘‘केवल बलिदान और कष्ट की भूमि पर ही हम अपने राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।’’ दिसंबर 1937 में बोस ने अपनी आत्मकथा के दस अध्याय लिखे, जिसमें 1921 तक की अपनी जीवन का वर्णन किया था और ‘माई फेथ-फिलॉसोफिकल’ शीर्षक का एक चिंतनशील अध्याय भी था। सदैव ऐसा नहीं होता कि जीवन के बाद के समय में लिखे संस्मरणों को शुरुआती, बचपन के दिनों की प्राथमिक स्रोत की सामग्री के साथ पढ़ा जाए।
बोस के बचपन, किशोरावस्था व युवावस्था के दिनों के सत्तर पत्रों का एक आकर्षक संग्रह इस आत्मकथा को समृद्ध बनाता है। इस प्रकार यह ऐसी सामग्री उपलब्ध कराता है, जिसकी सहायता से उन धार्मिक, सांस्कृतिक, नैतिक, बौद्धिक तथा राजनीतिक प्रभावों का अध्ययन किया जा सकता है, जिनसे भारत के इस सर्वप्रथम क्रांतिधर्मी राष्ट्रवादी के चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण हुआ।

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अनुक्रम

परिचय —Pgs. 5

संपादकीय —Pgs. 7

भाग-1

एक भारतीय तीर्थयात्री

1. जन्म, पालन-पोषण और शुरुआती माहौल —Pgs. 17

2. पारिवारिक इतिहास —Pgs. 23

3. मेरे समय से पहले —Pgs. 29

4. स्कूल (1)  —Pgs. 35

5. स्कूल (2) —Pgs. 42

6. प्रेसीडेंसी कॉलेज (1) —Pgs. 63

7. प्रेसीडेंसी कॉलेज (2)  —Pgs. 82

8. मेरे अध्ययन की पुनः शुरुआत —Pgs. 90

9. कैंब्रिज के दिन —Pgs. 106

10. मेरा दार्शनिक विश्वास —Pgs. 127

भाग-2

पत्र :  सन् 1912-1921

पत्र :  1912-1921 —Pgs. 137

भाग-3

परि​शिष्ट

1. महीनगर के बोस लोगों की वंश-परंपरा —Pgs. 249

2. हटखोला के दत्त लोगों की वंश-परंपरा —Pgs. 252

3. जानकीनाथ बोस (संक्षिप्त परिचय) —Pgs. 254

4. पुरंदर खान और महीनगर समाज  —Pgs. 258

5. प्रेसीडेंसी कॉलेज में अनुशासन —Pgs. 266

6. प्रेसीडेंसी कॉलेज की परेशानी—एक वास्तविक स्थिति —Pgs. 279

7. सुभाषचंद्र बोस —Pgs. 281

8. स्कॉटिश चर्च कॉलेज —Pgs. 283

 

The Author

Sugata Bose

सुगत बोस हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग में महासागरीय इतिहास मामलों के प्रोफेसर हैं।

Sisir Kumar Bose

शिशिर कुमार बोस (1920-2000) ने सन् 1957 में नेताजी रिसर्च ब्यूरो का शुभारंभ किया और मृत्युपर्यंत सन् 2000 तक इसके प्रेरणास्रोत रहे। भारत के स्वाधीनता आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया और अंग्रेजों द्वारा उन्हें लाहौर किले, लाल किले और लायलपुर जेल में कैद किया गया। स्वातंत्र्योत्तर भारत में बालरोग विशेषज्ञों में प्रमुख माने गए। अपने व्यस्त चिकित्सा-कार्यों में से समय निकालकर उन्होंने गैर-सामंती गतिविधियों की प्रमुख घटनाओं को संरक्षित करने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया और सही इतिहास लेखन को संभव बनाया।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अनुज श्री शरतचंद्र बोस और विभावती बोस के पुत्र शिशिर बोस ने जनवरी 1941 में सुभाष बाबू के भारत से विदेश गमन की योजना बनाने और इसके क्रियान्वयन में सक्रिय भूमिका निभाई। वे इस ऐतिहासिक यात्रा के पहले चरण में कार चलाकर नेताजी को कलकत्ता से गोमोह ले गए। उन्होंने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ और द्वितीय विश्व युद्ध में नेताजी की भूमिगत क्रांतिकारी गतिविधियों में भी भाग लिया। सितंबर 1945 में जेल से छूटने के बाद उन्होंने कलकत्ता, लंदन तथा वियना से अपनी चिकित्सीय पढ़ाई पूरी की। बाद में वे बॉस्टन के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में रॉकफेलर फेलो भी बने। 1995 में उन्होंने कृष्णा बोस से विवाह किया। उनके दो पुत्र व एक पुत्री हैं।

 

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