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Nibandh Sagar   

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Author Prithavi Nath Pandey
Features
  • ISBN : 9789383110698
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
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  • Kindle Store

More Information

  • Prithavi Nath Pandey
  • 9789383110698
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2020
  • 328
  • Hard Cover
  • 400 Grams

Description

इस कृति का अपना एक वैशिष्ट्य है। इसमें दिए गए निबंधों के परिशीलन करने के उपरांत यह सत्य उद्घाटित होता है- निबध में लेखक और पाठक का परो क्षत्व समाप्त हो जाता है; दोनों आमने-सामने खड़े होकर कहते-सुनते हैं।
इस निबंध संग्रह में जीवन के समस्त क्षेत्रों की वास्तविकता, विषय की जिज्ञासा और संवेदना, विचारों की उत्कृष्टता, भावों की उष्ण तरंग, कल्पना की उड़ान, शैली की बहुविधता और विदग्ध चमत्कृति-सभी कुछ एक साथ प्राप्त होतीहैं । निबंधकार का प्राणवान् व्यक्तित्व अपनी चिंतनशीलता, भाव-प्रवणता तथा प्रामाणिक आप्तता के साथ अवतरित होकर लेखक में सम-संवेदना को जाग्रत् कर सहलाता, उद्दीप्त करता तथा रसतृप्त करता है।
स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों के लिए यह कृति उपयोगी तो है ही, विशेषत : 'संघ लोक सेवा आयो', विाइ भन्न राज्यों के लोक सेवा आयोगों, 'कर्मचारी चयन आयोग' तथा संबद्ध अन्यान्य संगठनों द्वारा आयोजित अनिवार्य प्रश्नपत्र ' निबंध' के लिए यह अपरिहार्य है।
प्रमुख कैरियर विशेषज्ञ, मीडियाधर्मी और समीक्षक डॉ. पांडेय ने अपनी इस कृति में समसामयिक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय, राजनीतिक, आाइ र्थक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, वैज्ञानिक-प्रौद्योगिक, सावि धानिक इत्यादि विषयक निबंधों पर अपने विश्लेषणात्मक दृष्टिबोध का परिचय दिया है। इसमें अधिकतर वे निबंध हैं, जो प्राय : परीक्षाओं में पूछे जाते हैं किंतु अन्यत्र दुर्लभ हैं। अधिकतर निबंध विस्तार में दिए गए हैं, जिनमें 'सामान्य ज्ञान' और 'सामान्य अध्ययन' की दृष्टि से तथ्य और अंकिड़ों की प्रचुरता है।

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अनुक्रम

1. संयुक्त राष्ट्र संघ : कल, आज और कल — Pgs. 33

2. हिंद महासागर में महाशक्तियों की होड़ — Pgs. 44

3. संयुक्त राष्ट्र संघ और भारत  — Pgs. 54

4. भारत की विदेश नीति : कितनी समय-सापेक्ष — Pgs. 57

5. दक्षिण एशिया में बदलते समीकरण — Pgs. 61

6. साम्राज्यवादी शक्तियाँ और गुट-निरपेक्ष आंदोलन — Pgs. 67

7. वैश्विक निरस्त्रीकरण : एक विचारणीय विषय — Pgs. 73

8. बाह्य अंतरिक्ष के सैन्यीकरण का औचित्य — Pgs. 82

9. भारतीय उपमहाद्वीप के संदर्भ में पाक-अमेरिका के रिश्ते — Pgs. 88

10. वैश्विक मंच पर अमेरिका की निरंकुशता — Pgs. 100

11. भारत-पाकिस्तान संबंधों की असलियत — Pgs. 104

12. भारत में राष्ट्रीय एकता खतरे में — Pgs. 107

13. सार्वजनिक जीवन में हिंसा — Pgs. 112

14. भारत में राजनीतिक ध्रुवीकरण का संकट — Pgs. 115

15. समाजवाद और भारत — Pgs. 117

16. संसद् में प्रतिपक्ष की भूमिका — Pgs. 119

17. हम सब भ्रष्ट हैं — Pgs. 121

18. भारत में संसदीय लोकतंत्र की सार्थकता  — Pgs. 128

19. कोउ नृप होउ हमहि का हानी — Pgs. 132

20. राजनीति और अपराध : एक ही सिक्के के दो पहलू — Pgs. 137

21. संवेदन-शून्य होती भारतीय पुलिस — Pgs. 141

22. भारत में मानवाधिकार संकट में — Pgs. 152

23. नवीन अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और चुनौतियाँ — Pgs. 159

