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Hitopadesh ki Lokpriya Kahaniyan   

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Author Mahesh Dutt Sharma
Features
  • ISBN : 9789384343675
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Mahesh Dutt Sharma
  • 9789384343675
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2020
  • 200
  • Hard Cover

Description

हितोपदेश की कहानियाँ भारतीय परिवेश को ध्यान में रखकर लिखी गई उपदेशात्मक कथाएँ हैं, जिसके रचनाकार नारायण पंडित हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल, रोचक, प्रेरक और सुग्राह्य हैं। विभिन्न पशु-पक्षियों पर आधारित तार्किक कहानियाँ इसकी खास विशेषता है, जिनकी समाप्ति किसी शिक्षाप्रद बात से होती है।
इस पुस्तक में हितोपदेश की मूल लोकप्रिय कहानियों को स्थान दिया गया है। कहानियों को रोचक और पठनीय बनाने के लिए इनके मूल शीर्षक, क्रम, कथानक और विस्तार को यथोचित संपादित कर दिया गया है, लेकिन कथा की मूल भावना को जीवंत रखा गया है, जिससे पाठक पारंपरिक आस्वादन पाने से वंचित न हों।
अपनी रचना के कई सौ साल बाद भी इन कथाओं की लोकप्रियता में जरा भी कमी नहीं आई है तो केवल इनमें निहित संदेश के कारण। इनका कथानक पाठकों को अपने आस-पास घटित हुआ जान पड़ता है। यही कारण है कि वे सहज ही इनसे अपने आप को जोड़ लेते हैं। यही इन कथाओं की सबसे बड़ी खूबी है, जिसके कारण ये सदाबहार बनी हुई हैं।
मनोरंजन तथा नैतिक ज्ञान से भरपूर कहानियों की पठनीय पुस्तक।

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अनुक्रम  
अपनी बात—5 32. सही कीमत—112
1. झाँसा—9 33. मन में झाँको—115
2. लोभ का फल—12 34. सेवाभति—119
3. परख—15 35. शुभचिंतक—120
4. घोड़ा गुलाम—30 36. यकीन—123
5. हार—33 37. परोपकार—125
6. अंतिम इच्छा—36 38. दोस्ती का फर्ज—127
7. संतोष—39 39. गलत संगत—131
8. धूर्त गीदड़ का अंत—42 40. स्वाधीन—134
9. दाल नहीं गली—47 41. दूध-पानी—136
10. दृष्टिकोण—50 42. मुसीबत में दोस्त—139
11. अलमंदी—53 43. तिरस्कार—142
12. सोच-विचार—55 44. मेढक से सीख—145
13. बुद्धिमानी—58 45. दो तोते—147
14. उपहार—60 46. अच्छा हुआ—150
15. जोखिम—62 47. दंड—153
16. बिल्ली का फैसला—65 48. चतुराई—156
17. लोभी का अंत बुरा—68 49. कुसंगत—159
18. दावत—71 50. एका—161
19. लोभ—74 51. चाल—163
20. भाग्योदय—77 52. तिल का ताड़—166
21. सच्चा आनंद—80 53. खाली हाथ—169
22. फूल और पा—83 54. गड़म—172
23. चमकीला पत्थर—86 55. लोभ बना काल—175
24. लँगड़ा पैर—89 56. उपाय—178
25. भीतर ज्ञान—93 57. जैसे को तैसा—181
26. जाके काम, उसे सुहावै—94 58. बुजुर्गों की सीख—184
27. क्रोध से नुकसान—97 59. गुफा बोली—187
28. ईर्ष्या का बोझ—100 60. शेर को सवा सेर—190
29. दो घड़ी धर्म की—103 61. दुष्टों से दूरी—193
30. आखिरी पत्थर—106 62. संगठन—195
31. देने की आदत—109 63. संगति का सुफल—198

The Author

Mahesh Dutt Sharma

हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक महेश दत्त शर्मा का लेखन कार्य सन् 1983 में आरंभ हुआ, जब वे हाईस्कूल में अध्ययनरत थे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से 1989 में हिंदी में स्नातकोत्तर। उसके बाद कुछ वर्षों तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए संवाददाता, संपादक और प्रतिनिधि के रूप में कार्य। लिखी व संपादित दो सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाश्य। भारत की अनेक प्रमुख हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक विविध रचनाएँ प्रकाश्य।
हिंदी लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त, प्रमुख हैं—मध्य प्रदेश विधानसभा का गांधी दर्शन पुरस्कार (द्वितीय), पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलाँग (मेघालय) द्वारा डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति पुरस्कार, समग्र लेखन एवं साहित्यधर्मिता हेतु डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, नटराज कला संस्थान, झाँसी द्वारा लेखन के क्षेत्र में ‘बुंदेलखंड युवा पुरस्कार’, समाचार व फीचर सेवा, अंतर्धारा, दिल्ली द्वारा लेखक रत्न पुरस्कार इत्यादि।
संप्रति : स्वतंत्र लेखक-पत्रकार।

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