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Pt. Nandlal Sharma

Pt. Nandlal Sharma

पंडित नंदलाल शर्मा का जन्म उ.प्र. स्थित जौनपुर के अंतर्गत आने वाली तहसील हरिपुर के उदपुर गाँव में 11 अतूबर, 1932 में हुआ था।

गायत्री परिवार के संपर्क में आकर पंडित नंदलाल शर्मा दो उपन्यास और अनेक काव्य-संग्रहों की रचना की। इसी मध्य पंडित शर्मा, डॉ. विजय सोनकर शास्त्री (पूर्व सांसद) से प्रभावित होकर वाराणसी स्थित उनके आवास भेंट की। इस मुलाकात के बाद पं. शर्मा ने कृष्णचरित मानस की रचना का कार्य प्रारंभ किया। डॉ. शास्त्री भगवान् श्रीकृष्ण के दृष्टांत को शोधन एवं विश्लेषण के उपरांत उपलध घटनाओं को क्रमबद्ध कर पं. नंदलाल शर्मा को हस्तांतरित करते रहे और शर्माजी बिना विलंब के उसे दोहा, चौपाई, सोरठा, सवैया में परिवर्तित कर देते थे। पं. नंदलाल शर्मा के जीवन की सबसे बड़ी उपलधि श्रीकृष्णचरित मानस आज जन-सामान्य में जीवन जीने की प्रेरणा का स्रोत है।

डॉ. विजय सोनकर शास्त्री का जन्म उार प्रदेश में वाराणसी जनपद के ऐसे परिवार में हुआ, जिसमें ग्रामीण पृष्ठभूमि और भारतीय विकासशील समाज का परिवेश तो था ही, स्वतंत्रता सेनानी पिता स्वर्गीय शिवलाल के अभिन्न मित्र प्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रोफेसर राजा राम शास्त्री का संरक्षण भी महवपूर्ण रहा। डॉ. शास्त्री के पितामह से उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद्र की गहरी मित्र भावना ने इन्हें लेखन विधा की तरफ सर्वदा प्रेरित किया एवं डॉ. शास्त्री ने कई महवपूर्ण पुस्तकों की रचना की। श्रीकृष्णचरित मानस उनके साहित्यिक जीवन का एक स्वप्न था, जो पंडित नंद लाल शर्मा से मिलकर पूर्ण हुआ।

न्याय एवं सामाजिक समरसता के पक्षधर डॉ. शास्त्री को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग, भारत सरकार का अध्यक्ष भी नियुत किया गया। देश एवं विदेश की अनेकों यात्राएँ कर डॉ. शास्त्री ने हिंदुत्व के प्रचार-प्रसार में अपनी भूमिका को सुनिश्चित किया। विश्व मानव के सर्वोच्च कल्याण की भारतीय संकल्पना को चरित्रार्थ करने का संकल्प लेकर व्यवस्था के सभी मोर्चों पर डॉ. शास्त्री सतत सक्रिय हैं।

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