24. समकालीन भारतीय समाज की अर्थव्यवस्था — Pgs. 170

25. काला धन : कारण और निवारण — Pgs. 183

26. भारतीय समाज और भावात्मक एकता — Pgs. 193

27. भारतीय जीवन और पाश्चात्य आदर्श — Pgs. 196

28. पुरुष-प्रधान समाज में भारतीय नारी — Pgs. 200

29. कितनी उपयोगी है हमारी शिक्षा-पद्धति — Pgs. 206

30. साहित्य और जीवन — Pgs. 214

31. हिंदी साहित्य में आदर्शवाद और यथार्थवाद  — Pgs. 216

32. हिंदी गद्य का विकास — Pgs. 221

33. हिंदी पद्य का विकास — Pgs. 223

34. हिंदी-काव्य में राष्ट्रीय विचारधारा — Pgs. 226

35. हिंदी साहित्य में हालावाद की प्रासंगिकता — Pgs. 228

36. महाप्राण निराला की साहित्य-यात्रा — Pgs. 233

37. प्रेमचंद की साहित्य-यात्रा — Pgs. 239

38. समकालीन समाज में बुद्धिजीवियों का प्रभाव — Pgs. 244

39. स्वामी विवेकानंद का जीवन-दर्शन — Pgs. 248

40. महर्षि अरविंद का जीवन-दर्शन — Pgs. 255

41. रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन-दर्शन — Pgs. 258

42. ईश्वरचंद्र विद्यासागर का जीवन-दर्शन — Pgs. 266

43. आचार्य नरेंद्र देव का जीवन-दर्शन — Pgs. 272

44. ज्योतिबा राव फुले का जीवन-दर्शन — Pgs. 278

45. डॉ. राम मनोहर लोहिया का जीवन-दर्शन — Pgs. 284

46. भारतीय संस्कृति और उसका भविष्य — Pgs. 292

47. भारतीय संस्कृति और उसकी विशेषताएँ — Pgs. 296

48. लोक-संस्कृति की अवधारणा — Pgs. 302

49. भारतीय कला के आदर्श — Pgs. 305

50. सिनेमा में बदलते मूल्य-बोध — Pgs. 308

51. देवनागरी लिपि और उसकी वैज्ञानिकता — Pgs. 311

52. पर्यावरण असंतुलन हेतु हम सब जिम्मेदार  — Pgs. 313

53. औद्योगिक प्रदूषण के बढ़ते खतरे  — Pgs. 316

54. भारत में एड्स की स्थिति  — Pgs. 320

The Author

Prithavi Nath Pandey

जन्म : मिरीगिरी टोला, बाँसडीह, बलिया (उ.प्र.)।
शिक्षा : स्नातकोत्तर (हिंदी-अंग्रेजी, प्राचीन इतिहास) एवं पी-एच.डी.।
कृतित्व : साहित्य की समस्त विधाओं—विश्‍व ज्ञान कोश, कोश, व्याकरण, निबंध, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, समसामयिक, प्रतियोगितात्मक, मीडिया, बाल-प्रौढ़-नवसाक्षर साहित्य पर अब तक 850 से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित।
पुरस्कार-सम्मान : तीस राष्‍ट्रीय-अंतरराष्‍ट्रीय पुरस्कार-सम्मानों से समादृत।
संप्रति : निदेशक—पत्रकारिता एवं जनसंचार संस्थान, इलाहाबाद।
संपर्क : 110/2, नई बस्ती, अलोपी बाग, इलाहाबाद-211006

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