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Swami Sahajanand Saraswati Jyoti Kalash   

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Author Dinkar Dutt Sharma , Dinesh Dutt Sharma
Features
  • ISBN : 9789350486009
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Dinkar Dutt Sharma , Dinesh Dutt Sharma
  • 9789350486009
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2016
  • 240
  • Hard Cover

Description

आज स्वामी सहजानंद सरस्वती की 125वीं ऐतिहासिक वर्षगाँठ के समय ‘स्वामी सहजानंद ज्योति कलश’ का तृतीय परिवर्द्धित एवं परिष्कृत संस्करण की आवश्यकता मैंने महसूस की है। राष्‍ट्रपिता महात्मा गांधी ने आजादी के समय विकसित और खूबसूरत गाँव की कल्पना की थी और स्वामी सहजानंद सरस्वती की भी यही कल्पना थी कि गाँव का किसान-मजदूर आर्थिक रूप से मजबूत हो, उनकी मेहनत का सही आकलन हो और उनकी कड़ी मेहनत के बल पर उपजी फसल का सही मूल्यांकन हो। भारत सरकार और बिहार सरकार का भी आज फोकस कृषि पर है और दर्जनों योजनाएँ भी किसानों के हित में चलाई जा रही हैं, लेकिन उसका पूरा-पूरा लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है। आज स्वामी सहजानंद सरस्वती की सोच और विचार की प्रासंगिकता बढ़ी है। ऐसी स्थिति में मैंने महसूस किया कि स्वामीजी के विभिन्न विचारों के पहलुओं पर गहराई से समीक्षा कर ‘स्वामी सहजानंद ज्योति कलश’ का तृतीय संस्करण निकाला जाए। इस कड़ी में मेरी भावना का सम्मान विद्वान् साथियों ने किया और उसी कारण आज स्वामी सहजानंद सरस्वती की 125वीं वर्षगाँठ के अवसर पर ज्योति कलश का प्रथम भाग प्रस्तुत है।
आज स्वामी सहजानंद सरस्वती की 125वीं ऐतिहासिक वर्षगाँठ के समय ‘स्वामी सहजानंद ज्योति कलश’ का तृतीय परिवर्द्धित एवं परिष्कृत संस्करण की आवश्यकता मैंने महसूस की है। रष्‍ट्रपिता महात्मा गांधी ने आजादी के समय विकसित और खूबसूरत गाँव की कल्पना की थी और स्वामी सहजानंद सरस्वती की भी यही कल्पना थी कि गाँव का किसान-मजदूर आर्थिक रूप से मजबूत हो, उनकी मेहनत का सही आकलन हो और उनकी कड़ी मेहनत के बल पर उपजी फसल का सही मूल्यांकन हो। भारत सरकार और बिहार सरकार का भी आज फोकस कृषि पर है और दर्जनों योजनाएँ भी किसानों के हित में चलाई जा रही हैं, लेकिन उसका पूरा-पूरा लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है। आज स्वामी सहजानंद सरस्वती की सोच और विचार की प्रासंगिकता बढ़ी है। ऐसी स्थिति में मैंने महसूस किया कि स्वामीजी के विभिन्न विचारों के पहलुओं पर गहराई से समीक्षा कर ‘स्वामी सहजानंद ज्योति कलश’ का तृतीय संस्करण निकाला जाए। इस कड़ी में मेरी भावना का सम्मान विद्वान् साथियों ने किया और उसी कारण आज स्वामी सहजानंद सरस्वती की 125वीं वर्षगाँठ के अवसर पर ज्योति कलश का प्रथम भाग प्रस्तुत है।
—डॉ. महाचंद्र प्रसाद सिंह
संस्थापक अध्यक्ष
सदस्य
बिहार विधान परिषद्

The Author

Dinkar Dutt Sharma
Dinesh Dutt Sharma

स्वामी सहजानंद सरस्वती के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित कृति के परिवर्द्धित एवं परिष्कृत तृतीय संस्करण के द्वितीय खंड को आपके हाथों में सौंपते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। इसका प्रथम खंड ‘ज्योति-कलश’ शीर्षक से स्वामीजी की ऐतिहासिक 125वीं जयंती के अवसर पर आपके समक्ष प्रस्तुत किया गया। यह द्वितीय खंड उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर ‘अमृत-कलश’ नाम से प्रकाशित हुआ है।

आशा है, यह कृति प्रथम खंड की ही भाँति स्वामी सहजानंद सरस्वती की सोच और विचार के विभिन्न पहलुओं की गहराई से समीक्षा प्रस्तुत कर सकेगी। मुझे खुशी होगी, जब गाँव के किसान-मजदूर आर्थिक रूप से मजबूत होंगे, उन्हें उनकी कड़ी मेहनत का उचित मूल्य मिल सकेगा। अपनी इन्हीं भावनाओं और कल्पनाओं के साथ यह ‘अमृत-कलश’ स्वामीजी की पुण्यतिथि के अवसर पर पाठकों को समर्पित कर रहा हूँ। विश्वास है, सुधीजन इसे सकारात्मक प्रयास के रूप में ग्रहण कर मेरा उत्साह बढ़ाएँगे।

—डॉ. महाचंद्र प्रसाद सिंह

मंत्री,

लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग,

बिहार, पटना

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