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Banarsidas Chaturvedi   

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Author R Ratnesh
Features
  • ISBN : 9788173157523
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • R Ratnesh
  • 9788173157523
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2010
  • 144
  • Hard Cover

Description

पं. बनारसीदास चतुर्वेदीजी मूलत: शिक्षक थे, किंतु अल्पवय से ही पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिखने के कारण उनका झुकाव पत्रकारिता की ओर रहा, जिसका पल्लवन और प्रस्फुटन ' विशाल भारत ' तथा ' मधुकर ' जैसे श्रेष्‍ठ पत्रों के संपादन में हुआ । उन्होंने नए लेखकों को प्रकाशित होने का भरपूर अवसर प्रदान किया । वे समाजोपयोगी लेखन को विशेष महत्त्व देते थे और इसी आशय का परामर्श युवा लेखकों को देते थे । चतुर्वेदीजी ने हिंदी में अश्‍लील साहित्य के विरुद्ध घासलेटी साहित्य विरोधी आंदोलन चलाया । उन्होंने 22 वर्षों के अथक परिश्रम से प्रवासी भारतीयों की दुर्दशा और कष्‍टों को उजागर करने का अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य किया, जिसे महात्मा गांधी सहित देश के सभी बड़े नेताओं की प्रशंसा मिली । उन्होंने शहीदों और साहित्यकारों की कीर्ति-रक्षा का अत्यंत महत्त्वपूर्ण कार्य पूरी निष्‍ठा के साथ किया । वे बुंदेलखंड के जनपदीय आंदोलन के प्रवर्तक थे । यद्यपि बारह वर्षों तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे, किंतु राजनीतिक उठा-पटक से निर्लिप्‍त रहे । ' मधुकर ' के संपादन के माध्यम से चतुर्वेदीजी ने साहित्यिक एवं सांस्कृतिक पत्रकारिता का कीर्तिमान रचा । इस पुस्तक में डॉ. आर. रत्‍नेश ने अत्यंत श्रमपूर्वक चतुर्वेदीजी के व्यक्‍त‌ित्व एवं कृतित्व का तथ्यपरक सारभूत विवेचन प्रस्तुत किया है ।

The Author

R Ratnesh

हिंदी और संस्कृत में स्नातकोत्तर डॉ. आर. रत्‍नेश ने हिंदी में पी - एच. डी. की उपा‌ध‌ि प्राप्‍त की है । उच्च शिक्षा में अध्यापन के सुदीर्घ अनुभव के साथ - साथ उन्होंने राष्‍ट्रीय सेवा योजना के माध्यम से युवा पीढ़ी को संस्कारित करने का कार्य किया । ' हिंदी नाटकों में राष्‍ट्रीय नैतिक चेतना, ' ' पं. लक्ष्मीनारायण मिश्र के नाटक ' और चंद्रकला नाटिका- ' पं. विश्‍वनाथ कविराज ' उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं । संप्रति हिंदी पत्रकारिता की विलुप्‍तप्राय शब्द - संपदा कोश के संचयन - संपादन कार्य में संलग्न हैं ।

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