Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Meera Padawali   

₹250

In stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author NEELOTPAL
Features
  • ISBN : 9789350480342
  • Language : Hindi
  • ...more

More Information

  • NEELOTPAL
  • 9789350480342
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2018
  • 160
  • Soft Cover
  • 180 Grams

Description

सगुण भक्‍त‌ि-धारा के कृष्‍ण-भक्तों में मीराबाई का श्रेष्‍ठ स्‍थान है। वे श्रीकृष्‍ण को ईश्‍वर-तुल्य पूज्य ही नहीं, वरन् अपने पति-तुल्य मानती थीं। कहते हैं कि उन्होंने बाल्यावस्‍था में ही श्रीकृष्‍ण का वरण कर लिया था। माता-पिता ने यद्यपि उनका लौकिक विवाह भी किया, लेकिन उन्होंने पारलौकिक प्रेम को प्रश्रय दिया तथा पति का घर-बार त्यागकर जोगन बन गईं और गली-गली अपने इष्‍ट, अपने आराध्य, अपने वर श्रीकृष्‍ण को ढूँढ़ने लगीं। उन्होंने वृंदावन की गली-गली, घर-घर, बाग-बाग और पत्तों-पत्तों में गिरधर गोपाल को ढूँढ़ा, अंततः जब वे नहीं मिले तो द्वारिका चली गईं। मीराबाई ने अनेक लोकप्रिय पदों की रचना की। हालाँकि काव्य-रचना उनका उद‍्देश्य नहीं था। लेकिन अपने आराध्य के प्रति निकले उनके शब्द ही भजन बन गए और लोगों की जुबान पर चढ़ गए। उनके पद राजस्‍थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश एवं बंगाल में बहुत लोकप्रिय हुए और आज भी रेडियो एवं टेलीविजन पर जे सुने जा सकते हैं। प्रेम-भक्‍त‌ि में मग्न होकर गाए उनके पद-गीत यत्र-तत्र बिखरे पड़े हैं। प्रस्तुत पुस्तक में उनके भक्‍त‌ि-रस में रचे-बसे पदों को संकलित किया गया है। आशा है, सुधी पाठक इस पुस्तक के माध्यम से मीराबाई के भक्‍त‌ि-सागर में गोते लगाएँगे।

The Author

NEELOTPAL

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW