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Ramagya    

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Author Vijay Kranti
Features
  • ISBN : 9789392013768
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Vijay Kranti
  • 9789392013768
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2024
  • 108
  • Soft Cover
  • 120 Grams

Description

रामाज्ञा शब्द मात्र ही नहीं, अनंत अशेष गहराइयों से परिपूर्ण अर्थ है। प्रत्येक व्यक्ति विशेष का आकलन अलग-अलग पर एक लक्ष्य में समाहित है। महाकाव्य रामायण को एक अनुज काव्य में लिखने का प्रयत्न है। यदि सारांश अवलोकित करें तो भिन्न-भिन्न पहलुओं का समावेश है ।

वचन: रघुवंश के लिए प्राण से भी बढ़कर उनका वचन था, परिणामस्वरूप महाराजा दशरथ को अपने प्राण को त्यजना पड़ा।

आज्ञाकारिता : पिता और गुरुजन की आज्ञा सदैव श्रीराम और सभी भाइयों के लिए प्रथम और प्रथम और पूजयनीय कार्य था।

लालसा : कैकेयी की तृष्णा के फलस्वरूप महाराज दशरथ का देहावसान और श्रीराम 'जानकी' लक्ष्मण का वनगमन । परिणामस्वरूप भरत की राज्याभिषेक से अस्वीकृति ।

परस्त्री तृष्णा! रावण के अमरत्व को काल की शैया तक पहुँचा दिया।

प्रेम : तीनों माताओं के वात्सल्य का अनूठा संगम। भरत का भातृप्रेम! चौदह वर्ष तक एक तपस्वी परिवेश का पालन करना। माता शबरी की भगवान् श्रीराम की प्रतीक्षा अनुरक्ति, प्रेम का प्रभाव सदैव प्रत्येक प्राणी पर होता है अपितु भाषा कोई भी हो ।

मित्रता : सच्ची मित्रता बड़ी से बड़ी कठिनाइयों का सामना निस्स्वार्थ भाव से करती हैं। प्रभु श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता ।

भक्ति : निस्स्वार्थ भक्तिभाव हमेशा अपने प्रभु को आकर्षित करता है। हनुमानजी हमेशा इसके पर्याय हैं और रहेंगे

वियोग : सबके अपने-अपने वियोग ! पर लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला के वियोग का आकलन करना सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है।

एकता : आपसी सामंजस्य! सेतुसमुद्रम् परिणाम और अंततः असत्य पर सत्य की विजय हमें रामपथ पर चलने के लिए प्रेरित करती रहेगी।

The Author

Vijay Kranti

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