सुभाष चंद्र कुशवाहा उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में 1961 में जनमे और उन्होंने (विज्ञान) सांख्यिकी में स्नातकोत्तर किया। वे हिंदी के जाने-माने लेखक हैं। उनके तीन कविता-संग्रह ‘आशा’, ‘कैद में है जिंदगी’ और ‘गाँव हुए बेगाने अब’ और तीन कहानी-संग्रह ‘हाकिम सराय का आखिरी आदमी’, ‘बूचड़खाना’ और ‘होशियारी खटक रही है’ प्रकाशित हुए हैं। इसके अलावा उन्होंने ‘कथा में गाँव’ (कहानी-संग्रह), ‘जातिदंश की कहानियाँ’, ‘लोकरंग’ (1 और 2) आदि पुस्तकें संपादित की हैं। उन्होंने ‘कथादेश’ पत्रिका के किसान विशेषांक ‘किसान जीवन का यथार्थ : एक फोकस’ का संपादन किया है और 1998 से ‘लोकरंग’ पत्रिका का संपादन कर रहे हैं।
वे लखनऊ में रहते हैं।