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Param Vir Chakra   

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Author Ian Cardozo
Features
  • ISBN : 9789351866404
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
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  • Kindle Store

More Information

  • Ian Cardozo
  • 9789351866404
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 218
  • Hard Cover

Description

यह गोलियों का सामना करनेवाले साहसी वीरों, विपरीत परिस्थितियों में जान पर खेलकर भी अद्वितीय शौर्य प्रदर्शित करनेवाले जाँबाजों, अपने अधिकारियों द्वारा प्रेरित साहसी भारतीय सैनिकों की कहानी है । हालाँकि युद्ध किसी देश की राजनीति का एक विस्तार है, युद्धक्षेत्र में मुकाबला करने की जिम्मेदारी सैनिक की होती है । ' स्वयं से पहले देश ' वाली संस्कृति में पले भारतीय सेना के सिपाही प्रतिकूल परिस्थितियों को अवसर में बदलते हुए और असंभव को संभव कर दिखाने के साथ विजय प्राप्त करते हुए चुनौतियों का सामना करते हैं । हालाँकि उनके साहसी कारनामों को पुरस्कृत किया जाता है, परंतु कई अन्य बातों को गौर किए जाने की आवश्यकता है कि वह कौन सी चीज है, जो उन्हें ऐसा बनाती है? यह पुस्तक भारतीय सैनिकों की अपने देश के प्रति प्रतिबद्धता और समर्पण को बेहतर तरीके से समझने में मदद करती है ।

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अनुक्रम

1. भारत में शौर्य सम्मानों का प्रारंभ — 17

2. 1947-48 का जम्मू-कश्मीर युद्ध — 37

मेजर सोमनाथ शर्मा — 41

कंपनी हवलदार मेजर पीरु सिंह — 48

लांस नायक करम सिंह — 53

नायक जदुनाथ सिंह — 57

सेकेंड लेफ्टिनेंट राम राघोबा राणे — 62

3. 1962 का भारत-चीन युद्ध — 73

सूबेदार जोगिंदर सिंह — 76

मेजर धन सिंह थापा — 81

मेजर शैतान सिंह — 86

4. 1965 का भारत-पाक युद्ध — 95

कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद — 99

लेफ्टिनेंट कर्नल ए.बी. तारापोर — 106

5. 1971 का भारत-पाक युद्ध — 113

लांस नायक अल्बर्ट एक्का — 116

मेजर होशियार सिंह — 120

लेफ्टिनेंट कर्नल मोहम्मद अकरम राजा — 126

सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल — 127

फ्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों — 137

6. मई-जुलाई 1999 का करगिल युद्ध — 143

कैप्टन विक्रम बत्रा — 148

राइफलमैन संजय कुमार — 156

लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे — 160

ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव — 167

7. संयुक्त राष्ट्र शांति सेनाएँ और सियाचिन युद्ध — 175

कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया — 177

मेजर रामास्वामी परमेश्वरन — 185

8. सियाचिन का युद्ध — 189

नायब सूबेदार बाना सिंह — 191

9. निष्कर्ष — 194

परिशिष्ट

1. परम वीर चक्र — 197

2. प्रधानमंत्री के नाम सरदार पटेल का पत्र — 200

3. ‘परम वीर चक्र’ के बारे में अन्य जानकारियाँ — 206

4. युद्धक्षेत्र में शौर्य-प्रदर्शन के लिए ब्रिटिश व भारतीय उच्चतम सम्मानों के बीच समानता — 207

5. ‘परम वीर चक्र’ सम्मानितों की सूची — 210

6. ‘विक्टोरिया क्रॉस’ प्राप्त करनेवाले भारतीय — 212

7. सूबेदार किशनबीर नागरकोटि (इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट) की गाथा — 214

8. संदर्भ ग्रंथ — 217

The Author

Ian Cardozo

मेजर जनरल इयान कारडोजो का जन्म मुंबई में हुआ और उन्होंने सेंट जेवियर्स स्कूल और कॉलेज में शिक्षा प्राप्‍त की। जुलाई 1954 में क्लीमेंट टाउन, देहरादून में ज्वाइंट सर्विसेज विंग में शामिल हुए, जो जनवरी 1955 में पुणे स्थानांतरित हो गया और नेशनल डिफेंस एकेडमी के नाम से प्रसिद्घ हुआ। यहाँ पर वह पहले कैडेट थे जिन्होंने बेहतरीन ऑलराउंडर कैडेट के रूप में स्वर्ण पदक प्राप्‍त किया और मेरिट में प्रथम स्थान पर रहने के कारण उन्हें रजत पदक दिया गया। भारतीय सैन्य अकादमी में फिफ्थ गोरखा राइफल्स (फ्रंटियर फोर्स) की पहली बटालियन में उन्हें कमीशन मिला। सन् 1971 में बँगलादेश में सिलहट के युद्ध में जख्मी तथा अक्षम होने पर, एक पाँव खोने की अक्षमता पर, वह विजय प्राप्‍त कर भारतीय सेना में इन्फैंट्री बटालियन की कमान के लिए स्वीकृत होनेवाले भारतीय सेना के पहले अधिकारी बने। इसके बाद उन्होंने इन्फैंट्री डिवीजन की कमान सँभाली और सन् 1993 में पूर्व में एक कोर के चीफ ऑफ स्टाफ के पद से सेवानिवृत्त हुए।
संप्रति वह द स्पास्टिक सोसाइटी ऑफ नॉर्दर्न इंडिया के साथ विकलांगता के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।

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