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Leadership Ke Funde   

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Author N. Raghuraman
Features
  • ISBN : 9788173158827
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
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  • Kindle Store

More Information

  • N. Raghuraman
  • 9788173158827
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2017
  • 144
  • Hard Cover
  • 200 Grams

Description

जब कोई टीम जीतती है तो श्रेय पूरी टीम को मिलता है, पर उसमें विशेष योगदान उस टीम के लीडर का होता है। वह भिन्न-भिन्न सोच, क्षमता और प्रकृति के लोगों में एक ऐसे भाव का सूत्रपात करता है कि सबका एक ही लक्ष्य बन जाता है—जीत और सफलता। कंपनी के उत्कर्ष के सफर में जहाँ लीडरशिप की मुख्य भूमिका होती है, वहीं अक्षम और अकुशल नेतृत्व किसी भी कंपनी को धराशायी करने के लिए काफी है। यह कुशल नेतृत्व का ही परिणाम है कि रिलायंस, इंफोसिस और टाटा जैसी कंपनियों ने वैश्विक स्तर पर सफलता का परचम लहराया और प्रसिद्धि पाई। दूरदर्शी सोच, रचनात्मक क्षमता और प्रबंधन कौशल—ये सभी कुशल नेतृत्व के विभिन्न पहलू हैं। मैनेजमेंट के छोटे-छोटे सूत्रों की महत्ता को एक महत्त्वपूर्ण फंडा बनाने में सिद्धहस्त सुप्रसिद्ध स्तंभकार श्री एन. रघुरामन के व्यापक अनुभव से उपजे ये फंडे नेतृत्वकला को एक नई परिभाषा देते हैं। ये अपने सहयोगियों के साथ व्यवहार, उनकी क्षमताओं, उनके सुख-दु:ख में सहभागिता को ध्यान में रखने की याद दिलाते हैं। ये फंडे अहसास कराते हैं कि बेशक कोई व्यक्ति टीम लीडर हो, पर उसकी सफलता टीम वर्क पर ही निर्भर करती है।आइए, इन फंडों से नेतृत्व कौशल के लिए आवश्यक गुणों में श्रीवृद्धि कर एक सफल लीडर बनें।

