Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Birsa Munda   

₹350

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Gopi Krishna Kunwar
Features
  • ISBN : 9789380183039
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Gopi Krishna Kunwar
  • 9789380183039
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2021
  • 136
  • Hard Cover

Description

सन् 1890-92 के कालखंड में छोटा नागपुर के अधिकतर वनवासी चर्च के पादरियों के बहकावे में आकर ईसाई बन गए थे। बिरसा मुंडा का परिवार भी इनमें शामिल था, परंतु शीघ्र ही पादरियों की असलियत भाँपकर बिरसा न केवल ईसाई मत त्यागकर हिंदू धर्म में लौट आए, वरन् उन्होंने उस क्षेत्र के अन्य वनवासियों की हिंदू धर्म में वापसी कराई। यही बिरसा मुंडा आगे चलकर एक महान् क्रांतिकारी तथा ‘धरती-आबा’ (जगत्-पिता) के नाम से विख्यात हुए। बिरसा मुंडा ने अपने समाज के लोगों को पवित्र जीवन की शिक्षा दी। देश को स्वतंत्र कराने के प्रयास में अत्याचारी अंग्रेजों के विरुद्ध अपने समाज के लोगों में क्रांति-ज्वाला धधकाई। आखिर घबराकर अंग्रेज सरकार ने छल-कपट का सहारा लिया। उसने बिरसा को पकड़वाने पर 500 रुपए के इनाम की घोषणा की। अनेक मुंडा सरदारों पर भी इनाम घोषित कर दिए गए। आखिरकार विश्वासघातियों की मुखबिरी से रात में सोते समय बिरसा को बंदी बना लिया गया।
जीवित रहते हुए बिरसा मुंडा ने अपने शौर्यपूर्ण कार्यों से अंग्रेज सरकार की नींद उड़ा दी थी, मृत्यु के बाद भी वह उसके लिए भय का कारण बने रहे। इसलिए सुवर्ण रेखा नदी के घाट पर बिरसा का शव जेल-कर्मचारियों द्वारा कंडों की आग में गुपचुप तरीके से जला दिया गया। इसकी किसी को भनक तक नहीं लगी। प्रस्तुत है एक आदिवासी क्रांतिकारी, देशप्रेमी, समाज-उद्धारक बिरसा मुंडा की पठनीय एवं प्रेरणादायी जीवनी।

________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________

अनुक्रम

अपनी बात — Pgs. 7

1. जन्म एवं वंशबेल — Pgs. 13

2. धर्म-परिवर्तन — Pgs. 19

3. आरंभिक शिक्षा — Pgs. 25

4. बिरसा डेविड — Pgs. 30

5. विद्रोह की चिनगारी — Pgs. 35

6. मुंडा सरदार मनोनीत — Pgs. 40

7. महात्मा बिरसा — Pgs. 44

8. बिरसैत पंथ — Pgs. 48

9. स्वधर्म-प्रेरणा — Pgs. 51

10. समाज-सुधार की राह — Pgs. 57

11. बंदी बिरसा — Pgs. 63

12. जेल में दो साल — Pgs. 71

13. राख में दबी चिनगारी — Pgs. 80

14. जेल से रिहाई — Pgs. 85

15. हमें अधिकार चाहिए — Pgs. 89

16. सशत्र आंदोलन का उद्घोष — Pgs. 96

17. पहली सशत्र क्रांति — Pgs. 103

18. अंग्रेजी दमन — Pgs. 108

19. जीवट क्रांतिकारी — Pgs. 111

20. विद्रोह का अंत — Pgs. 117

21. कैद में मृत्यु — Pgs. 122

22. बिरसा-प्रंग — Pgs. 128

The Author

Gopi Krishna Kunwar

गोपी कृष्ण कुँवर
जन्म : 30 दिसंबर, 1970।
शिक्षा : एम.ए., बी.जे.।
वर्ष 2000 से साक्षरता अभियान से जुड़े हैं, सामाजिक कार्यों में रुचि, विभिन्न सामाजिक संगठनों से भी जुड़े हैं।
उत्कृष्ट कार्य के लिए चार बार ‘अक्षर श्री’ सम्मान प्राप्त हुआ। वर्ष 2007 में उत्तर साक्षरता कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभादेवी सिंह पाटिल द्वारा ‘सत्येन मैत्रा स्मृति साक्षरता पुरस्कार’ प्रदान किया गया।
‘प्रभात खबर’ समाचार-पत्र के ब्यूरो प्रमुख, लोहरदगा आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं पी.टी.आई. के संवाददाता।
संपर्क : कुँवर भवन, अपर बाजार, लोहरदगा (झारखंड)।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW