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Kya Khoya, Kya Paya   

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Author Purushottam Jha
Features
  • ISBN : 9789383110155
  • Language : hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Purushottam Jha
  • 9789383110155
  • hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2013
  • 152
  • Hard Cover

Description

भावनाएँ आदमी को आदमी से जोड़ती हैं, घर को घर से जोड़ती हैं और देश को देश से भी। ये भावनाएँ ही हैं, जिनके बल पर आदमजात अपनी धरती, अपनी मिट्टी और अपने हवा-पानी से बिछुड़कर भी अपनी जड़ें ढूँढ़ लेता है—कभी अपने अस्तित्व के ही अदेखे, अनजाने कोनों में और कभी अपने ही जैसे दूसरे संवेदनशील लोगों में।
‘क्या खोया क्या पाया’ में एक अत्यंत संवेदनशील और भावनामय व्यक्ति के संस्मरण अंकित हैं। यह व्यक्ति जीवन की कठोर और नितांत प्रतिकूल परिस्थितियों से पैदा हुआ, उन्हीं से बना और पला-बढ़ा, लेकिन इसने अपनी भावनामयता को, अपनी संवेदनशीलता को और जीवन-जगत् के साथ अपनी गहरी संलग्नता को भंग नहीं होने दिया। आज भी यह अपने अभाव और संघर्ष के दिनों को उतनी ही सघनता और अपनेपन के साथ अपनी स्मृतियों में जी रहा है, जिस सघनता और गहराई के साथ उसने इन दिनों को दो-तीन दशक पहले जिया था।
‘क्या खोया क्या पाया’ से जो चीज सर्वाधिक मुखर होकर सामने आती है, वह है लेखक की विस्मित-चकित होने की क्षमता, जो अपनी आडंबरहीन सच्चाई से हमें भी विस्मित कर देती है।
आशा है, यह पुस्तक हमारे कठोर समय में हमें विनम्र, श्रद्धावान और संवेदनशील बनाने में भरपूर मदद करेगी।

The Author

Purushottam Jha

बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के ग्राम तेलहरा कलाँ में जुलाई 1947 में जनमे पुरुषोत्तम झा ने अंग्रेजी साहित्य में एम. ए. करने के पश्‍चात् मगध, बिहार एवं मिथिला विश्‍वविद्यालयों में शिक्षण-कार्य किया। नेफेड नई दिल्ली में कार्यकारी निदेशक एवं अध्यक्ष के विशेष कार्याधिकारी के पद पर आसीन रहे। संप्रति सेवा-मुक्‍त जीवन हरिद्वार प्रवास में व्यतीत करते रहे हैं।

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