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अनुक्रम  
दो शब्द —Pgs. 7 36. लक्ष्य के साथ उचित मार्गदर्शन भी दीजिए —Pgs. 78
आभार —Pgs. 8 37. इंटर्नशिप के दौरान न भूलें जरूरी बातें —Pgs. 80
1. आउटसोर्स कर्मचारी को भी प्रशिक्षण दें —Pgs. 13 38. सफलता के लिए खुद को रखें अपडेट —Pgs. 82
2. योग्य कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएँ —Pgs. 15 39. मेहनती और समर्पित लोगों को तरजीह दें —Pgs. 84
3. अपनी नौकरी कभी भी सुरक्षित न समझें —Pgs. 17 40. सूचना-पट पर रोचक बातें —Pgs. 85
4. संगठन में किसी की भूमिका कमतर नहीं —Pgs. 19 41. गॉसिप करनेवालों से बचें —Pgs. 87
5. कर्मचारियों को सपने देखने और उन्हें पूरा करने का अवसर दें —Pgs. 21 42. जानवरों से सीखें टीम वर्क का पाठ —Pgs. 89
6. कुशल कर्मचारियों की कमी —Pgs. 23 43. ई-मेल : जो दिमाग की बा जला दे —Pgs. 91
7. कर्मचारियों की आदतों को पहचानें —Pgs. 25 44. अपडेट रहें या मुँह बंद रखें —Pgs. 93
8. अच्छा व्यवहार है व्यापार का आधार —Pgs. 27 45. जोश और जुनून हो सर्वोच्च प्राथमिकता —Pgs. 95
9. तय करें कि आपको कैसे कर्मचारी चाहिए —Pgs. 29 46. सफलता टीम पर निर्भर है, लीडर पर नहीं —Pgs. 97
10. हर कर्मचारी की अहमियत को समझें —Pgs. 31 47. कर्मचारियों का उचित वर्गीकरण करें —Pgs. 99
11. नौकरी का पहला दिन —Pgs. 33 48. नाच न जाने आँगन टेढ़ा —Pgs. 101
12. जरूरी नहीं कि पहल करनेवाला ही मार्केट लीडर रहे —Pgs. 35 49. कहानी एक परफैट बॉस की —Pgs. 103
13. कैसे बचाए रखें नौकरी! —Pgs. 37 50. आगे बढ़ानेवालों को श्रेय अवश्य दें —Pgs. 105
14. दक्षता के साथ गरिमा भी है जरूरी —Pgs. 39 51. किसी को कम न आँकें —Pgs. 107
15. एक अक्षम बॉस के नुकसान —Pgs. 41 52. शीर्ष क्रम से आता है अनुशासन और अतिथि-सत्कार —Pgs. 109
16. शीर्ष पर पहुँचकर भी अपनी जड़ों को न भूलें —Pgs. 43 53. जिम्मेदार नेतृत्व हमेशा सराहा जाता है —Pgs. 111
17. लीडर बनने के लिए दशानन बनो! —Pgs. 45 54. संकट में संवाद की महा को समझें —Pgs. 113
18. मातहत की निगाह में बॉस का आकलन —Pgs. 46 55. बॉस से उचित दूरी बनाए रखें —Pgs. 115
19. अच्छी मैनपावर काम की मारी न हो —Pgs. 48 56. विरोधी को भी साथ लेकर चलें —Pgs. 117
20. अच्छा ऑफिस कर्मचारियों को आकर्षित करता है —Pgs. 49 57. कामकाज में सुधार लाते रहें —Pgs. 119
21. मानव-पूँजी को सहेज कर रखें —Pgs. 51 58. उत्कृष्टता महसूस की जाती है —Pgs. 121
22. सिर्फ मानव संसाधन विभाग नहीं एचआर —Pgs. 53 59. मंदी के इस दौर में वैकल्पिक दक्षता जरूरी —Pgs. 122
23. केवल वेतन नहीं परिवार की भी बात करें —Pgs. 55 60. कर्मचारियों में असुरक्षा न पनपने दें —Pgs. 124
24. हर समस्या का हल संभव है —Pgs. 56 61. अपने कर्मचारियों को जानें —Pgs. 126
25. अति प्रतिस्पर्धी सहयोगी बढ़ाते हैं मुश्किलें —Pgs. 58 62. भारतीय श्रम का बहुआयामी चेहरा —Pgs. 128
26. कंपनी में ही हीरा छिपा होता है —Pgs. 60 63. नौकरी मिलते ही निश्चिंत न हो जाएँ —Pgs. 130
27. शैक्षणिक योग्यता से ज्यादा काम का अनुभव —Pgs. 62 64. भारत में जॉब की कमी नहीं —Pgs. 132
28. वफादारी का सम्मान करें —Pgs. 64 65. बेहतर उत्पादकता के लिए कर्मचारियों में हुनर विकसित करें —Pgs. 134
29. युवा कर्मचारियों के साथ सहजता से पेश आएँ —Pgs. 66 66. वत के साथ कार्यस्थल में भी बदलाव लाएँ —Pgs. 136
30. अच्छे कर्मचारियों को रोके रखें —Pgs. 68 67. उद्योगों की स्थापना लोगों पर निर्भर है —Pgs. 138
31. अधीनस्थों को साथ लेकर चलें —Pgs. 70 68. सोच-विचार का मौका दें —Pgs. 140
32. पुराना है संदेह और संबंधों का गठजोड़ —Pgs. 71 69. दूरदृष्टि व ऑपरेशनल दक्षता होना जरूरी —Pgs. 141
33. कॉरपोरेट लाइफ में राम-रावण —Pgs. 73 70. नौकरी जाना जीवन का अंत नहीं —Pgs. 142
34. लंबे कामकाजी जीवन के नियम —Pgs. 74 71. पुराने कर्मियों की न हो अनदेखी —Pgs. 143
35. कर्मचारियों के साथ अंत तक सम्मानजनक व्यवहार करें —Pgs. 76  

The Author

N. Raghuraman

एन. रघुरामन
मुंबई विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट और आई.आई.टी. (सोम) मुंबई के पूर्व छात्र श्री एन. रघुरामन मँजे हुए पत्रकार हैं। 30 वर्ष से अधिक के अपने पत्रकारिता के कॅरियर में वे ‘इंडियन एक्सप्रेस’, ‘डीएनए’ और ‘दैनिक भास्कर’ जैसे राष्ट्रीय दैनिकों में संपादक के रूप में काम कर चुके हैं। उनकी निपुण लेखनी से शायद ही कोई विषय बचा होगा, अपराध से लेकर राजनीति और व्यापार-विकास से लेकर सफल उद्यमिता तक सभी विषयों पर उन्होंने सफलतापूर्वक लिखा है। ‘दैनिक भास्कर’ के सभी संस्करणों में प्रकाशित होनेवाला उनका दैनिक स्तंभ ‘मैनेजमेंट फंडा’ देश भर में लोकप्रिय है और तीनों भाषाओं—मराठी, गुजराती व हिंदी—में प्रतिदिन करीब तीन करोड़ पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है। इस स्तंभ की सफलता का कारण इसमें असाधारण कार्य करनेवाले साधारण लोगों की कहानियों का हवाला देते हुए जीवन की सादगी का चित्रण किया जाता है।
श्री रघुरामन ओजस्वी, प्रेरक और प्रभावी वक्ता भी हैं; बहुत सी परिचर्चाओं और परिसंवादों के कुशल संचालक हैं। मानसिक शक्ति का पूरा इस्तेमाल करने तथा व्यक्ति को अपनी क्षमता के अधिकतम इस्तेमाल करने के उनके स्फूर्तिदायक तरीके की बहुत सराहना होती है।
इ-मेल : nraghuraman13@gmail.com

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