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Raja Birbal   

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Author Kailash Chandra Bhatia
Features
  • ISBN : 8188140562
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Kailash Chandra Bhatia
  • 8188140562
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2011
  • 108
  • Hard Cover

Description

अपने विशिष्ट गुणों के कारण बीरबल ने अकबर के नवरत्नों में अपना स्थान बनाया। आमतौर पर बीरबल को हँसोड़, चुटकुलेबाज और मजाकिया व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। परंतु बीरबल मूलत: कवि थे और ‘ब्रह्म’ नाम से काव्य-रचना किया करते थे। उनमें विपुल सृजनात्मक प्रतिभा और क्षमता थी, जिसके चलते उन्होंने ‘गीता’ का फारसी भाषा में अनुवाद भी किया।
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि बीरबल को ‘राजा’ और ‘बीरबल’ की उपाधियाँ तो बाद में मिलीं, पर सबसे पहले अकबर जैसे सम्राट् ने उनको ‘कविराय’ की उपाधि से विभूषित किया।
प्रस्तुत पुस्तक में राजा बीरबल के साहित्यिक स्वरूप व उनके बहुआयामी व्यक्तित्व को प्रामाणिकता के साथ प्रस्तुत किया गया है। इससे सुधी पाठक राजा बीरबल के समग्र रूप का दिग्दर्शन कर अपना ज्ञानवर्धन कर सकेंगे।

The Author

Kailash Chandra Bhatia

भाषा विज्ञान तथा हिंदी भाषा के विविध पक्षों पर अनुसंधान के साथ-साथ साहित्य की नवीन विधाओं की ओर प्रवृत्त। मदन मोहन मालवीय पुरस्कार, अयोध्याप्रसाद खत्री पुरस्कार, नातालि पुरस्कार आदि से सम्मानित। आगरा तथा अलीगढ़ विश्‍वविद्यालय से संबद्ध रहे। भूतपूर्व प्रोफेसर तथा अध्यक्ष, हिंदी तथा प्रादेशिक भाषाएँ, लाल बहादुर शास्त्री राष्‍ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी। पूर्व निदेशक, वृंदावन शोध संस्थान, वृंदावन। भारत सरकार के अनेक मंत्रालयों की राजभाषा सलाहकार समितियों के सदस्य। रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ इंग्लैंड के फेलो।
प्रमुख रचनाएँ : अंग्रेजी-हिंदी अभिव्यक्ति कोश, अंग्रेजी-हिंदी शब्दों का ठीक प्रयोग, भारतीय भाषाएँ, शब्दश्री, अखिल भारतीय प्रशासनिक कोश, अनुवाद कला : सिद्धांत और प्रयोग, कामकाजी हिंदी, व्यावहारिक हिंदी, विधा-विविधा, भाषा-भूगोल, हिंदी भाषा शिक्षण, हिंदी की बेसिक शब्दावली, हिंदी काव्य भाषा की प्रवृत्तियाँ, रोडा कृत राउलवेल, हिंदी साहित्य की नवीन विधाएँ, उभरी-गहरी रेखाएँ (सं.), हिंदी भाषा में अक्षर तथा शब्द की सीमा, ब्रजभाषा तथा खड़ी बोली का तुलनात्मक अध्ययन, हिंदी साहित्य का वृहद् इतिहास : अद्यतन काल (सं.), हिंदी भाषा : स्वरूप और विकास, राजभाषा हिंदी, मानक हिंदी वर्तनी, संक्षेपण और पल्लवन, प्रयोजनमूलक हिंदी।

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