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Rashtragita   

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Author Ramji Giri ‘Vishwamitra’
Features
  • ISBN : 9788177213720
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : Ist
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  • Kindle Store

More Information

  • Ramji Giri ‘Vishwamitra’
  • 9788177213720
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • Ist
  • 2018
  • 568
  • Hard Cover

Description

वत्स, राष्ट्र की सिद्धावस्था में चलते, राष्ट्रीय पर्व मंथन के
टूट रही कड़ियों के हित, अभियान चलते ग्रंथन के
अहं के उठते नंगे शिखरों हित, भूकंप होते भ्रंशन के
अतिवादी घुटन बेचैनी में, फूटते स्रोत प्रभंजन के
राष्ट्रगीता : संरक्षा सर्ग

सांस्कृतिक विरासत से कट, सांस्कृतिक निरक्षरता बढ़ती
संस्कृति की सृजनात्मक ऊर्जा से, सभ्यता ढहने से बचती
अतीत से चिपका समाज, गतिशीलता संस्कृति की खो सकता
परिवर्तनीय आयामों का नवीकरण, जीवंतता उसको दे सकता

संस्कृति की संजीवनी, राष्ट्रीय अस्मिता को उसका राष्ट्रवाद देती
समय के निर्माण में, बहुस्तरीय बहुआयामी संवाद रचती
राष्ट्रीयता, महाभाव पाकर, महादीक्षा के कितने ही पर्व मनाती
महाछलांग की संभावनाओं को, नित नए पंख लगाती
राष्ट्रगीता : संस्कृति सर्ग

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अनुक्रम

मनोगत———7

राष्ट्रगीता का बीज गान—13

1. संगठन* : राष्ट्रगीता का सरगम—17

2. संचार—*——134

3. संसाधन*—196

4. संयम*——236

5. संधान—*——315

6. संरक्षा—*——430

7. संस्कृति*——489

The Author

Ramji Giri ‘Vishwamitra’

जन्म : 1953; ग्राम होलीपुर, जिला गाजीपुर (उ.प्र.)में।
शिक्षा : काशी हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (हिंदी), शोध वृत्ति।
कृतित्व : केंद्रीय विद्यालय संगठन में स्नातकोत्तर शिक्षक, संसाधक (प्रशिक्षण), राष्ट्र संचार (साप्ताहिक पत्र) का एक वर्ष तक संपादन।
अनेक संस्थाओं की स्मारिकाओं एवं अन्य पत्रिकाओं का संपादन।
सेमिनार में शोध-पत्र की प्रस्तुति, कई सांस्कृतिक-साहित्यिक आयोजनों में सहभागिता।
लोकनायक जे.पी. के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में आपातकाल के दौरान जेल यात्रा।
‘राष्ट्रगीता’ पहली प्रकाशित रचना।

 

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