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Aatank Ki Dahashat   

₹350

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Author Tej N. Dhar
Features
  • ISBN : 9788177213812
  • Language : 350
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Tej N. Dhar
  • 9788177213812
  • 350
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 184
  • Hard Cover

Description

वर्ष 1990 के शुरू का कश्मीर, जब घाटी में आतंकी हिंसा चरम सीमा पर थी। हत्याएँ, आगजनी और आतंकियों का प्रकोप काले धुएँ की तरफ फैल गया था। इसलामिक और आजादी के नारे चारों ओर गूँज रहे थे। पंडितों को कश्मीर से जाने की चेतावनी दी जा रही थी और उन्हें मजबूर करने के लिए रोज एक या कई पंडितों को क्रूरता-बर्बरतापूर्वक मारा जाता था। यही सब इस डायरी रूपी उपन्यास में पूरी तरह से दरशाया गया है और आतंकियों तथा खुदगर्ज राजनीति नेताओं के फैलाए हुए झूठ कि पंडितों को जगमोहन ने निकाल दिया, को नंगा कर दिया है। बहुत ही सटीक और मार्मिक घटनाओं में पंडितों की बेबसी और मजबूरी को उजागर किया है।
डायरी का नायक अकेला है और मानसिक तनाव से ग्रस्त भी। खौफ के माहौल में अपनी पुरानी यादें भी जीता है, जिससे उसका आज और भी भयानक तरीके से उभर आता है। अंत तक इसी द्वंद्व में रहता है कि घाटी में रहना चाहिए या जाना चाहिए। इसी उधेड़बुन में उसका अंत भी होता है, पर यह सवाल भी उठता है कि या उसे कश्मीरियों की तरह अपने घर में रहने का हक है या नहीं। यह मार्मिक कथा भारत के इतिहास में एक काले धबे से कम नहीं है।

 

The Author

Tej N. Dhar

जन्म : 26 जनवरी, 1944 को श्रीनगर, कश्मीर में।
शिक्षा : एम.ए. (अर्थशास्त्र) आगरा विश्वविद्यालय 1962; एम.ए. (अंग्रेजी) जे एंड के विश्वविद्यालय, 1965, पी-एच.डी., बनारस हिंदू विश्व-विद्यालय 1975।
कई जगह अध्यापन कार्य : जे एंड के स्टेट गवर्नमेंट कॉलेजेस, आर.ई.सी. श्रीनगर, कश्मीर विश्वविद्यालय, अध्यक्ष और प्रोफेसर, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय। प्रोफेसर, डीन आर्ट्स फैकल्टी, असमारा विश्वविद्यालय, अब सेवानिवृ।
प्रकाशन : दो पुस्तकें ‘अंडर दि शेडो ऑफ मिलिटेसी : दि डायरी ऑफ एन अननोटन कश्मीरी’ तथा ‘हिस्टरी फिशन इंटरफेस इन इंडियन इंगलिश नोवल’।
पचास से ज्यादा शोध-निबंध राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय जर्नल में तथा तीन सौ से भी अधिक पुस्तक समीक्षाएँ अखबारों, जर्नल और पत्रिकाओं में प्रकाशित। 
किशनी के. पंडिता का जन्म श्रीनगर कश्मीर में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई कश्मीर में पूरी की। बाद में वे शिलांग मेघालय में चली गईं। उन्होंने आर्मी स्कूल सहित कई प्रतिष्ठित स्कूलों में काम किया। उनकी कई कहानियाँ और कविताएँ राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में छपी हैं। कई सालों तक आकाशवाणी शिलांग की पूर्वर सेवा से भी संबद्ध रही हैं, जहाँ उन्होंने कहानियों और नाटकों के द्वारा अपना योगदान दिया।

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