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Ganesh Shankar Vidyarthi   

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Features
  • ISBN : 9788173158605
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • 9788173158605
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2010
  • 120
  • Hard Cover

Description

मर्म को छू लेने वाली प्रभावी अभिव्यक्‍त‌ि और सहज ग्राह्य संप्रेषण क्षमता के धनी गणेश शंकर विद्यार्थी हिंदी पत्रकारिता के शिरोमणि संपादक हैं। समग्र भारतीय पत्रकारिता जगत् के जाज्वल्यमान नक्षत्र हैं। सिद्धांत और आदर्श को आचरण में उतारने की खरी कसौटी के कारण वे प्रकाशपुंज के रूप में समादृत हैं। अध्ययनशीलता और अध्यवसाय ने उन्हें विश्‍व परिदृश्य का ज्ञान कराया तथा इतिहास, साहित्य और संस्कृति की समझ विकसित की। राष्‍ट्रीयता के प्रबल संस्कार दिए और स्वतंत्रता संग्राम में प्रवृत्त किया। किसान और मजदूर उनके चिंतन के केंद्र में रहे तथा इनके हित और हक के लिए संघर्ष को गणेशजी ने अपनी पत्रकारिता का कर्तव्य माना। महात्मा गांधी के मार्ग का अनुकरण करने के बावजूद क्रांति और क्रांतिकारियों के प्रति उनका मानस चैतन्य रहा और कभी उनकी सहायता से विरत नहीं हुए।
हिंदी पत्रकारिता, हिंदी साहित्य और हिंदी भाषा को उनका अवदान अन्यतम है। गणेशजी ने पत्रकारों और साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को संस्कारित कर राष्‍ट्र-सेवा में प्रवृत्त किया। ‘प्रताप’ और ‘प्रभा’ उनके जीवंत स्मारक हैं। वे सांप्रदायिकता को राष्‍ट्रीयता का सबसे बड़ा शत्रु मानते थे और सर्वधर्म सद‍्भाव में उनकी अडिग आस्था थी। इसी जीवन-मूल्य की रक्षा करते हुए वे शहीद हो गए।
भारतीय पत्रकारिता के महर्षि, स्वाधीनता आंदोलन के अनन्य सैनानी एवं क्रांतिकारी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी के व्यक्‍त‌ित्व-कृतित्व को साकार करती अत्यंत उपयोगी एवं पठनीय पुस्तक।

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