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Soor Padawali

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Author Vagdev
Features
  • ISBN : 9789381063187
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : Ist
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  • Kindle Store

More Information

  • Vagdev
  • 9789381063187
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • Ist
  • 2019
  • 160
  • Hard Cover
  • 330 Grams

Description

कृष्‍ण-भक्‍त‌ि शाखा के कवियों में महाकवि सूरदास का नाम शीर्ष पर प्रति‌षष्‍ठ‌ित है। अपनी रचनाओं में उन्होंने अपने आराध्य भगवान् श्रीकृष्‍ण का लीला-गायन पूरी तन्मयता के साथ किया है।
घनश्‍याम सूर के रोम-रोम में बसते हैं। गुण-अवगुण, सुख-दुःख, राग-द्वेष लाभ-हानि, जीवन-मरण—सब अपने इष्‍ट को अर्पित कर वे निर्लिप्‍त भाव से उनका स्मरण-सुमिरन एवं चिंतन-मनन करते रहे।
सूदासजी मनुष्यमात्र के कल्याण की भावना से ओतप्रोत रहे। उनके अप्रयत्यक्ष उपदेशों का अनुकरण करके हम अपने जीवन को दैवी स्पर्श से आलोकित कर सकते हैं—इसमें जरा भी संदेह नहीं है। प्रस्तुत पुस्तक में सूरदासजी के ऐसे दैवी पदों को संकलित कियाग या है, जिनमें जन-कल्याण का संदेश स्‍थान-स्‍थान पर पिरोया गया है।
पुस्तक में सूरकृत ‘विरह पदावली’, ‘श्रीकृष्‍ण बाल-माधुरी’ और ‘राम चरितावली’ के प्रमुख पदों को सरल भावार्थ सहित प्रस्तुत किया गया है, जिससे कि सामान्य पाठक भी उन्हें सरलता से ग्रहण करके भक्‍त‌िरस के आनंद-सागर में गोते लगा सकें।

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विषय-सूची

अपनी बात —Pgs. 5

1. सूरदास का जीवन-चरित्र —Pgs. 9

2. विनय पदावली —Pgs. 28

3. विरह पदावली —Pgs. 80

4. श्रीकृष्ण बाल-माधुरी —Pgs. 112

5. रामचरित —Pgs. 138

The Author

Vagdev

बाल्यकाल से ही लेखन का शौक रहा। बी.कॉम. करने के बाद हिंदी के प्रति रुझान बढ़ा। स्फुट लेखन की परिणति ‘रहीम दोहावली’ तथा ‘सूरदास पदावली’ पुस्तकें हैं।

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