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Hindutva Evam Rashtriya Punarutthan

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Author Subramaniam Swamy
Features
  • ISBN : 9789390101863
  • Language : Hindi
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  • Kindle Store

More Information

  • Subramaniam Swamy
  • 9789390101863
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2020
  • 256
  • Hard Cover
  • 515 Grams

Description

भारतीय समाज में व्यक्‍ति का उत्तरोत्तर अमानवीयकरण ही विगत साठ वर्षों के वैचारिक इतिहास का केंद्रीय तत्त्व रहा है। किसी भी समाज में यदि व्यक्‍ति का निरंतर अमानवीयकरण होता रहे, तो वह समाज कभी भी मजबूत नहीं हो सकता, चाहे कितना भी बड़ा भौतिक ढाँचा क्यों न खड़ा कर ले।
आज के दौर में जब नैतिक मूल्यों का पतन तथा चारित्रिक ह्रास हमारे राष्‍ट्रीय संकट का एक महत्त्वपूर्ण आयाम है, समाज में धर्म की पुनर्स्थापना आवश्यक है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो राष्‍ट्र धीरे-धीरे इस पतन के जहर से समाप्‍त हो जाएगा। यह पतन समाज में चारों ओर दिखाई दे रहा है। अधिकारी रिश्‍वत में पकड़े जा रहे हैं, राजनेता धन व पद के लिए दल-बदलने में लगे हैं, अध्यापक प्रश्‍न-पत्र बेच रहे हैं, छात्र नकल करके परीक्षा पास करना चाहते हैं, चिकित्सक अपने मरीजों से धोखाधड़ी करके पैसा कमा रहे हैं आदि। कमोबेश यह पतन प्रत्येक समाज में होता दिखता है, लेकिन जितना गहरा व जिस गति से यह भारतीय समाज में हो रहा है, वह खतरे की घंटी है। इस चारित्रिक पतन के कारण युवा वर्ग में गहरा रोष व कुंठा जन्म लेती जा रही है।
इस नैतिक पतन को रोकना अत्यावश्यक है। प्रश्‍न है कि यह कैसे होगा, इसे करने हेतु कौन नेता आगे आएगा? यह कार्य वही नेता कर सकता है, जिसके पास पुनरुत्थान की एक कार्यसूची (एजेंडा) हो तथा वह इसके प्रति समर्पित भी हो। इस कार्यसूची में कौन-कौन से कार्य शामिल किए जाने चाहिए।
इस पुस्तक में मैंने राष्‍ट्र पुनरुत्थान के लिए जो तत्त्व आवश्यक हैं, उनका प्रतिपादन मैंने यहाँ किया है, ताकि भारत की शान को पुनर्प्रतिष्‍ठित किया जा सके। हिंदुत्व के सहारे ही समाज में एक जन-जागरण शुरू किया जा सकता है, जिससे हिंदू अपने संकीर्ण मतभेदों—स्थान, भाषा, जाति आदि से ऊपर उठकर स्वयं को विराट्-अखंड हिंदुस्तानी समाज के रूप में संगठित करें, ताकि भारत को पुनः एक महान् राष्‍ट्र बनाया जा सके।

The Author

Subramaniam Swamy

डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी एक प्रखर विचारक, लोकतंत्र के सजग प्रहरी एवं भ्रष्‍टाचार के विरुद्ध संघर्ष में अग्रणी, निर्भीक एवं स्वच्छ छविवाले राजनेता हैं। वे पाँच बार सांसद रहे; चंद्रशेखर सरकार में वाणिज्य, विधि व न्याय मंत्री तथा नरसिम्हा राव सरकार में श्रम-मानक आयोग के अध्यक्ष रहे।
डॉ. स्वामी ने हार्वर्ड विश्‍वविद्यालय से अर्थशास्‍‍त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्‍त की। यह शोध कार्य उन्होंने नोबेल पुरस्कार प्राप्‍त अर्थशास्‍‍त्री सायमन कुजनेट्स के सान्निध्य में किया; बाद में वह हार्वर्ड विश्‍वविद्यालय में ही प्रोफेसर नियुक्‍त हुए, जहाँ उन्होंने एक अन्य नोबेल पुरस्कार प्राप्‍त अर्थशास्‍‍त्री पॉल सेम्युल्सन के साथ ‘सूचकांक (इंडेक्स नंबर) पर शोध प्रपत्र लिखे। वहाँ दस वर्षों तक अध्यापन के बाद भारत आकर आई.आई.टी. दिल्ली में प्रोफेसर नियुक्‍त हुए।
डॉ. स्वामी ने चीन सरकार से बातचीत करके कैलास मानसरोवर के द्वार खुलवाए और भारत से पहले तीर्थयात्री दल का नेतृत्व किया। रामसेतु मामले में उन्होंने न्यायालय में जाकर इसे तोडे़ जाने से रुकवाने में सफलता प्राप्‍त की।
डॉ. स्वामी ने आर्थिक, राजनीतिक व सामाजिक विषयों पर लगभग 20 महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का लेखन किया है, जो बहुचर्चित और बहुप्रशंसित हुई हैं।

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