राधागोविंद पातर
जन्म : 8.1.1936 (कृषक परिवार में) गाँव-बौंतिया, जिला-राँची, झारखंड।
शिक्षा : सिविल इंजीनियरिंग डिप्लोमा
रेलवे की इंजीनियरिंग सेवा से निवृत्त होने के उपरांत समय का सदुपयोग करते हुए अपनी रुचि के अनुसार धार्मिक पुस्तकों के अध्ययन-मनन के साथ-साथ अन्य पुस्तकों के भी पठन एवं लेखन कार्य में प्रवृत्त हुए। मुंडारी भाषा मातृभाषा होने के कारण ‘मुंडारी व्याकरण’ एवं कुछ पुस्तकें मुंडारी भाषा में भी लिखी हैं।
कृतियाँ : मानव और धर्म, विज्ञान, धर्म और दर्शन, सुबोध मुंडारी व्याकरण पुस्तकें प्रकाशित। उर्वीजा, मानव चरित्र के अनंत आयाम, दृष्टि-वैविध्य, रामकथामृत, सेंड़ा मरसल सअः तथा सला सागोम का निको (मुंडारी भाषा में) प्रकाशनाधीन। अद्वैत आश्रम तुपुदाना, राँची एवं मैसूर हिंदी प्रचार परिषद्, बेंगलुरु की पत्रिकाओं में लेखों का नियमित प्रकाशन। आध्यात्मिक सत्संगों, अनुष्ठानों, प्रवचनों में भाग लेना, चिंतन-मनन करना, धार्मिक पुस्तकों का पठन-पाठन, साहित्य अध्ययन एवं समाज-सेवा। बौंतिया गाँव के स्कूल भवन के लिए भूमि दान की। अथक प्रयास कर गाँव तक पहुँचने के लिए बाडु नदी पर पुल का निर्माण करवाया। संपर्क : 9430117169