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Sakra Gaon Ki Ramleela   

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Author Sunita
Features
  • ISBN : 9789384343255
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Sunita
  • 9789384343255
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2015
  • 168
  • Hard Cover

Description

डॉ सुनीता  बच्चों  की  जानी-मानी कथाकार हैं, जिनकी बाल कहानियाँ अपनी सादगी और सरलता के कारण सीधे बच्चों के दिलों में उतर जाती हैं। ‘साकरा गाँव की रामलीला’ उनकी बाल कहानियों का ताजा संग्रह है, जिसमें उनकी विविध रंगों की सुंदर, अनूठी और भावनात्मक कहानियाँ शामिल हैं।

इस संग्रह में चुनी हुई तीस बाल कहानियाँ हैं, जिनमें हर कहानी का अलग रंग, अलग अंदाज, अलग खुशबू है। सुनीताजी का बचपन गाँव में बीता है और गाँव के ऐसे अद्भुत चरित्रों को उन्होंने देखा है, जो ऊपर से देखने पर अनपढ़ और अनगढ़ भले ही लगें, पर उनके दिल सचमुच सोने के हैं, जिनके भीतर से हर पल प्यार और इनसानियत का उजाला फूटता नजर आता है।

बाल पाठक इन्हें पढ़ते हुए महसूस करेंगे कि उनके अपने सुख-दुःख, परेशानियाँ, मुश्किलें और बहुत सी शिकायतें भी अलबेले बाल पात्रों के जरिए, खुद-ब-खुद इन कहानियों के रूप में ढल गई हैं। इसलिए संग्रह की कहानियों से वे एक विशेष जुड़ाव महसूस करेंगे। साथ ही खेल-खेल में बहुत कुछ सीखेंगे भी, जिनसे उनका जीवन महक उठेगा। वे खुद आगे बढ़ेंगे और उनके मन में औरों के लिए भी कुछ-न-कुछ करने की सच्ची तड़प और लगन पैदा होगी। इस लिहाज से डॉ. सुनीता की बाल कहानियों की पुस्तक ‘साकरा गाँव की रामलीला’ को बच्चे हमेशा सहेजकर रखना चाहेंगे।

भारतीयता के रंग में रँगी अनूठी भावनात्मक कहानियाँ।

The Author

Sunita

जन्म : 29 जनवरी, 1954 को हरियाणा के सालवन गाँव में।
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी), पी-एच.डी.। शोध का विषय—‘हिंदी कविता की वर्तमान गतिविधि : 1960 से 75 तक’। कुछ वर्षों तक हरियाणा और पंजाब के कॉलेजों में अध्यापन। सर्व शिक्षा से जुड़े कार्यक्रमों और समाज कार्यों में रुचि।
लेखन : डॉ. सुनीता का लेखन समकालीन साहित्य के गंभीर आलोचनात्मक विवेचन से जुड़ा है। छोटे बच्चों और किशोरों के लिए बातचीत की शैली और सहज-सरल अंदाज में कहानियाँ तथा लेख लिखने में उन्हें सुख मिलता है। बचपन में गाँव में गुजारे गए समय पर लिखी गई कहानियाँ ‘नानी के गाँव में’ कई पत्र-पत्रिकाओं में छपने के बाद अब पुस्तक रूप में। इसी तरह खेल-खेल में बच्चों से बातें करते हुए लिखे गए सीधे-सरल एवं भावनात्मक लेख ‘खेल-खेल में बातें’ शीर्षक से पुस्तक रूप में आने की प्रतीक्षा में हैं।
अनेक प्रतिष्‍ठापित पत्र-पत्रिकाओं में गंभीर आलोचनात्मक लेख और बच्चों के लिए लिखी गई कहानियाँ, लेख आदि प्रकाशित हैं। यूनेस्को के सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत कुछ महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी किया है।

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