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Author Rajnish Kumar Chaturvedi
Features
  • ISBN : 9788173157608
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Rajnish Kumar Chaturvedi
  • 9788173157608
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2010
  • 120
  • Hard Cover

Description

'हिंदी ही नहीं, प्रत्युत . समूची पत्रकारिता में भाई श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार का नाम आध्यात्मिक पत्रकारिता के शिखर पर प्रतिष्ठित है । यद्यपि उन्हें औपचारिक शिक्षा का सुयोग्य प्राप्त नहीं हुआ, परंतु अपने अध्यवसाय से उन्होंने असाधारण विद्वत्ता का अर्जन किया । 'कल्याण' के संपादक और गीता प्रेस गोरखपुर के सूत्रधार के रूप में उन्होंने भारतीय वाड्मय को घर-घर पहुँचाने का अद्भुत उद्योग किया। वेद, पुराण, उपनिषद् महाभारत, गीता, रामायण सदृश्य आध्यात्मिक, सांस्कृतिक धरोहर को परिशुद्ध रूप जनसाधारण की पहुँच की परिधि में लाने के लिए भाईजी ने जो कार्य किया, उसे एकनिष्ठ कठोर तपस्या की कोटि में ही रखा जा सकता है । कल्याण का संपादन करने के लिए भाईजी ने जो सिद्धांत अंगीकृत और व्यवहृत किए उनमें महात्मा गांधी के द्वारा सुझाए गए ये दो सिद्धांत भी सम्मिलित हैं-एक, कोई बाहरी विज्ञापन प्रकाशित नहीं करना और दो, समालोचना प्रकाशित न करना । आध्यात्मिक पत्रिका 'कल्याण' की संपादन नीति में उन्होंने सभी धर्मों, मतों एवं संप्रदायों के उत्तम सिद्धांतों का आदर करना, किसी भी धर्म अथवा संप्रदाय का खंडन करनेवाले लेखों को स्थान नहीं देना, तर्क के स्थान पर आस्था पर जोर देना, सदाचार को सर्वोच्च स्थान देना आदि को वरीयता दी । डी. रजनीश कुमार चतुर्वेदी ने इस पुस्तक में भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार के संपादक-स्वरूप का बखूबी चित्रण किया है।

The Author

Rajnish Kumar Chaturvedi

स्नातकोत्तर उपाधिधारी डॉ. रजनीश कुमार चतुर्वेदी ने अध्यात्म की लोकमान्य पत्रिका 'कल्याण' का गहन अध्ययन किया है । 'भाईजी' के नाम से संबोधन से संबोधित श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार उनके लिए आदर, अध्ययन और विश्लेषण का विषय रहे हैं । उसी भाव में डूबकर उन्होंने इस मोनोग्राफकी रचना की । 

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