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Raghuvansh Ki Kathayen   

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Author K K Krishnan Nambootiri
Features
  • ISBN : 9788193433249
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • K K Krishnan Nambootiri
  • 9788193433249
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2019
  • 110
  • Hard Cover

Description

कालिदास के ग्रंथों में ‘रघुवंश’ का विशेष महत्त्व है। इसमें एक ओर ‘यथा-राजा तथाप्रजा’ के प्रमाण को आधार बनाकर राजचरितों के उदाहरण से सामान्य प्रजा के जीवन को चित्रित करने का प्रयत्न किया गया है और दूसरी ओर समाज के सामने कतिपय उत्तम प्रजापालकों का आदर्श भी उपस्थित किया गया है। कहने की आवश्यकता नहीं कि ऐसे आदर्शों का होना आज के युग के लिए अति आवश्यक है।
महाकवि कालिदास के काव्य प्राचीनकाल से ही इस देश के सांस्कृतिक जीवन को परिपुष्ट करते आए हैं। किंतु जैसे-जैसे संस्कृत भाषा का अध्ययन यहाँ क्षीण होता गया वैसे-वैसे कालिदास के काव्यों के पठन-पाठन की परंपरा भी लुप्त होती गई। इस कारण हमारे भीतर की भारतीयता में भी कमी होती आई है। अत: संप्रति हमारा यह दायित्व बनता है कि हम यथासाध्य नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति की मूलभूत धाराओं की ओर उन्मुख करने का प्रयास करें। इसी उद्देश्य को केंद्र में रखकर इस बालोपयोगी पुस्तक की रचना की गई है।
हमें विश्वास है, ‘रघुवंश की कथाएँ’ कृति पाठकों को अपने सांस्कृतिक-पौराणिक इतिहास से तो परिचित कराएगी ही, उनमें आदर्श पुत्र, आदर्श शिष्य, आदर्श मित्र और आदर्श नागरिक बनने की भावना का भी संचार करेगी।

The Author

K K Krishnan Nambootiri

मलयालम, हिंदी, संस्कृत एवं अंग्रेजी में कई ग्रंथ और आलेख प्रकाशित। ‘गणित के अद‍्भुत मनीषी श्रीनिवास रामानुजन’ शीर्षक हिंदी में लिखे ग्रंथ के लिए राष्‍ट्रीय पुरस्कार और श्री शंकराचार्य की चिंता पद्धति पर मलयालम में लिखे ग्रंथ के लिए ‘वेल्लालंतु परमेश्‍वरन नंबूतिरी साहित्य पुरस्कार’ प्राप्‍त।
‘अ न्यू एप्रोच टु प्रैक्टिकल हिंदी ग्रामर’ शीर्षक अंग्रेजी में लिखित ग्रंथ विशेष चर्चित। बालोपयोगी रचनाओं में ‘गणित का जादूगर’ ग्रंथ विशेष उल्लेखनीय है।
इसके अतिरिक्‍त आप भूतपूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष, यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम्; अंशकालिक काउंसलर, इग्नू; अतिथि-प्राध्यापक, केरल विश्‍वविद्यालय और श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्‍वविद्यालय; गैर-सरकारी सदस्य, हिंदी सलाहकार समिति, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।

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