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R.K. Narayan Ki Lokpriya Kahaniyan   

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Author R.K. Narayan
Features
  • ISBN : 9789351865445
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more

More Information

  • R.K. Narayan
  • 9789351865445
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2020
  • 176
  • Hard Cover

Description

"अरे! सिरदर्द हो रहा है।’’
‘‘इतवार को आवारागर्दी कम किया करो, सोमवार को सिरदर्द नहीं होगा।’’
स्वामी जानता था कि उसके पिता कितने सख्त हैं, इसलिए उसने तुरंत दूसरा बहाना बनाया, ‘‘मैं इतनी देर से कक्षा में नहीं जा सकता।’’
‘‘मैं मानता हूँ, लेकिन फिर भी जाना पड़ेगा। गलती तुम्हारी है।न जाने का फैसला लेने से पहले तुम्हें मुझसे पूछना चाहिए था।’’
‘‘इतनी देर से जाऊँगा तो टीचर क्या सोचेंगे!’’
‘‘उन्हें भी बता देना कि सिर में दर्द हो रहा था, इसलिए देर हो गई।’’
‘‘मैं ऐसा कहूँगा तो वह मुझे मारेंगे।’’
‘‘मारेंगे? कौन मारेंगे? देखता हूँ। नाम बताओ उनका।’’
‘‘सैमुअल।’’
‘‘क्या वह बच्चों को मारते हैं?’’
‘‘बहुत! बहुत मारते हैं, खासकर उन लड़कों को जो कुछ ज्यादा ही देर से आते हैं। कुछ दिन पहले देर से आनेवाले एक लड़के को उन्होंने कक्षा के एक कोने में पूरे पीरियड घुटनों पर खड़े रखा था। इतने से भी उनका जी नहीं भरा। उसे छड़ी से छह बार पीटा और कान भी मरोड़े। मैं सैमुअल सर की क्लास में देर से बिल्कुल भी नहीं जाना चाहूँगा।’’
—इसी संग्रह से
‘मालगुडी डेज’ जैसी लोकप्रिय रचना के महान् लेखक आर.के. नारायण ने उपन्यास के अलावा हमारे आस-पास के परिवेश की बहुत मर्मस्पर्शी कहानियाँ भी लिखी हैं। प्रस्तुत संग्रह में उनकी चर्चित और लोकप्रिय कहानियाँ चुनी गई हैं, जो हर आयुवर्ग के पाठकों को पसंद आएँगी।

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अनुक्रम

लेखक की कलम से — 5

1. ज्योतिषी का एक दिन — 11

2. खोई चिट्ठी — 18

3. डॉक्टर के शब्द — 28

4. अंधा कुत्ता — 36

5. पिता की मदद — 44

6. इंजन की परेशानी — 53

7. पैंतालीस रुपए महीना — 63

8. लॉली रोड — 71

9. शहीद का कोना — 80

10. बीवी की छुट्टियाँ — 89

11. इच्छा से गुलाम — 95

12. माँ और बेटा — 104

13. दूसरी राय — 110

14. भगवान् और मोची — 152

15. भूखा बच्चा — 163

The Author

R.K. Narayan

आर.के. नारायण का पूरा नाम रासीपुरम कृष्णस्वामी अय्यर नारायण स्वामी था। उनका जन्म 10 अक्तूबर, 1906 को हुआ। वे अंग्रेजी साहित्य के सबसे महान् उपन्यासकारों में गिने जाते हैं। उन्होंने दक्षिण भारत के काल्पनिक शहर ‘मालगुडी’ को आधार बनाकर अपनी रचनाएँ कीं।
आर.के. नारायण मैसूर के यादव गिरी में करीब दो दशक तक रहे। कहते हैं कि मैसूर स्थित घर में ही आर.के. नारायण ने ‘बेरूप’ उपन्यास लिखा था।
पच्चीस से अधिक उपन्यास व कहानी-संग्रह अंग्रेजी में प्रकाशित, तत्पश्चात् अनेक भारतीय व विदेशी भाषाओं में प्रकाशित होकर बहुप्रशंसित।
स्मृतिशेष : 13 मई, 2001।

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