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Mopala Kand Arthat Mujhe Usse Kya?   

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Author Vinayak Damodar Savarkar
Features
  • ISBN : 9789355213143
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Vinayak Damodar Savarkar
  • 9789355213143
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2022
  • 176
  • Soft Cover
  • 150 Grams

Description

शास्त्रीजी का घर देखते ही मौलवी ने कहा, “यही है, यही वह काफिर है | पकड़ो, मारो मत, पकड़ो ।” मोपला बंदूक चलाते हुए शास्त्रीजी के घर पर चढ़ाई करने आए । बंदूकों की आवाजें सुनते ही आसपास के घरों में लोग छिपने लगे, जो निःशस्त्र होने के कारण घायल हो गए थे। हरिहर शास्त्री ने भी दरवाजे बंद कर अंदर से पूछा, “मौलवी, आपको क्‍या चाहिए? हम निरपराध ब्राह्मणों के घरों पर आप हमला क्‍यों कर रहे हैं? मोपला लोग अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह कर उठे थे, वे नाहक हमपर क्‍यों शस्त्र उठा रहे हैं?” मौलवी ने कहा, “तुम अगर अपने पास का सारा धन हमें दे दो, और घर के सभी लोगों के साथ मुसलमान बनो तो हम तुम्हें अपना समझेंगे | इतना ही नहीं, अपितु तुम्हारी उस सुंदर बेटी से मैं शादी करके तुम्हें इस खिलाफत राज्य में सम्मानित अधिकारी बनाऊँगा |
-इसी पुस्तक से स्वातंत्रयवीर सावरकर की यह पुस्तक मोपलाओं द्वारा किए गए हिंदुओं के उस नृशंस एवं जघन्य नरसंहार का सजीव चित्रण है, जो हर हिंदू के मन और आत्मा को झकझोरकर रख देगी | अगर अभी भी हिंदू समाज नहीं चेता तो 1921 की वीभत्स स्थिति की पुनयवृत्ति हो सकती है |

The Author

Vinayak Damodar Savarkar

जन्म : 28 मई, 1883 को महाराष्‍ट्र के नासिक जिले के ग्राम भगूर में ।
शिक्षा : प्रारंभिक शिक्षा गाँव से प्राप्‍त करने के बाद वर्ष 1905 में नासिक से बी.ए. ।
1 जून, 1906 को इंग्लैंड के लिए रवाना । इंडिया हाउस, लंदन में रहते हुए अनेक लेख व कविताएँ लिखीं । 1907 में ' 1857 का स्वातंत्र्य समर ' ग्रंथ लिखना शुरू किया । प्रथम भारतीय नागरिक जिन पर हेग के अंतरराष्‍ट्रीय न्यायालय में मुकदमा चलाया गया । प्रथम क्रांतिकारी, जिन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा दो बार आजन्म कारावास की सजा सुनाई गई । प्रथम साहित्यकार, जिन्होंने लेखनी और कागज से वंचित होने पर भी अंडमान जेल की दीवारों पर कीलों, काँटों और यहाँ तक कि नाखूनों से विपुल साहित्य का सृजन किया और ऐसी सहस्रों पंक्‍त‌ियों को वर्षों तक कंठस्थ कराकर अपने सहबंदियो द्वारा देशवासियों तक पहुँचाया । प्रथम भारतीय लेखक, जिनकी पुस्तकें-मुद्रित व प्रकाशित होने से पूर्व ही-दो-दो सरकारों ने जब्‍त कीं । वे जितने बड़े क्रांतिकारी उतने ही बड़े साहित्यकार भी थे । अंडमान एवं रत्‍नगिरि की काल कोठरी में रहकर ' कमला ', ' गोमांतक ' एवं ' विरहोच्छ‍्वास ' और ' हिंदुत्व ', ' हिंदू पदपादशाही ', ' उ: श्राप ', ' उत्तरक्रिया ', ' संन्यस्त खड्ग ' आदि ग्रंथ लिखे ।
महाप्रयाण : 26 फरवरी, 1966 को ।

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