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Bharatvarsh Ki Sarvang Swatantrata    

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Author Narender Sehgal
Features
  • ISBN : 9789352667062
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Narender Sehgal
  • 9789352667062
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 272
  • Hard Cover

Description

परम वैभव के लिए सर्वांग स्वतंत्रता अखंड भारत भारतीयों के लिए भूमि का टुकड़ा न होकर एक चैतन्यमयी देवी भारतमाता है। जब तक भारत का भूगोल, संविधान, शिक्षाप्रणाली, आर्थिक नीति, संस्कृति, समाज-रचना, परसा एवं विदेशी विचारधारा से प्रभावित और पश्चिम के अंधानुकरण पर आधारित रहेंगे, तब तक भारत की पूर्ण स्वतंत्रता पर प्रश्नचिह्न लगता रहेगा। स्वाधीन भारत में महात्मा गांधीजी के वैचारिक आधार स्वदेश, स्वदेशी, स्वधर्म, स्वभाषा, स्वसंस्कृति, रामराज्य, ग्राम स्वराज इत्यादि को तिलांजलि दे दी गई। स्वाधीन भारत में मानसिक पराधीनता का बोलबाला है। देश को बाँटने वाली विधर्मी/विदेशी मानसिकता के फलस्वरूप देश में अलगाववाद, अतंकवाद, भ्रष्टाचार, सामाजिक विषमता आदि पाँव पसार चुकी हैं। संघ जैसी संस्थाएँ सतर्क हैं। परिवर्तन की लहर चल पड़ी है। देश की सर्वांग स्वतंत्रता अवश्यंभावी है।
गांधीजी की इच्छा के विरुद्ध भारत-विभाजन के साथ खंडित राजनीतिक स्वाधीनता स्वीकार करके कांगे्रस का सारा नेतृत्व सासीन हो गया। दूसरी ओर संघ अपने जन्मकाल से आज तक ‘अखंड भारत’ की ‘सर्वांग स्वतंत्रता’ के ध्येय पर अटल रहकर निरंतर गतिशील है।

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अनुक्रम

आशीर्वचन—7

प्रस्तावना—9

आभार-अभिनंदन—15

1. ब्रिटिश साम्राज्यवाद पर प्रथम सशक्त प्रहार—21

2. अंग्रेजों का ‘सुरक्षा कवच’ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस —34

3. आंदोलनकारी कांग्रेस के ध्वजवाहक महात्मा गांधी—43

4. ए.ओ. ह्यूम की कांग्रेस और डॉ. हेडगेवार का संघ—53

5. बाल स्वतंत्रता सेनानी—63

6. विप्लवी स्वतंत्रता सेनानी—80

7. वीरव्रती स्वतंत्रता-सेनानी—96

8. चिंतनशील स्वतंत्रता सेनानी—120

9. स्वयंसेवक स्वतंत्रता सेनानी—135

10. परिव्राजक स्वतंत्रता सेनानी—155

11. भविष्यदृष्टा स्वतंत्रता सेनानी—173

12. सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अग्रदूत सरसंघचालक श्रीगुरुजी—184

13. सनातन राष्ट्र का दुखित विभाजन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ—196

14. स्वतंत्रता के बाद ‘स्वातंत्र्य रक्षा’ के अग्रिम मोर्चों पर संघ स्वयंसेवक—208

15. राष्ट्रीय स्वाभिमान की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए संघर्षरत वीरव्रती-स्वयंसेवक—226

16. परम वैभव के लिए सर्वांग स्वतंत्रता—239

17. ध्येय की ओर बढ़ते कदम—261

संदर्भ-सामग्री—268

The Author

Narender Sehgal

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