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Sachchi Prerak Kahaniyan   

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Author Major Pradeep Khare
Features
  • ISBN : 9789386054791
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : First
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Major Pradeep Khare
  • 9789386054791
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • First
  • 2018
  • 288
  • Hard Cover

Description

आजकल ‘सेल्फ हेल्प’ विषय पर बहुत सारी पुस्तकें बाजार में हैं, उनमें से कुछ तो ऐसी हैं, जैसे हम कोई प्रवचन पढ़ रहे हों। वे सफलता के कोरे सिद्धांतों का वर्णन करती हैं, लेकिन पाठक उनको अपने जीवन में लागू करने में बड़ी कठिनाई महसूस करते हैं। यह पुस्तक सिद्धांतों पर आधारित होने के बजाय जीवन की ऐसी वास्तविक परिस्थितियों का बखान करती है, जिनमें जीते रहते हुए साधारण लोगों ने अपने जीवन में सफलता के उन सिद्धांतों को सचमुच लागू किया और वे उपलब्धियाँ हासिल कीं, जिन्हें अधिकतर लोग असंभव मानते थे।
इस पुस्तक को पढ़ते हुए आप में स्वयं को ऊर्जावान बना लेने की अंतःप्रेरणा पुनः जाग उठेगी, आपका खोया विश्वास पुनः जुट जाएगा, और जिसे कर पाने में पहले आप संकोच कर रहे थे, शंका कर रहे थे उसे करने की हिम्मत आप में आ जाएगी।
सफलता की इन सच्ची गाथाओं के नायक साधारण लोग ही हैं, जिन्होंने सारी सामाजिक,  आर्थिक,  शारीरिक, भावनात्मक विषमताओं, विपरीतताओं तथा विवशताओं के विरुद्ध संघर्ष किया और अपने अदम्य साहस के कारण विजयी व सफल व्यक्ति के रूप में उभरे। अपने सपनों को साकार करने के लिए वे प्राणपण से जुट गए, और सफलता के मार्ग में आनेवाली हर बाधा को उन्होंने अपनी जिजीविषा से पार किया।
आपको क्या पता कि आपकी सफलता की गाथा भी आनेवाले समय में प्रमुखता से प्रकाशित हो जाए!

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अनुक्रम

भूमिका—11

आभार—13

प्रस्तावना—15

सफलता व असफलता होती या हैं?—17

 

घर की लक्ष्मी बनी विजय-लक्ष्मी

1. ऑटोरिशा चालक की बेटी चार्टर्ड एकाउंटेंट की परीक्षा में रही पूरे भारत में अव्वल—21

2. रेल चलानेवाली प्रथम महिला—26

3. साठ की उम्र में वह धावक बनीं—30

4. बाल-विवाह के विरुद्ध छेड़ा गया एक धर्मयुद्ध—33

5. मुंबई की बदनाम बस्ती से निकलकर न्यूयॉर्क के बार्ड कॉलेज में पढ़ने जानेवाली लड़की—36

6. एक हेल्पलाइन : महिलाओं की महिलाओं के लिए और महिलाओं द्वारा—41

7. तब की कंगाल अब सँभाल रही करोड़ों—43

8. एक सपना हुआ साकार—46

9. एक धोबिन जो हुई डॉटरेट की मानद डिग्री से सम्मानित—49

10. बेघर लड़कियों के लिए अनोखा घर—53

11. सामूहिक बलात्कार की शिकार चला रही देह-व्यापार के विरुद्ध अभियान—57

12. पल्लवी की प्रेरणाप्रद यात्रा अंबरनाथ से न्यूयॉर्क तक—62

13. वापस घर आना—66

 

खेल के मैदान में चमकते सितारे

14. एक ड्राइवर की बेटी बनी अर्जुन पुरस्कार विजेता—73

15. जन्मभूमि अमेरिका किंतु कर्मभूमि भारत—76

16. गली में हॉकी खेलनेवाली बनी अर्जुन पुरस्कार विजेता—82

 

पढ़ाई की लगन ने दिलाया ऊँचा मुकाम

17. निर्धन मेधावी छात्रों के लिए खुले आई.आई.टी. के द्वार—87

18. रेलवे लाइन के बराबर में बसी झुग्गी-झोंपड़ी में रहनेवाली लड़की बोर्ड परीक्षा में आई अव्वल—92

19. जरूरी नहीं है कि आई.आई.टी. में वही जा सकता हो जो ऊँचे अंक प्राप्त करनेवाला रहा है—96

20. अखबार बेचनेवाले के लिए खुले आई.आई.एम. के द्वार—100

21. रिशावाले का बेटा बना आई.ए.एस. 103

22. मामूली स्तर से एक प्रतिष्ठित स्कूल के प्राचार्य पद तक पहुँचना—106

23. मेकैनिक की बेटी बनी गोल्डन गर्ल—110

24. दरजी का बेटा बना आई.ए.एस. 113

 

सहायक व उदारमना लोग

25. अप्रयुत दवाओं को गरीबों तक पहुँचाना—119

26. एक वरिष्ठ नागरिक जो बिना वेतन लिये ट्रैफिक कंट्रोल करता है—125

27. कुछ भी नया करने में उम्र कोई बाधा नहीं होती—128

28. वे पचास से अधिक बार रतदान कर चुके हैं—131

29. गांधीवादी ऑटोवाला—134

30. भले ही वह पढ़ाई पूरी न कर पाया हो पर वह पुल बना रहा है—138

31. देने का आनंद—141

 

