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Author Satya Prakash Dwivedi
Features
  • ISBN : 9789380823140
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Satya Prakash Dwivedi
  • 9789380823140
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2016
  • 196
  • Hard Cover

Description

ज्योतिष शास्त्र एक दुरूह विषय के रूप में जाना जाता था तथा एक सीमित वर्ग के बीच में ही प्रचलित था, परंतु वर्तमान समय में ज्योतिष शास्त्र के प्रचार-प्रसार के कारण आम जातक भी ज्योतिष में रुचि ले रहा है; परंतु संस्कृत भाषा एवं पंचांग ज्ञान के अभाव में आम जातक ज्योतिष शास्त्र को पढ़ने एवं सीखने में कठिनाई महसूस करता है। संस्कृत के विकल्प के रूप में आज बहुतायत पुस्तकें हिंदी भाषा में लिखी गई हैं, जो सर्वत्र उपलब्ध भी हैं, परंतु पंचांग का विकल्प आज भी उपलब्ध नहीं है। पंचांग ज्ञान की प्रामाणिक पुस्तक उपलब्ध न होने के कारण पंचांग ज्ञान से संबंधित विषय को समझने में कठिनाई होती है। इसी दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर पंचांग ज्ञान को प्रचलित सरल भाषा में लिखने का प्रयास किया गया है, ताकि विषय-वस्तु को समझने में नवीन विद्यार्थियों को किसी भी प्रकार की कठिनाई महसूस न हो तथा बिना किसी मदद के मात्र इसी पुस्तक से पंचांग का संपूर्ण ज्ञान संभव हो जाए।
पंचांग में प्रयुक्त होनेवाली विभिन्न प्रकार की शब्दावली को सरल भाषा में उदाहरण सहित समझाया गया है। पुस्तक के अंतिम अध्याय के रूप में विभिन्न प्रकार की सारणियाँ दी गई हैं, जिससे पाठकों को अन्यत्र भटकना न पड़े। इसके अतिरिक्त पंचांग में अंकित विभिन्न प्रकार के व्रत, त्योहार, अंकित मुहूर्त आदि को भी समझाया गया है। पंचांग ज्ञान का समग्रता में परिचय करानेवाली लोकप्रिय पुस्तक।

The Author

Satya Prakash Dwivedi

अध्यात्म शास्त्र में परास्नातक पं. सत्य प्रकाश द्विवेदी राष्‍ट्रीय स्तर के ख्याति-प्राप्‍त ज्योतिषी हैं, जो ज्योतिष और अध्यात्म से संबंधित सभी विधाओं पर पिछले 20 वर्षों से अनुसंधानरत हैं; इसके अतिरिक्‍त ज्योतिष और चिकित्सा शास्त्र, ज्योतिष और अपराध शास्त्र एवं ज्योतिष और वनस्पति तंत्र आदि विषयों पर भी शोध कार्य। पिछले दस वर्षों से लखनऊ के अध्यात्म एवं ज्योतिष शोध संस्थान में निदेशक (अवैतनिक) तथा वर्तमान में उत्तर प्रदेश वन विभाग में ज्येष्‍ठ लेखा परीक्षक के पद पर कार्यरत।
लेखक की यह प्रथम पुस्तक है, जो जन मानस के लिए सरल भाषा में संपूर्ण पंचांग का परिचय कराती है। आज के इस भौतिक युग में जातक के पास समय प्रबंधन की बड़ी समस्या है, जिसका एक मात्र समाधान काल को अच्छी तरह से समझ लेने में है। यदि जातक काल के अनुसार कार्य का चुनाव करे तो अपेक्षित कम श्रम में अधिक लाभ प्राप्‍त कर सकता है, अत: इसी काल की पहचान के लिए हमारे ऋषियों/मनीषियों ने पंचांग का निर्माण किया, जो सारे विश्‍व में काल-गणना का अद‍्भुत शास्त्र है, उसी पंचांग का संपूर्ण ज्ञान इस पुस्तक का मुख्य ध्येय है।

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