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Char Ekanki   

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Author Shriramvriksha Benipuri
Features
  • ISBN : 9788173153426
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Shriramvriksha Benipuri
  • 9788173153426
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2012
  • 107
  • Hard Cover

Description

बेनीपुरी की लेखनी की प्रखरता को कौन साहित्य-प्रेमी भुला सकता है। श्रीरामवृक्ष बेनीपुरी—यह नाम हिंदी संसार के कोने-कोने में एक विशेष प्रकार की साहित्य-साधना और भाषा शैली के लिए प्रसिद्धि प्राप्त कर चुका है।
प्रस्तुत पुस्तक में बेनीपुरी के चार एकांकी संगृहीत हैं। ‘संघमित्रा’, ‘अमर ज्योति’, ‘सिंहल विजय’, ‘राम-राज्य’— ये चारों एकांकी एक से बढ़कर एक हैं। बेनीपुरीजी की लेखनी का वैभिन्न्य इनमें स्पष्ट नजर आता है। ‘संघमित्रा’ व ‘सिंहल विजय’ में तत्कालीन इतिहास व सामाजिक परिस्थितियों का चित्रण है तो ‘अमर ज्योति’ में गांधीजी व उनके संघर्षों तथा उनकी पीड़ा की मार्मिक प्रस्तुति है। ‘राम-राज्य’ में गांधीजी के सपनों के राम-राज्य के विपरीत आज जिस तरह राज-काज चल रहा है, उसपर बेनीपुरीजी व्यंग्य के हथौड़े से चोट पर चोट मारते चले जाते हैं, जिसका स्पष्ट स्वर हमें अपने कानों में सुनाई देता है।
प्रस्तुत एकांकी हमारी ऐतिहासिक, राष्ट्रीय व वैयक्तिक चेतना को जगाने का कार्य करते हैं।

The Author

Shriramvriksha Benipuri

"जन्म : 23 दिसंबर, 1899 को बेनीपुर, मुजफ्फरपुर (बिहार) में।
शिक्षा : साहित्य सम्मेलन से विशारद।
स्वाधीनता सेनानी के रूप में लगभग नौ साल जेल में रहे। कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापकों में से एक। 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से विधायक चुने गए।
संपादित पत्र : तरुण भारत, किसान मित्र, गोलमाल, बालक, युवक, कैदी, लोक-संग्रह, कर्मवीर, योगी, जनता, तूफान, हिमालय, जनवाणी, चुन्नू-मुन्नू तथा नई धारा।
कृतियाँ : चिता के फूल (कहानी संग्रह); लाल तारा, माटी की मूरतें, गेहूँ और गुलाब (शब्दचित्र-संग्रह); पतितों के देश में, कैदी की पत्‍नी (उपन्यास); सतरंगा इंद्रधनुष (ललित-निबंध); गांधीनामा (स्मृतिचित्र); नया आदमी (कविताएँ); अंबपाली, सीता की माँ, संघमित्रा, अमर ज्योति, तथागत, सिंहल विजय, शकुंतला, रामराज्य, नेत्रदान, गाँव का देवता, नया समाज और विजेता (नाटक); हवा पर, नई नारी, वंदे वाणी विनायकौ, अत्र-तत्र (निबंध); मुझे याद है, जंजीरें और दीवारें, कुछ मैं कुछ वे (आत्मकथात्मक संस्मरण); पैरों में पंख बाँधकर, उड़ते चलो उड़ते चलो (यात्रा साहित्य); शिवाजी, विद्यापति, लंगट सिंह, गुरु गोविंद सिंह, रोजा लग्जेम्बर्ग, जय प्रकाश, कार्ल मार्क्स (जीवनी); लाल चीन, लाल रूस, रूसी क्रांति (राजनीति); इसके अलावा बाल साहित्य की दर्जनों पुस्तकें तथा विद्यापति पदावली और बिहारी सतसई की टीका।
स्मृतिशेष : 7 सितंबर, 1968।

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