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Vidhyarthiyon Ke Liye Gita   

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Author Acharya Mayaram ‘Patang’
Features
  • ISBN : 9789384344597
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
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  • Kindle Store

More Information

  • Acharya Mayaram ‘Patang’
  • 9789384344597
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2020
  • 144
  • Hard Cover

Description

‘गीता’ कालजयी गं्रथ है। यह भक्ति के साथ-साथ कर्म की ओर प्रवृत्त करती है। अपने कर्तव्य-पथ से भटक रहे अर्जुन को श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान देकर ही कर्म-पथ पर प्रवृत्त किया। इसलिए हमारे जीवन में गीता का बहुत व्यावहारिक उपयोग है, महती योगदान है।
विद्यार्थी काल में ही गीता का भाव समझ गए तो यह जीवन में पग-पग पर काम आएगा। जीने की कला आ जाएगी। आपत्तियों तथा कष्टकर परिस्थितियों में निराशा नहीं घेरेगी। अपने-पराए और मित्र-शत्रु के मोह से मुक्त होने का ज्ञान हो जाएगा। अधिकांश लोग सेवानिवृत्त होकर गीता पढ़ते हैं। जब सारा जीवन मोह, लोभ, काम, क्रोध और अहंकार की भेंट चढ़ गया, दुःख और संतापों का ताप सह लिया, तिल-तिल कर मरते रहे, फिर गीता पढ़ी तो क्या लाभ हुआ? पाप और पुण्य कर्मों का फल तो भोगना निश्चित ही हो गया!
इस पुस्तक को विशेष रूप से छात्रों-विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। गीता के हर अध्याय में जो महत्त्वपूर्ण श्लोक हैं, जिन्हें स्मरण किया जा सके, गाया जा सके, उन्हें संकलित किया गया है। स्पष्ट है कि यह संपूर्ण गीता नहीं है, बल्कि मात्र प्रेरणा है। इसे पढ़कर छात्र सन्मति पाएँ, नैतिक मूल्यों का पालन करते हुए सन्मार्ग पर चलकर जीवन में सफलता के शिखर पर पहुँचें, यही इस पुस्तक के लेखन का उद्देश्य है। 
विद्यार्थियों के चरित्र-निर्माण तथा  कर्तव्य-पथ पर सतत चलने की प्रेरणा देनेवाली एक अनुपम पुस्तक।

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अनुक्रम

अपनी बात —Pgs. 5

श्रीमद्भगवद्गीता की पृष्ठभूमि —Pgs. 7

अध्याय-1 युद्धक्षेत्र में दु:खी अर्जुन —Pgs. 13

अध्याय-2 आत्मा का ज्ञान —Pgs. 19

अध्याय-3 कर्म का मर्म —Pgs. 27

अध्याय-4 संसार के ज्ञान से अलग है दिव्य ज्ञान —Pgs. 34

अध्याय-5 कर्म से शांति और आनंद-प्राप्ति —Pgs. 42

अध्याय-6 ध्यान कैसे करें? —Pgs. 49

अध्याय-7 भगवद् ज्ञान का विज्ञान —Pgs. 57

अध्याय-8 भगवद्-प्राप्ति का साधन —Pgs. 64

अध्याय-9 राज विद्या का रहस्य —Pgs. 70

अध्याय-10 श्री भगवान् का ऐश्वर्य जानो —Pgs. 76

अध्याय-11 भगवान् का विराट् रूप में दर्शन —Pgs. 83

अध्याय-12 भति से भगवान् मिलते हैं —Pgs. 88

अध्याय-13 क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ कौन है? —Pgs. 95

अध्याय-14 तीन गुणों से बनी हुई सृष्टि —Pgs. 101

अध्याय-15 श्रीकृष्ण भगवान् ही पुरुषोत्तम हैं  —Pgs. 107

अध्याय-16 दैवी और दानवी संपत्ति का विभाजन —Pgs. 115

अध्याय-17 तीन प्रकार की श्रद्धा कौन सी है? —Pgs. 122

अध्याय-18 संन्यासयोग से मोक्ष प्राप्ति —Pgs. 129

The Author

Acharya Mayaram ‘Patang’

आचार्य मायाराम ‘पतंग’
जन्म : 26 जनवरी, 1940; ग्राम-नवादा, डाक गुलावठी, जिला बुलंदशहर।
शिक्षा : एम.ए. (दिल्ली), प्रभाकर, साहित्य रत्न, साहित्याचार्य, शिक्षा शास्त्री।
रचना-संसार : ‘गीत रसीले’, ‘गीत सुरीले’, ‘चहकीं चिडि़या’ (कविता); ‘अच्छे बच्चे सीधे बच्चे’, ‘व्यवहार में निखार’, ‘चरित्र निर्माण’, ‘सदाचार सोपान’, ‘पढ़ै सो ज्ञानी होय’, ‘सदाचार सोपान’ (नैतिक शिक्षा); ‘व्याकरण रचना’ (चार भाग), ‘ऑस्कर व्याकरण भारती’ (आठ भाग), ‘भाषा माधुरी प्राथमिक’ (छह भाग), ‘बच्चे कैसे हों?’, ‘शिक्षक कैसे हों?’, ‘अभिभावक कैसे हों?’ (शिक्षण साहित्य); ‘पढ़ैं नर-नार, मिटे अंधियार’ (गद्य); ‘श्रीराम नाम महिमा’, ‘मिलन’ (खंड काव्य); ‘सरस्वती वंदना शतक’, ‘हमारे विद्यालय उत्सव’, ‘श्रेष्ठ विद्यालय गीत’, ‘चुने हुए विद्यालय गीत’ (संपादित); ‘गीतमाला’, ‘आओ, हम पढ़ें-लिखें’, ‘गुंजन’, ‘उद्गम’, ‘तीन सौ गीत’, ‘कविता बोलती है’ (गीत संकलन); ‘एकता-अखंडता की कहानियाँ’, ‘राष्ट्रप्रेम की कहानियाँ’, ‘विद्यार्थियों के लिए गीता’ एवं ‘आल्हा-ऊदल की वीरगाथा’।
सम्मान : 1996 में हिंदी अकादमी, दिल्ली द्वारा सम्मानित; 1997 में दिल्ली राज्य सरकार द्वारा सम्मानित।
संप्रति : ‘सेवा समर्पण’ मासिक में लेखन तथा परामर्शदाता; राष्ट्रवादी साहित्यकार संघ (दि.प्र.) के अध्यक्ष; ‘सविता ज्योति’ के संपादक।

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