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Dr. Hedgewar-Shri Guruji Prashnottari   

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Author Mahesh Dutt Sharma
Features
  • ISBN : 9788177213751
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : Ist
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  • Kindle Store

More Information

  • Mahesh Dutt Sharma
  • 9788177213751
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • Ist
  • 2018
  • 160
  • Hard Cover

Description

विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार अपने सामने बचपन से ही एक उच्चतम ध्येय रखकर काम करते रहे। संघ-कार्य का जैसे-जैसे विस्तार हुआ, समाज में देशभक्ति, आत्मविश्वास, एकता की भावना और राष्ट्रीय गौरव-बोध जैसे गुणों की वृद्धि हुई है। डॉ. हेडगेवार ने राष्ट्र-निर्माण के लिए कटिबद्ध असंख्य जीवनदानी विभूतियों को प्रेरित किया, जिनकी साधना और तपस्या की नींव पर खड़ा संघ वैश्विक स्तर पर सेवा-संस्कृति-जागरण के महती कार्य कर रहा है।
संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य ‘श्रीगुरुजी’ ने लगभग 33 वर्ष तक संघ प्रमुख के नाते न केवल संघ को वैचारिक आधार प्रदान किया, उसके संविधान का निर्माण कराया, उसका देश भर में विस्तार किया, पूरे देश में संघ शाखाओं को फैलाया, बल्कि इस दौरान देश विभाजन, भारत की आजादी, गांधी-हत्या, भारत-पाकिस्तान के बीच तीन-तीन युद्ध (कश्मीर सहित) एवं चीन द्वारा भारत पर आक्रमण जैसी ऐतिहासिक घटनाओं के भी वे साक्षी बने और उस इतिहास के निर्माण में लगातार हस्तक्षेप भी किया।
प्रस्तुत पुस्तक में दोनों सरसंघचालकों के जन्म से लेकर उनके महापरिनिर्वाण तक की समूची विकास-यात्रा रोचक प्रश्नोत्तर रूप में दी गई है, जो भारत के इतिहास को एक नया दृष्टिकोण प्रदान करती है।

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अनुक्रम

अपनी बात—5

डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार—13

1. जीवन परिचय—23

2. वंदे मातरम्—28

3. अध्ययन और क्रांति-दीक्षा—32

4. सशस्त्र क्रांति की तैयारी—35

5. मातृभति-भाव का जागरण—39

6. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ—46

7. संघ-विस्तार—51

8. संघ के विकास-सूत्र —56

9. कारावास और संघ-विस्तार—61

10. हिंदूधर्म एवं संस्कृति की रक्षा—67

11. संघ के बढ़ते कदम—73

12. राष्ट्रीय दृष्टिकोण—77

13. उाराधिकारी की खोज—82

14. महाप्रयाग —88

उारमाला—93

श्रीगुरुजी गोलवलकर—99

1. बचपन—105

2. शिक्षा—110

3. राष्ट्र-निर्माण—117

4. अग्नि-परीक्षा—123

5. संगठन-कौशल—131

6. विदाई की वेला—140

7. विविधा—148

उारमाला—156

The Author

Mahesh Dutt Sharma

हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक महेश दत्त शर्मा का लेखन कार्य सन् 1983 में आरंभ हुआ, जब वे हाईस्कूल में अध्ययनरत थे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से 1989 में हिंदी में स्नातकोत्तर। उसके बाद कुछ वर्षों तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए संवाददाता, संपादक और प्रतिनिधि के रूप में कार्य। लिखी व संपादित दो सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाश्य। भारत की अनेक प्रमुख हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक विविध रचनाएँ प्रकाश्य।
हिंदी लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त, प्रमुख हैं—मध्य प्रदेश विधानसभा का गांधी दर्शन पुरस्कार (द्वितीय), पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलाँग (मेघालय) द्वारा डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति पुरस्कार, समग्र लेखन एवं साहित्यधर्मिता हेतु डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, नटराज कला संस्थान, झाँसी द्वारा लेखन के क्षेत्र में ‘बुंदेलखंड युवा पुरस्कार’, समाचार व फीचर सेवा, अंतर्धारा, दिल्ली द्वारा लेखक रत्न पुरस्कार इत्यादि।
संप्रति : स्वतंत्र लेखक-पत्रकार।

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