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Mere Sath Ek Nanhi Pari   

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Author Vijaypat Singhania
Features
  • ISBN : 9788173156199
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Vijaypat Singhania
  • 9788173156199
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2016
  • 246
  • Hard Cover

Description

हम बचपन में आसमान में उड़ते पक्षियों को देख स्वयं उड़ान भरकर आसमान छूने का स्वप्न देखते हैं; पर बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो उस स्वप्न को साकार कर पाते हैं। ऐसा ही विरला नाम है—
डॉ. विजयपत सिंघानिया, जिन्होंने बाईस दिनों में—16 अगस्त, 1988 से 8 सितंबर, 1988 तक—इंग्लैंड से भारत तक लगभग 5,000 मील की हवाई उड़ान पूरी की और इस प्रकार उन्होंने अंग्रेज पायलट ब्रियान मिल्टन के चौंतीस दिनों का रिकॉर्ड तोड़कर ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में अपना नाम दर्ज करा लिया। इस यात्रा की शुरुआत एक पत्रिका में छपे एक छोटे से विमान के चित्र से हुई, जो देखने में बिलकुल अजीबोगरीब लग रहा था। उसे देखकर डॉ. विजयपत सिंघानिया के मन में विचार आया और उन्होंने उस छोटे से विमान में एक साहसिक उड़ान भरने का निश्‍चय कर लिया। हालाँकि यह कार्य अत्यंत जोखिमपूर्ण लग रहा था, लेकिन इसका अंत अत्यंत गौरवपूर्ण रहा। अपने आदर्श नायक जे.आर.डी. टाटा की तरह ही विजयपत सिंघानिया भी उड़ान को लेकर ऊँचे-ऊँचे सपने देखा करते थे। सचमुच उड़ान को लेकर उनके मन में एक अलग तरह की ललक और जज्बा है। जो विमान उन्होंने पत्रिका में चित्र के रूप में देखा था, वह दो सीटोंवाला और टू-स्ट्रोक इंजनवाला एक शैडो माइक्रोलाइट था, जो एक मोटोबाइक की शक्ल का दिखाई दे रहा था। विमान इतना छोटा था कि स्वयं उनके शब्दों में—‘उसमें बैठने पर बैठने का अहसास कम और उसे पहनने का अहसास ज्यादा होता था।’
यह पुस्तक सिखाती है—खतरों से जूझना और जीवन के रोमांच को जीना।

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अनुक्रम

पूर्व तैयारी

1. 25 अगस्त, 1988—पहला भाग — Pgs. 19

2. सिंघानिया परिवार — Pgs. 27

3. उड़ान का निर्णय — Pgs. 40

4. उड़ान की तैयारी — Pgs. 48

5. एक नायक से भेंट — Pgs. 61

6. प्रशिक्षण और रहस्यमय खतरा — Pgs. 71

7. बढ़ती निराशा — Pgs. 79

8. वह अंतिम डरावना दिन — Pgs. 84

यात्रा

पहला दिन — Pgs. 91

दूसरा दिन — Pgs. 103

तीसरा दिन — Pgs. 109

चौथा दिन — Pgs. 117

पाँचवाँ दिन — Pgs. 119

छठा दिन — Pgs. 123

सातवाँ दिन — Pgs. 127

25 अगस्त, 1988—दूसरा भाग — Pgs. 131

नौवाँ दिन — Pgs. 134

दसवाँ दिन — Pgs. 139

ग्यारहवाँ दिन — Pgs. 150

बारहवाँ दिन — Pgs. 155

तेरहवाँ दिन — Pgs. 160

चौदहवाँ दिन — Pgs. 163

पंद्रहवाँ दिन — Pgs. 169

सोलहवाँ दिन — Pgs. 175

सत्रहवाँ दिन — Pgs. 183

अठारहवाँ दिन — Pgs. 189

उन्नीसवाँ दिन — Pgs. 192

बीसवाँ दिन — Pgs. 196

इक्कीसवाँ दिन — Pgs. 206

बाईसवाँ दिन — Pgs. 211

तेईसवाँ दिन — Pgs. 221

चौबीसवाँ दिन — Pgs. 223

उपसंहार — Pgs. 229

परिशिष्ट — Pgs.

विजयपत सिंघानिया की फ्लाइट लॉगबुक इंग्लैंड-भारत — Pgs. 242

ब्रायन मिल्टन डैलगेटी फ्लायर—टाइम टेबल (भारत) — Pgs. 244

जे.आर.डी. टाटा की फ्लाइट लॉगबुक—जी-ए ए जी आई

(G-A A G I) — Pgs. 246

The Author

Vijaypat Singhania

भारत के अग्रणी उद्योगपति और रेमंड्स ग्रुप के चेयरमैन डॉ. विजयपत सिंघानिया पिछले चार दशकों से उड्डयन के क्षेत्र में अपनी महत्त्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं। उनके पास ईस्ट-वेस्ट, दमानिया एलाइंस और सहारा एयरवेज में कई सौ घंटों के उड़ान अनुभव सहित कुल 5,000 घंटे की उड़ान का अनुभव है।
उन्होंने उड्डयन के क्षेत्र में कई सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्‍त किए हैं, जिनमें उड्डयन खेल का सर्वोच्च पुरस्कार, फेडरेशन एयरोनॉटिक इंटरनेशनल (FAI) गोल्ड मेडल भी शामिल है, जो उन्हें वर्ष 1994 में इंटरनेशनल राउंड द वर्ल्ड एयर रेस के लिए दिया गया था। तत्कालीन राष्‍ट्रपति श्री आर. वेंकटरमण ने उन्हें भारतीय वायुसेना के ‘एयर कमोडोर’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया था; इसके अतिरिक्‍त वह भारतीय वायुसेना के बैटल ऐक्सेज (Battle Axes) के स्क्वाड्रन नं. 7 एयर स्क्वाड्रन के एकमात्र असैनिक सदस्य भी हैं। तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर के ‘लाइफ टाइम एचीवमेंट पुरस्कार’ से पुरस्कृत। वर्ष 2006 में प्रतिष्‍ठित ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित।

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