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Lok Geeton Mein Prakriti    

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Author Dr. Shanti Jain
Features
  • ISBN : 9788193397428
  • Language : Hindi
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More Information

  • Dr. Shanti Jain
  • 9788193397428
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2017
  • 232
  • Hard Cover

Description

पर्यावरण और प्रकृति के बीच अन्योन्याश्रित संबंध है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। प्रकृति में भूमि, जल, वायु, अग्नि, पेड़-पौधे, जीव-जंतु, सूर्य, चंद्रमा, आकाश आदि आते हैं।
डॉ. शांति जैन का ग्रंथ ‘लोकगीतों में प्रकृति’ पाठकों के समक्ष है। इसके अंतर्गत प्रकृति और पर्यावरण का संबंध बताते हुए कहा गया है कि मानव जीवन पर प्रकृति का गहरा प्रभाव पड़ता है। हमारे जीवन का अस्तित्व स्वच्छ पर्यावरण पर निर्भर है और पर्यावरण हमारे जीवन के अनुकूल तभी होगा, जब धरती पर जल, अन्न, फल-फूल जैसी जीवनोपयोगी वस्तुएँ निर्बाध रूप से प्राप्त हो सकेंगी। पशु-पक्षी भी पर्यावरण के संरक्षक होते हैं। पर्यावरण हमारे जीवन का रक्षाकवच है। भारतीय संस्कृति में प्रकृति को देवता तथा धरती और नदियों को माता की संज्ञा दी गई है। इस विषय में लेखिका ने गागर में सागर भरने जैसा कार्य किया है।
लोकगीतों के माध्यम से प्रकृति- पर्यावरण-संरक्षण का संदेश देती पठनीय पुस्तक।

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अनुक्रम

लोकगीतों में प्रकृति चेतना— Pgs. 7

प्रकृति और लोकजीवन— Pgs. 21

1. प्रकृति और पर्यावरण का महव— Pgs. 27

2. लोकसाहित्य में नदियाँ— Pgs. 39

3. लोकगीतों में वनस्पति— Pgs. 73

4. लोकगीतों में पक्षी— Pgs. 134

5. लोकगीतों में पशु— Pgs. 182

6. लोकगीतों में जलचर या सरीसृप जाति के जीव— Pgs. 215

उपसंहार— Pgs. 223

सहायक संदर्भ ग्रंथ— Pgs. 230

The Author

Dr. Shanti Jain

जन्म : 04 जुलाई, 1946।
शिक्षा : एम.ए. (संस्कृत एवं हिंदी), पी-एच.डी., डी.लिट्., संगीत प्रभाकर। आकाशवाणी, दूरदर्शन की कलाकार एवं कवयित्री, अवकाश प्राप्त प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष (संस्कृत), एच.डी. जैन कॉलेज, आरा।
रचना-संसार : एक वृत्त के चारों ओर, हथेली का आदमी, हथेली पर एक सितारा (काव्य); पिया की हवेली, छलकती आँखें, धूप में पानी की लकीरें, साँझ घिरे लागल, तरन्नुम, समय के स्वर, अँजुरी भर सपना (गजल, गीत-संग्रह); अश्मा, चंदनबाला (प्रबंधकाव्य); चैती (पुरस्कृत), कजरी, ऋतुगीत : स्वर और स्वरूप, व्रत और त्योहार : पौराणिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, उगो हे सूर्य, लोकगीतों के संदर्भ और आयाम (पुरस्कृत), बिहार के भक्तिपरक लोकगीत, व्रत-त्योहार कोश, तुतली बोली के गीत (लोकसाहित्य); वसंत सेना, वासवदत्ता, कादंबरी, वेणीसंहार की शास्त्रीय समीक्षा (क्लासिक्स); एक कोमल क्रांतिवीर के अंतिम दो वर्ष (डायरी)।
पुरस्कार-सम्मान : संगीत नाटक अकादमी सम्मान राष्ट्रपति द्वारा, ‘राष्ट्रीय देवी अहिल्या सम्मान’,  के.के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा ‘शंकर सम्मान’, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ‘नेशनल सीनियर फेलोशिप’,  ऑल इंडिया रेडियो का ‘राष्ट्रीय सम्मान’। ‘चैती’ पुस्तक के लिए बिहार सरकार का राजभाषा सम्मान, कलाकार सम्मान।

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