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Prerak Vachan Dadi Janki Ke   

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Author Neville Hodgkinson
Features
  • ISBN : 9789351867807
  • Language : Hindi
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  • Kindle Store

More Information

  • Neville Hodgkinson
  • 9789351867807
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2016
  • 152
  • Hard Cover

Description

यह पुस्तक सन् 1930 के दशक के मध्य में भारत में एक महिला के नेतृत्व में स्थापित किए गए ‘ब्रह्माकुमारी’ नामक एक आध्यात्मिक प्रशिक्षण संगठन के उपदेशों पर आधारित है। इस पुस्तक में, विशेषकर दादी जानकी के जीवन संबंधी पहलुओं और उनके विचारों का वर्णन है। दादी जानकी इस संगठन की एक संस्थापक सदस्य हैं तथा वर्तमान में विश्व स्तर पर इस संगठन का नेतृत्व कर रही हैं। एक अत्यंत कुशल एवं सुसंस्कृत ‘योगी’ दादी ने अनेक लोगों को आध्यात्मिक विकास एवं जागरूकता को समर्पित एक जीवन अपनाने के लिए प्रेरित किया है।
यह पुस्तक बतलाती है कि दादी जानकी ने किस प्रकार आत्मज्ञान को अपने जीवन का आधार बनाया और कार्य में तथा दूसरों के संबंध में शांति, प्रेम, समझदारी तथा प्रसन्नता बनाए रखने के बारे में उन्होंने क्या सीखा है; और लगभग एक शताब्दी के अभ्यास के बाद अभी तक सीख रही हैं।
उनका कहना है कि ऐसा जीवन पाकर, जिसमें उन्होंने अपनी श्वास, अपने विचारों, समय और शक्ति का सदुपयोग किया है, मृत्यु का उन्हें कोई भय नहीं है।  मानव जीवनमूल्यों—सदाचार, समर्पण, भक्ति, प्रेम, क्षमा आदि की प्रतिमूर्ति दादी जानकी के प्रेरक जीवन की झाँकी देनेवाली पुस्तक, जो पाठकों का भी आध्यात्मिक उन्नयन करेगी।

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अनुक्रम

लेखकीय — Pgs. 5

भूमिका — Pgs. 7

प्रस्तावना — Pgs. 9

भाग-1 : जन्म

1. प्रकाश में नहाए हुए — Pgs. 25

2. आत्मा को जानना — Pgs. 34

3. ईश्वर को जानना — Pgs. 41

4. समय को जानना — Pgs. 48

भाग-2 : जीवन

5. सत्य की शक्ति — Pgs. 55

6. शुद्धता की शक्ति — Pgs. 66

7. सकारात्मकता की शक्ति — Pgs. 76

8. ईमानदारी की शक्ति — Pgs. 83

9. आत्म-सम्मान की शक्ति — Pgs. 94

10. शांति की शक्ति — Pgs. 106

भाग-3 : मृत्यु

11. एक नियति पाना — Pgs. 117

12. अपनी पुरानी प्रकृति की तरफ से मन का जाना — Pgs. 119

13. शरीर का त्याग करना — Pgs. 127

14. इस पुराने संसार के लिए मर जाना — Pgs. 133

15. एक देवदूत बनना — Pgs. 145

 

The Author

Neville Hodgkinson

नेविले हॉजकिंसन ‘संडे टाइम्स’ जैसे अनेक प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों के चिकित्सा तथा विज्ञान के संवाददाता रहे हैं। उन्होंने अपने कॅरियर के दौरान ही ब्रह्माकुमारी के ‘राज योग’ में रुचि लेनी प्रारंभ की। अभी वे ग्लोबल रिट्रीट सेंटर, ऑक्सफोर्ड में रहकर ‘विज्ञान और अध्यात्म’ पर व्याख्यान देते हैं।

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