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Khilkhilata Bachapan : Aadaten aur Sanskar    

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Author Veena Srivastava
Features
  • ISBN : 9789387968714
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
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More Information

  • Veena Srivastava
  • 9789387968714
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2019
  • 200
  • Hard Cover

Description

जैसे कुम्हार गीली मिट्टी से मनचाहा आकार गढ़ता है, फिर उन्हें पक्का करने के लिए भट्ठी में पकाता है, वैसे ही बच्चे भी गीली मिट्टी हैं, जिन्हें आप बेहतर व मनचाहे आकार में ढाल सकते हैं। उन्हें पक्का करने के लिए आपको भी उन्हें समय और व्यावहारिकता की भट्ठी में पकाना होगा। तभी वे मजबूत बनेंगे। यह आप पर निर्भर है कि आप गीली मिट्टी से घड़ा, सुराही, गमला बनाते हैं या सजावटी सामान। मान लीजिए, आपने सुराही बनाई, मगर व्यस्तता के चलते उसकी फिनिशिंग नहीं कर सके या चाक से उतारते समय ध्यान भटक जाए, धागा टूट जाए! तो किसी भी सूरत में बिगड़ेगा उस सुराही का ही रूप-स्वरूप। जब तक आपका ध्यान जाएगा, सुराही बिगड़े रूप में ढल चुकी होगी। बच्चे बहता पानी भी हैं। जैसे जलधारा अपना रास्ता खुद बना लेती है; जिधर भी राह मिलती है, उधर ही चल पड़ती है, वैसे ही बच्चे भी अपना रास्ता तलाश लेते हैं—सही या गलत वे नहीं जानते। बच्चों को उनका रास्ता चुनने में मदद कीजिए। बच्चों के मन में अभिभावकों के प्रति डर नहीं, बल्कि प्यार-सम्मान होना चाहिए। हमारी असली संपत्ति बच्चे ही हैं। अगर उनको सही दिशा मिल गई तो हम सबसे अमीर और खुशकिस्मत हैं। यदि वही लायक न बनें तो भले ही हमारे पास महल हो, मगर हम कंगाल से भी बदतर हैं। बच्चे आपके हैं तो जिम्मेदारी भी आपकी ही है कि उनमें बचपन से ही अच्छी आदतें और संस्कार डालें। आदतें-संस्कार कोई घुट्टी नहीं कि घोटकर पिला दें। यह शुरुआत बचपन से ही होती है, जो आपको करनी है। 
बच्चों में अच्छे विचार और संस्कार पैदा करने के लिए हर माता-पिता के पढ़ने योग्य एक आवश्यक पुस्तक।

