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Author Vijay Singh
Features
  • ISBN : 9789387968073
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Vijay Singh
  • 9789387968073
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 208
  • Hard Cover

Description

इस पुस्तक को तीन विषयों से सँजोया गया है, जिसमें लेखक की जीवनगाथा है कि कैसे एक हॉकर से अपनी यात्रा प्रारंभ करके अखबारी सेल्स की दुनिया के सर्वोच्च  शिखर  प्रसिद्ध  हिंदी  दैनिक ‘हिंदुस्तान’ के ‘नेशनल सेल्स हेड’ पद पर पहुँचा। इसके साथ ही अखबारी दुनिया में बिताए शानदार 38 वर्षों के उल्लेख के साथ अखबारी दुनिया के उतार-चढ़ाव पर प्रकाश डाला गया है। यह पूर्णतः सत्य है कि अखबारी सेल्स अन्य सेल्स के मुकाबले पूर्णतया भिन्न है। जब सारी दुनिया सोती है, तब अखबारी सेल्स के लोग सेल्स का काम करते हैं तथा यह पूरी तरह असंगठित एवं अपने आप में अजूबा पेशा है। इस पर कोई पुस्तक अभी तक नहीं लिखी गई है; न ही अखबारी सेल्स के बारे में—जैसे अखबारों में चलाई जानेवाली पाठक एवं वितरक स्कीम, ऑडिट ब्यूरो ऑफ सरकुलेशन, डी.ए.वी.पी., आर.एन.आई., आई.आर.एस. आदि के विषय में कोई पुस्तक उपलब्ध

नहीं है।

यह पुस्तक सरकुलेशन-सेल्स में काम करनेवाले सहयोगियों एवं भविष्य में इस क्षेत्र में आनेवाले साथियों के लिए बहुत ही उपयोगी पुस्तक होगी। वहीं अखबारी दुनिया के किसी भी विभाग में काम करनेवालों  के  लिए  भी  यह  पुस्तक प्रेरणादायी एवं उपयोगी साबित होगी।

आज के युवा वर्ग के लिए यह पुस्तक एक प्रेरणा के रूप में होगी कि बिना उच्च शिक्षा पाए एवं नितांत अभाव में भी संघर्ष करके जिंदगी में तथा अपने कॅरियर में कैसे आगे बढ़ सकते हैं।

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अनुक्रम

सतर्क, सजग, सचेष्ट विजय —Pgs.  5

प्रस्तावना —Pgs.  7

भूमिका —Pgs.  9

मेरी जीवन यात्रा —Pgs. 13

मेरा हॉकरनामा —Pgs. 25

नौकरी की शुरुआत —Pgs. 36

1982 : राँची-जमशेदपुर की पहली बड़ी लड़ाई —Pgs. 45

1983 : भागलपुर में अखबार के समय में सुधार —Pgs. 49

1984 : लीडर प्रेस, इलाहाबाद की बड़ी लड़ाई —Pgs. 52

1985 : बिरला मंदिर मंदार पर्वत का जीर्णोद्धार —Pgs. 55

1986 : ‘हिंदुस्तान’ एवं ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ का पटना से प्रकाशन —Pgs. 57

‘हिंदुस्तान’ पटना की सफलता का रहस्य —Pgs. 59

गाँव की नजर में मैं —Pgs. 65

राष्ट्रीय स्तर पर अखबारी दुनिया में परिवर्तन का दौर —Pgs. 68

1996 : ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ लखनऊ का प्रकाशन —Pgs. 70

2000 : राँची से ‘हिंदुस्तान’ एवं पटना से ‘दैनिक जागरण’ का प्रकाशन —Pgs. 74

‘हिंदुस्तान टाइम्स’ प्रबंधन में बदलाव का दौर —Pgs. 80

2001 : भैंसरौली प्लेन क्रैश सिंधियाजी का निधन —Pgs. 87

2003 : ‘दैनिक जागरण’ का झारखंड लॉञ्च —Pgs. 90

2005 : ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ का मुंबई लॉञ्च —Pgs. 95

मेरा सफरनामा —Pgs. 100

2010 : ‘दैनिक भास्कर’ का झारखंड लॉञ्च —Pgs. 114

2010 : ‘हिंदुस्तान’ का गोरखपुर लॉञ्च —Pgs. 117

आगरा-मेरठ प्रेशर टेस्ट —Pgs. 122

2013 : परिवर्तन का दौर —Pgs. 126

2014 : ‘हिंदुस्तान’ कानपुर री-लॉञ्च —Pgs. 133

मेरी विदेश यात्राएँ —Pgs. 137

मीडिया इंडस्ट्री एवं सर्कुलेशन सेल्स —Pgs. 139

अखबारों की वितरण व्यवस्था —Pgs. 144

अखबारी दुनिया की योजनाएँ —Pgs. 147

अखबारों के आकार एवं प्रकार —Pgs. 153

अखबारी दुनिया में सर्कुलेशन सेल्स का महत्त्व —Pgs. 157

ए.बी.सी., आई.आर.एस., आर.एन.आई., आई.एन.एस. एवं डी.ए.वी.पी. 161

मीडिया का बदलता दौर —Pgs. 169

2012 : ‘हिंदुस्तान’ गया संस्करण लॉञ्च —Pgs. 171

2015 : ‘हिंदुस्तान’ हल्द्वानी संस्करण लॉञ्च —Pgs. 173

2017 : ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ पुणे संस्करण लॉञ्च —Pgs. 177

सर्कुलेशन सेल्स की विडंबना —Pgs. 184

अखबारी दुनिया में परिवर्तन का दौर —Pgs. 187

मेरी आध्यात्मिक यात्रा —Pgs. 193

सेल्स ट्रेनिंग ऐंड वर्कशॉप —Pgs. 198

2010 के बाद मेरी व्यक्तिगत यात्रा —Pgs. 203

‘अमर उजाला’ : लखनऊ एवं कानपुर की सफलता —Pgs. 205

The Author

Vijay Singh

23 फरवरी, 1961 को बिहार के समस्तीपुर जिले के पतेलिया गाँव में जनमे विजय सिंह की शुरुआती पढ़ाई ग्रामीण परिवेश में तथा इंटर एवं स्नातक की पढ़ाई इलाहाबाद से हुई। अपने अध्ययन के दौरान चार वर्षों तक अखबार बेचने (हॉकर) का काम किया एवं सन् 1980 में अखबारी दुनिया में बतौर कमीशन एजेंट से कॅरियर प्रारंभ कर सेल्स के सर्वोच्च पद हिंदुस्तान के ‘नेशनल सेल्स हेड’ पद पर पहुँचे। उम्र के 48वें वर्ष में एम.बी.ए. की पढ़ाई की एवं डिग्री ली। 38 वर्षों के अखबारी जीवन में हिंदुस्तान एवं हिंदुस्तान टाइम्स के बीस से अधिक संस्करण प्रारंभ कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। देश-विदेश की यात्राएँ करना एवं लोगों, सांस्कृतिक परिवेश एवं आध्यात्मिक परिवेश को नजदीक से देखने-समझने की अभिरुचि रही। 
सन् 1980 में मीनाजी से शादी हुई, जो पूर्णतः गृहिणी बनकर उनके सुख-दुःख में साथ देती रहीं, बड़ी बेटी पूजा बी.टेक. एवं एम.बी.ए. कर एच.आर. प्रोफेशनल बनी। बड़ा बेटा दुर्गेश मास कम्युनिकेशन से स्नातक कर मीडिया से जुड़ा एवं छोटा बेटा शिवेश एम.बी.ए. कर सेल्स की दुनिया से जुड़ गया।

 

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