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Kissa Ek Moti Pari Ka   

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Author Prakash Manu
Features
  • ISBN : 9789383110230
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Prakash Manu
  • 9789383110230
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 144
  • Hard Cover

Description

प्रकाश मनु बच्चों के चहेते कवि- कथाकार हैं, जिनकी रचनाएँ बच्चे ढूँढ़-ढूँढ़कर पढ़ते हैं । ' किस्सा एक मोटी परी का ' उनकी बाल कहानियों का ताजा संग्रह है, जिसमें शीर्षक कथा के अलावा उनकी ' निक्का और तितली ', ' होमवर्क का चक्कर ', ' खुशी का जन्मदिन ', ' मखना के रंग-बिरंगे खरगोश ', ' बुद्धू का रिक्‍‍शा कमाल ', ' कितनी सुंदर है यह धरती ' सरीखी एक-से-एक मजेदार और रंग-बिरंगी कल्पनाओं से सजी कहानियाँ शामिल हैं ।
पुस्तक की ' कितनी सुंदर है यह धरती ', ' किस्सा परी और पवन चक्की का ' तथा ' किस्सा एक मोटी परी का ' कहानियों में खुशदिल परियों की उपस्थिति सबको लुभा लेती है । इसलिए भी कि ये परियों कुछ निराली ही हैं, जिन्हें धरती की सुंदरता और यहाँ के सीधे-सरल इनसानों से बेइंतहा प्यार है । बार-बार वे उड़कर धरती की ओर आती हैं और यहाँ के बच्चों से दोस्ती करके घुमक्कड़ी और उछल-कूद करती हैं । बच्चों सरीखी इन नटखट परियों के अलावा कहीं समझदार चिडियाँ तो कहीं दयालु बौने बच्चों को मुसीबत में देखकर उनकी मदद करते हैं । और आखिर इन कहानियों से निकलकर वे बच्चों के दिलों में हमेशा-हमेशा के लिए नक्‍‍श हो जाते हैं ।
सच तो यह है कि ' किस्सा एक मोटी परी का ' पुस्तक बच्चों के लिए एक-से-एक लुभावनी और दिलचस्प कहानियों का गुलदस्ता है । बच्चे इन्हें पढ़ेंगे, रीझेंगे, खिल-खिल हँसेंगे और अपने दोस्तों को भी ये रसपूर्ण और मजेदार कहानियाँ सुनाए बिना नहीं रहेंगे ।

The Author

Prakash Manu

जन्म : 12 मई, 1950, शिकोहाबाद ( उप्र.)।
प्रकाशन : ' यह जो दिल्ली है ', ' कथा सर्कस ', ' पापा के जाने के बाद ' ( उपन्यास); ' मेरी श्रेष्‍ठ कहानियाँ ', ' मिसेज मजूमदार ', ' जिंदगीनामा एक जीनियस का ', ' तुम कहाँ हो नवीन भाई ', ' सुकरात मेरे शहर में ', ' अंकल को विश नहीं करोगे? ', ' दिलावर खड़ा है ' ( कहानियाँ); ' एक और प्रार्थना ', ' छूटता हुआ घर ', ' कविता और कविता के बीच ' (कविता); ' मुलाकात ' (साक्षात्कार), ' यादों का कारवाँ ' (संस्मरण), ' हिंदी बाल कविता का इतिहास ', ' बीसवीं शताब्दी के अंत में उपन्यास ' ( आलोचना/इतिहास); ' देवेंद्र सत्यार्थी : प्रतिनिधि रचनाएँ ', ' देवेंद्र सत्यार्थी : तीन पीढ़ियों का सफर ', ' देवेंद्र सत्यार्थी की चुनी हुई कहानियाँ ', ' सुजन सखा हरिपाल ', ' सदी के आखिरी दौर में ' (संपादित) तथा विपुल बाल साहित्य का सृजन ।
पुरस्कार : कविता-संग्रह ' छूटता हुआ घर ' पर प्रथम गिरिजाकुमार माथुर स्मृति पुरस्कार, हिंदी अकादमी का ' साहित्यकार सम्मान ' तथा साहित्य अकादेमी के ' बाल साहित्य पुरस्कार ' से सम्मानित । ढाई दशकों तक हिंदुस्तान टाइम्स की बाल पत्रिका ' नंदन ' के संपादकीय विभाग से संबद्ध रहे । इन दिनों बाल साहित्य की कुछ बड़ी योजनाओं को पूरा करने में जुटे हैं तथा लोकप्रिय साहित्यिक पत्रिका ' साहित्य अमृत ' के संयुका संपादक भी हैं । "

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