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Kala Aur Sanskriti    

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Author Dr. Vasudeva Sharan Agrawala
Features
  • ISBN : 9789353229436
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Dr. Vasudeva Sharan Agrawala
  • 9789353229436
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2020
  • 264
  • Hard Cover

Description

‘संस्कृति क्या है’ और ‘कला क्या है’, इन दो प्रश्नों के उत्तर अनेक हो सकते हैं। संस्कृति मनुष्य के भूत, वर्तमान और भावी जीवन का सर्वांगीण प्रकार है। विचार और कर्म के क्षेत्र में राष्ट्र का जो सृजन है, वही उसकी संस्कृति है। संस्कृति मानवीय जीवन की प्रेरक शक्ति है। वह जीवन की प्राणवायु है, जो उसके चैतन्य भाव की साक्षी है। संस्कृति विश्व के प्रति अनंत मैत्री की भावना है। संस्कृति के द्वारा हम दूसरों के साथ संतुलित स्थिति प्राप्त करते हैं। विश्वात्मा के साथ अद्रोह की स्थिति और संप्रीति का भाव उच्च संस्कृति का सर्वोत्तम लक्षण है।

स्थूल जीवन में संस्कृति की अभिव्यक्ति कला को जन्म देती है। कला का संबंध जीवन के मूर्त रूप से है। संस्कृति को मन और प्राण कहा जाए तो कला उसका शरीर है। कला मानवीय जीवन की अनिवार्य आवश्यकता है।

भारतीय कला का क्षेत्र अत्यंत विस्तृत था। प्राचीन काल से आनेवाले अनेक सूत्र नगर और गाँवों के जीवन में अब भी बिखरे हुए हैं। बंगाल की अल्पना, राजस्थान के मेहँदी-माँडने, बिहार के ऐपन, उत्तर प्रदेश के चौक, गुजरात-महाराष्ट्र की रंगोली और दक्षिण-भारत के कोलम—इनके वल्लरी-प्रधान तथा आकृति-प्रधान अलंकरणों में कला की एक अति प्राचीन लोकव्यापी परंपरा आज भी सुरक्षित है।

अत्यंत रोचक शैली में लिखी भारतीय कला और संस्कृति का सांगोपांग दिग्दर्शन कराने वाली पठनीय पुस्तक।

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अनुक्रम

भूमिका—Pgs.5

संस्कृति

1. संस्कृति का स्वरूप 13

2. पूर्व और नूतन—Pgs.17

3. वाल्मीकि—Pgs.19

4. महर्षि व्यास—Pgs.32

5. भागवती संस्कृति—Pgs.47

6. महापुरुष श्रीकृष्ण—Pgs.59

7. मनु—Pgs.65

8. पाणिनि—Pgs.75

9. अशोक का लोक सुखयन धर्म—Pgs.87

10. परम भट्टारक महाराजाधिराज श्री स्कंदगुप्त—Pgs.103

11. भारत का चातुर्दिश दृष्टिकोण—Pgs.107

12. सप्तसागर महादान—Pgs.110

13. कटाहद्वीप की समुद्र-यात्रा—Pgs.117

14. बोधिसत्त्व—Pgs.125

15. देश का नामकरण—Pgs.134

16. धर्म का वास्तविक अर्थ—Pgs.139

17. विवाह संस्कार—Pgs.144

18. वैदिक दर्शन—Pgs.150

19. कल्पवृक्ष—Pgs.159

20. विचारों का मधुमय उत्स-शब्द और अर्थ—Pgs.173

कला

21. कला—Pgs.179

22. भारतीय कला का अनुशीलन—Pgs.181

23. भारतीय कला का सिंहावलोकन 199

24. राजघाट के खिलौनों का एक अध्ययन—Pgs.218

25. मध्यकालीन शस्त्रास्त्र—Pgs.227

26. भारतीय वस्त्र और उनकी सजावट—Pgs.239

27. चित्राचार्य अवनींद्रनाथ, नंदलाल और यामिनी राय—Pgs.246

28. आनंद कुमार स्वामी—Pgs.259

The Author

Dr. Vasudeva Sharan Agrawala

डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल

जन्म : सन् 1904।

शिक्षा : सन् 1929 में लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.ए.; तदनंतर सन् 1940 तक मथुरा के पुरातत्त्व संग्रहालय के अध्यक्ष पद पर रहे। सन् 1941 में पी-एच.डी. तथा सन् 1946 में डी.लिट्.। सन् 1946 से 1951 तक सेंट्रल एशियन एक्टिविटीज म्यूजियम के सुपरिंटेंडेंट और भारतीय पुरातत्त्व विभाग के अध्यक्ष पद का कार्य; सन् 1951 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ इंडोलॉजी (भारती महाविद्यालय) में प्रोफेसर नियुक्त हुए। वे भारतीय मुद्रा परिषद् नागपुर, भारतीय संग्रहालय परिषद् पटना और ऑल इंडिया ओरिएंटल कांग्रेस, फाइन आर्ट सेक्शन बंबई आदि संस्थाओं के सभापति

भी रहे।

रचनाएँ : उनके द्वारा लिखी और संपादित कुछ प्रमुख पुस्तकें हैं—‘उरु-ज्योतिः’, ‘कला और संस्कृति’, ‘कल्पवृक्ष’, ‘कादंबरी’, ‘मलिक मुहम्मद जायसी : पद्मावत’, ‘पाणिनिकालीन भारतवर्ष’, ‘पृथिवी-पुत्र’, ‘पोद्दार अभिनंदन ग्रंथ’, ‘भारत की मौलिक एकता’, ‘भारत सावित्री’, ‘माता भूमि’, ‘हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन’, राधाकुमुद मुखर्जीकृत ‘हिंदू सभ्यता’ का अनुवाद।  डॉ. मोती चन्द्र के साथ मिलकर ‘शृंगारहाट’ का संपादन किया; कालिदास के ‘मेघदूत’ एवं बाणभट्ट के ‘हर्षचरित’ की नवीन पीठिका प्रस्तुत की।

स्मृतिशेष : 27 जुलाई, 1966।

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