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Author Purnima Kedia 'Annpurna'
Features
  • ISBN : 9789380186351
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Purnima Kedia 'Annpurna'
  • 9789380186351
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2011
  • 176
  • Hard Cover

Description

“...क्या आप भी वाल्मीकि—पत्नी जैसी ही हैं, जिसे केवल पति की कमाई से मतलब होता है, चाहे वह चोरी, डकैती या हत्या से ही क्यों न आई हो?” “तुमने उसे पैसे का महत्त्व समझाया होगा। प्रेम और सद्भावना का महत्त्व क्यों नहीं समझाया!” “उन लोगों पर मुझे गुस्सा आ रहा था। विभा के जीते-जी तो ये लोग एक बार भी नहीं देखने आए, और अब?...पता नहीं रेणुका का रोना चिल्लाना नाटक था या सच?” गुणों और कार्यों के आधार पर बने समाज को जन्म के आधार पर हमने कब बाँट दिया और क्यों? आखिर क्यों? निमली क्या कभी ‘निर्मली’ नहीं हो सकती? “छिह-छिह मौसी, इसे कुत्ता-कुतिया मत कहिए। यह तो मेरा सब कुछ है, मेरा स्वीट हार्ट। आपके वे दहेज से खरीदे हुए जानवर तो निश्छल प्यार के बदले मार देते हैं। और यह तो प्यार के बदले प्यार देना जानता है।”
“नेहा का चेहरा सूख गया। मैडम उसके घर क्यों आना चाहती थीं? न जाने कौन सा दंड मुकर्रर हुआ है उसके लिए।” “...देखो न, तुम लोग पराया धन होकर भी माँ-बाप का कितना ख्याल रखती हो और मेरे बेटों को महीनों तक एक फोन करने की भी फुरसत नहीं मिलती।” “एक नारी की गलती के कारण आप नारी मात्र को मंदबुद्धि नहीं कह सकते, न उसकी औकात को चुनौती दे सकते हैं!” उसकी माँ भी झाँसी की रानी हैं। वे भी अपने बच्चों को पीठ पर बाँधकर जीवन का युद्ध लड़ती हैं। वे हार नहीं सकतीं। कभी नहीं हार सकतीं! “लेकिन इसका इलाज मर जाना तो नहीं है। यह भी तो जीवन के साथ दगाबाजी करना ही है।” “सच तो यह है कि जिन-जिन प्रांतों से हम या हमारे पुरखे जुड़े रहे, वे सभी प्रांत हमें अपने लगते हैं। हम किसी एक प्रांत के नहीं। ... पर हाँ, हम एक देश के हैं शुद्ध भारतीय, भारत के भारतीय!”
(इन्हीं कहानियों से)

The Author

Purnima Kedia 'Annpurna'

जन्म : 7 अक्‍तूबर, 1944 को छाताटांड, धनबाद (झारखंड) में।
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी., डी. लिट्.।
प्रकाशन : ‘कच्चें सूत का बंधन’, नया संस्करण ‘अनोखा बंधन’ नाम से, ‘अर्चना’ एवं ‘तट पर डूबती नाव’ (उपन्यास), ‘कसाई गली’ (कहानी संकलन), ‘ओडि़या और हिंदी रीति साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन’ (अनुवाद), ‘हिंदी रामकाव्य में नारी’ (शोध), ‘ओडि़या साहित्य का इतिहास’ (साहित्येतिहास) एवं प्रतिष्‍ठ‌ित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।
सम्मान-पुरस्कार : ‘राधाकृष्ण पुरस्कार’, ‘चिमनलाल भालोटिया साहित्य सेवा सम्मान’, ‘छाँव’ कहानी, ‘वीनणीजी’ (राजस्धानी) नाटक, ‘रत्‍नावली की व्यथा’ कविता, ‘तुलसीदास’ नामक निबंध और कई विचार-मंथन विभिन्न प्रतियोगिताओं में विचार पुरस्कृत।
‘सीढि़याँ’ कहानी केंद्रीय बोर्ड की पाठ्य-पुस्तक ‘सुनो कहानी’ भाग-9 में संकलित। आकाशवाणी से अनेक कविताएँ, कहानियाँ और नाटक प्रसारित। मंच पर कई नाटकों का भारत में एवं एक नाटक का नेपाल में सफल मंचन।
अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, ब्रिटेन और स्विट्जरलैंड की यात्रा।

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