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अनुक्रम

भूमिका " ‘हम-तुम’ का विस्तार ‘हम-सब’ में है —Pgs. 7

प्रस्तावना " युवा मन को समझने की चुनौती —Pgs. 11

मेरी बात —Pgs. 15

1. कहा न, पहले हाथ–मुँह धोकर   गुड ब्वॉय बन जाओ, फिर खेलना —Pgs. 23

2. अपने देश से जुड़ाव के लिए बच्चों को गाँव दिखाना चाहिए —Pgs. 26

3. बच्चों के लिए अद्भुत था गाँव का जीवन —Pgs. 28

4. हम युवाओं को भी गाँव जरूर जाना चाहिए —Pgs. 30

5. कुछ भी बनने से पहले एक अच्छा इनसान बनो —Pgs. 33

6. बड़े छोटों से मान-सम्मान के अलावा कुछ नहीं चाहते —Pgs. 36

7. बच्चों की बात और निर्णय का   बड़ों को भी सम्मान करना चाहिए —Pgs. 39

8. बच्चों में डालें बचाने की आदत —Pgs. 42

9. छोटे बच्चे को पढ़ाना–समझाना है बहुत मुश्किल —Pgs. 45

10. बच्चों में जो अच्छी आदतें डालनी हैं, पहले खुद में डालें —Pgs. 48

11. अगर बच्चे बात नहीं मानते तो उन्हें प्यार से समझाना चाहिए  —Pgs. 51

12. डेंटल ओरल हाइजीन मेंटेन करना माँ का ही फर्ज —Pgs. 54

13. जब भी कुछ खाओ तो कुल्ला जरूर करो —Pgs. 57

14. बच्चों को सिखाएँ सेफ्टी के तरीके —Pgs. 60

15. बच्चों को बताएँ सही-गलत में फर्क —Pgs. 63

16. हमें ही डालनी होगी बच्चों में जीतने की आदत —Pgs. 66

17. बच्चों को अपनी मिट्टी से जुड़ना सिखाता है गाँव —Pgs. 69

18. बड़ों को भी ध्यान से सुननी चाहिए बच्चों की बातें —Pgs. 72

19. खुल ही जाती है झूठ की पोल —Pgs. 75

20. अच्छी नीयत से बोला झूठ गलत नहीं  —Pgs. 78

21. अपने जन्मदिन की तरह मनाएँ आजादी की वर्षगाँठ —Pgs. 81

22. काम छोटा हो या बड़ा, मिल-बाँटकर करना चाहिए —Pgs. 84

23. माँ और अपने टीचर्स का हमेशा सम्मान करो —Pgs. 87

24. काश! हम बच्चों को नेक इनसान बना पाते —Pgs. 90

25. बच्चों को भी अपनी मम्मा का ध्यान रखना चाहिए —Pgs. 93

26. बच्चे के गलत शौक को न दें बढ़ावा —Pgs. 96

27. उत्सव की खुशी में बीमार पड़ोसी का भी रखें ध्यान —Pgs. 99

28. बच्चों को सिखाएँ, हमेशा निभाएँ अपना फर्ज —Pgs. 102

29. सूप के जैसा हो हमारा व्यवहार —Pgs. 105

30. अपनी परेशानी को दोस्त से जरूर करें शेयर —Pgs. 108

31. जीवन में कुछ करने का सपना जरूर देखें —Pgs. 111

32. आपके खुले मजाक-व्यवहार से ही   गलत बातें सीखते हैं बच्चे —Pgs. 114

33. संस्कार किताबी शिक्षा नहीं, हमारे आचरण हैं,   जो हमें मानव से इनसान बनाते हैं —Pgs. 117

34. जिसमें बच्चों की भलाई हो वही परंपराएँ निभाएँ —Pgs. 120

35. एकल परिवार और क्रेच —Pgs. 124

36. जब बच्चा चलने लगे तो रखिए विशेष सावधानी —Pgs. 126

37. अच्छी आदतों की शुरुआत बचपन से ही —Pgs. 129

38. ताकि जिद्दी न बने आपका बच्चा —Pgs. 132

39. बचपन की आदतें ताउम्र नहीं जातीं —Pgs. 135

40. संस्कारवान बनाना हमारी जिम्मेदारी —Pgs. 138

41. बच्चों को मेहनत का मोल समझाना होगा... 141

42. बेटा-बेटी का फर्क क्यों? —Pgs. 145

43. बच्चे बड़ों को मान दें   तो बड़ों को भी बड़प्पन दिखाना चाहिए —Pgs. 148

44. बच्चों के हाथ में रुपए नहीं संस्कारों की पोटली दीजिए —Pgs. 152

45. परिवार में आपसी व्यवहार भी प्रभावित करता है बच्चों को —Pgs. 156

46. घर के वातावरण से प्रभावित होता है बच्चे का आचरण —Pgs. 159

47. जहाँ चाह, वहाँ राह —Pgs. 162

48. हमारे बच्चे ही हमारी संपत्ति हैं —Pgs. 166

49. बच्चों के मन में डर नहीं सम्मान होना चाहिए... 170

50. बड़े भी बच्चों के सामने मानें अपनी गलती —Pgs. 174

51. बच्चों से बात मनवाने के लिए न बोलें झूठ —Pgs. 177

52. बच्चे घर से ही सीखते हैं झूठ बोलना —Pgs. 180

53. बच्चों को रटवाएँ नहीं, खेल-खेल में सिखाएँ —Pgs. 183

54. रात में पढ़ रहे बच्चों पर अभिभावक रखें नजर —Pgs. 186

55. शुरू से ही बच्चों को स्पष्ट करें दोस्ती की परिभाषा —Pgs. 189

56. परीक्षा की तैयारी में बच्चों को पूरा सहयोग करें माता-पिता —Pgs. 192

57. अपने बच्चों को समय दीजिए, जिससे वे बेहतर इनसान बन सकें —Pgs. 196

The Author

Veena Srivastava

वीना श्रीवास्तव
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी, अंग्रेजी)।
प्रकाशन : तुम और मैं, मचलते ख्वाब, लड़कियाँ (कविता-संग्रह); शब्द संवाद (संपादन); अनुगूँज, खामोश, खामोशी और हम, ख्वाब ईसा हुए, साँसे सुकरात (साझा संकलन); हैरिटेज झारखंड की पत्रिका ‘भोर’ की संपादक।
सम्मान-पुरस्कार : ‘प्रमोद वर्मा युवा सम्मान’ (इजिप्ट), ‘साहित्य सरिता सम्मान’ (हंगरी), ‘साहित्य सरोज और शिक्षा प्रेरक सम्मान’, ‘सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान’, ‘नारी गौरव सम्मान’, ‘शिक्षा-साहित्य सेवा सम्मान’, ‘उत्कृष्ट कला सम्मान’ तथा अनेक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से अलंकृत।
अध्यक्ष—शब्दकार, सचिव—राष्ट्रीय कवि संगम (ग्रेटर राँची इकाई), सचिव (साहित्य)—हेरिटेज झारखंड, कार्यकारिणी सदस्य—एकल अभियान, कार्यकारिणी सदस्य—नारायणी साहित्य अकादमी, आजीवन सदस्य—झारखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच। 
संप्रति : सदस्य (झारखंड), पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की कार्यकारी पार्षद।
संपर्क : सी-201, श्रीराम गार्डेन, काँके रोड, राँची-834008 (झारखंड) 
मोबाइल : 9771431900
इ-मेल : veena.rajshiv@gmail.com
ब्लॉग : veenakesur.blogspot.com

 

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