उद्यम को प्रणाम

32. कभी मुंबई में जिसके पास फूटी कौड़ी न थी आज वह करोड़पति है!—147

33. उसकी पढ़ाई छूट गई लेकिन वह विक ह्विल तकनीक का संस्थापक सी.ई.ओ. बना—152

34. केवल रु. 50 से शुरू हुआ एक फलता-फूलता व्यवसाय —157

35. कभी कुछ सौ रुपए वेतन पानेवाले की आज की बिक्री है दस करोड़ —161

36. 17 साल का विश्व का सबसे कम उम्र का सी.ई.ओ. 164

37. स्कूल की पढ़ाई बीच में छूटने के बावजूद वह आज ‘ऐरेसोर्स इंफोटेक’ के सी.ई.ओ. हैं —169

38. अपनी साठ करोड़ डॉलर की संपात्ति में से आधा दान कर देने का संकल्प लिया है उन्होंने—172

39. अपने काम के प्रति समर्पित होने की पराकाष्ठा—176

40. एक खेतिहर मजदूर से एक सॉटवेयर कंपनी की सी.ई.ओ. की कुरसी तक पहुँची ज्योति—179

41. बाल-विवाह के चंगुल से निकली महिला आज करोड़पति है—183

 

पशु-पक्षियों के मसीहा

42. लावारिस पशुओं की पालनकर्ता—191

43. वह सुबह कभी तो आएगी... 196

 

वे अपंग हैं, असमर्थ नहीं

44. नेत्रहीन लड़की ने मध्य प्रदेश बोर्ड परीक्षा में टॉप किया—201

45. केवल एक पैर और अपने मनोबल के साथ वह माउंट एवरेस्ट पर चढ़ गई—203

46. उन्होंने अपनी नजर खोई है, नजरिया नहीं—207

47. अपनी अपंगता को उसने कभी आड़े नहीं आने दिया—210

48. जिसे आई.आई.टी.-जे.ई.ई. में नहीं बैठने दिया गया उसके लिए स्टैनफोर्ड से बुलावा आया है—214

49. आई.ए.एस. बनने के लिए किया गया 15 वर्ष का संघर्ष —218

 

जिजीविषा के धनी

50. उन्होंने अपने हाथ खोए मगर जिजीविषा नहीं खोई —225

51. दोनों गुरदे खराब हो जाने के बावजूद वह बोर्ड परीक्षा में अव्वल आया—227

52. उनके पैर नहीं रहे लेकिन जज्बा वैसा ही बना हुआ है—231

53. कैंसर भी उनको डरा और डिगा नहीं सका—234

54. इच्छाशति की पराकाष्ठा—238

 

गुदड़ी के लाल

55. एक सेलिब्रिटी फोटोग्राफर का सफरनामा कचरा बीननेवाले हाथों से कैमरा थामने तक —245

56. 13 साल की बच्ची माइक्रोबायोलॉजी में एम-एस.सी. कर रही है—249

 

सुपर्ब सेल्सपर्सन

57. भारतीय जीवन बीमा निगम का एक एजेंट जो निगम के अध्यक्ष से भी अधिक कमाता है—255

58. बरखास्त एल.आई.सी. एजेंट एम.डी.आर.टी. बना—260

 

आत्मानुशासन के बलवाले लोग

59. जो कभी एक डाकू था आज वह एक गांधीवादी है!—265

60. जीवन को बदलनेवाला संकल्प—269

61. अपने काम को प्रेम करना—271

 

पर्यावरण के प्रेमी

62. बंजर भूमि को ऑर्गेनिक फार्म में बदला—275

साहस के धनी लोग

63. किसी और के लिए अपनी जान जोखिम में डाल देना—281

64. उसने एक चोर को पकड़ने के लिए अपनी जान को जोखिम में ले लिया—283

65. ड्यूटी से भी बढ़कर कुछ करना—285

The Author

Major Pradeep Khare

इस पुस्तक के लेखक मेजर प्रदीप खरे (से.नि.) गणित व शिक्षा में परास्नातक हैं। अपने पूरे शिक्षाकाल में उनका नाम मेरिट लिस्ट में सुशोभित रहा है। 1979 में आर्मी एजूकेशन कोर में उनकी नियुक्ति हुई थी। सैन्य सेवा के अपने दो दशकों के दौरान वे मुख्य रूप से सेना के प्रमुख प्रशिक्षण केंद्रों से जुड़े रहे, जैसे—इंडियन मिलिट्री एकेडमी, नेशनल डिफेंस एकेडमी, आर्मी एजूकेशन कोर ट्रेनिंग कॉलेज एंड सेंटर और सैनिक स्कूल कपूरथला। सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर अब भोपाल में बस गए हैं। वे शैक्षणिक परामर्शदाता, प्रेरक वक्ता और व्यक्तित्व विकास के प्रशिक्षक व प्रणेता हैं। वे बहुत अध्ययनशील तथा ब्लॉग पर सक्रिय रहनेवाले हैं। इस पुस्तक में प्रस्तुत सफलता की गाथाओं को उनके ब्लॉग www.fragranceofsuccess.word press.com पर बड़ी संख्या में सराहना मिली है।
मेजर खरे के लेख प्रमुख समाचार-पत्रों व पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। यत्र-तत्र-सर्वत्र से सफलता के नए-नए प्रसंग एकत्र करना और उन्हें पाठकों तक पहुँचाना, जिनके भीतर कुछ करने की एक लौ प्रज्वलित है—अब उनका यही मिशन है।

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