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Usha Kiran Khan Ki Lokpriya Kahaniyan   

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Author Ushakiran Khan
Features
  • ISBN : 9789351862833
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Ushakiran Khan
  • 9789351862833
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 176
  • Hard Cover

Description

प्रस्तुत संग्रह में वरिष्ठ कथाकार उषा किरण खान की छोटी-बड़ी चौबीस कहानियों में नई और लोकप्रिय कथाएँ शामिल हैं। आत्मवंचना के युग में कई अच्छे-भले शिक्षित युवक आतंकवाद की राह में फँसा दिए जाते हैं—‘अम्मा मेरे भइया को भेजो...’ ऐसी ही कहानी है। ‘किसी से न कहना’, ‘लौट आ ओ समय’ तथा ‘गए माघ उनतीस दिन बाकी’ एक कथा-सीरीज है। अपने समय से संवाद करती बाल सखियाँ उम्र के चौथेपन में मिलती हैं। एक-दूसरे को अपने दिल की कहने-सुनने पर चाहकर भी सबकुछ बाँट नहीं पातीं, कि कहीं साथी इसके दुःख से अधिक दुःखी न हो जाएँ।
इनमें स्त्री विमर्श इसी प्रकार का है। लेखिका अपने गाँव, महानगरों में बसी गाँव की स्त्रियों के भूख की, सम्मान की, अस्मिता की तनी गरदनवाली स्त्री की कहानी कहती है। उनके सारे पात्र यथार्थ से उपजे हैं, कल्पना से नहीं। सामाजिक संवेदना और मर्म को छूती लोकप्रिय कहानियों का अनूठा संग्रह।

The Author

Ushakiran Khan

जन्म : 24 अक्‍तूबर, 1945 को लहेरिया सराय, दरभंगा में।
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी. ‘प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्त्व’ (पटना विश्‍वविद्यालय)।
कृतित्व : हिंदी में चार उपन्यास, पाँच कथा-संग्रह प्रकाशित, सौ से अधिक लेख एवं रिपोर्ताज (असंकलित), तीन पूर्णकालिक नाटक मंचित, दो बाल नाटक, कई नुक्कड़ नाटक मंचित, बाल उपन्यास एवं कथाएँ। मैथिली में चार उपन्यास, एक कथा-संग्रह, एक काव्यकृति (यंत्रस्थ), दो पूर्णकालिक नाटक, दो कथा-उपन्यास, पं. हरिमोहन झा एवं नागार्जुन यात्री का नाट्य रूपांतरण।
सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यों में संलिप्‍तता। महिला चरखा समिति, कदमकुआँ (जयप्रकाश नारायण का आवास) की उपाध्यक्षा। प्रख्यात एवं प्रमुख संस्था निर्माण कला मंच की अध्यक्षा एवं बाल रंगमंच ‘सफरमैना’ की अध्यक्षा।
पुरस्कार-सम्मान : राष्‍ट्रभाषा परिषद् बिहार का ‘हिंदी-सेवी सम्मान’, ‘महादेवी वर्मा पुरस्कार’ तथा ‘राष्‍ट्रकवि दिनकर पुरस्कार’ से सम्मानित।
संप्रति : सेवानिवृत्त (विभागाध्यक्ष), बी.डी. कॉलेज, मगध विश्‍वविद्यालय।

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